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Baby Care Fire Incident: घर में जन्मा था पहला बेटा, चल रही थी जश्न की तैयारी; आग ने छीन ली खुशियां सारी

दस हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से वसूलने वाले इस अस्पताल की लापरवाही का आलम यह था कि बड़े आक्सीजन सिलेंडर से छोटे सिलेंडर में गैस भरे जाने का जानलेवा खेल सरेआम चल रहा था।
Written by: अमलेश राजू
नई दिल्ली | Updated: May 27, 2024 10:42 IST
baby care fire incident  घर में जन्मा था पहला बेटा  चल रही थी जश्न की तैयारी  आग ने छीन ली खुशियां सारी
अस्पताल में आग से अपने नवजात बच्चे की मौत पर रोते पिता विनोद (बाएं) तथा अस्पताल के डॉ. आकाश को पीटते पीड़ितों के परिजन (दाएं)। (फोटो- पीटीआई)
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विवेक विहार स्थित बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल ने लापरवाही की सारी सीमाएं ही तोड़ दी और लापरवाही बरतते हुए सात नवजातों की जान ले ली। इनमें कई ऐसे परिवार वाले अपने बच्चे का इलाज करा रहे थे जिनका इकलौता बच्चा था। दस हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से वसूलने वाले इस अस्पताल की लापरवाही का आलम यह था कि बड़े आक्सीजन सिलेंडर से छोटे सिलेंडर में गैस भरे जाने का जानलेवा खेल सरेआम चल रहा था।

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कई लोगों ने मोटी रकम देकर नवजातों की सलामती के लिए यहां रखा था

शनिवार देर रात घटित इस हादसे के चश्मदीद और शहीद भगत सिंह सेवा दल के प्रधान कहते हैं कि ऐसा दर्दनाक हादसा उन्होंने कोरोना के बाद पहली बार देखा। उन्होंने कहा कि दिल पसीज गया कि जो नवजात अभी ठीक से आंखें भी नहीं खोल पा रहे थे, उनके शरीर जल कर मौत के आगोश में समा चुका था। पास के दिलशाद गार्डन, राजेंद्रनगर, साहिबाबाद और पड़ोसी राज्य बुलंदशहर के रहने वाले लोगों ने मोटी रकम देकर अपने नवजातों की सलामती के लिए यहां रखा थे लेकिन उन्हें क्या पता था कि शनिवार की रात उनके लिए ऐसे कहर बरपाने वाला साबित होगा, जिसे शायद वे जिंदगी में कभी नहीं भूल पाएंगे।

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अस्पताल में योग्य डॉक्टर भी नहीं थे

दस हजार रुपए प्रतिदिन का खर्च वसूलने वाले इस सेंटर का लाइसेंस भी समाप्त हो चुका था। इसके बावजूद संचालित हो रहा था। पुलिस ने बताया कि अस्पताल में योग्य डाक्टर भी नहीं थे और इसके पास अग्निशमन विभाग का अनापत्ति पत्र भी नहीं था।

रविवार को पोस्टमार्टम के बाद शव को अंतिम बार देख भर लेने की चाह से मायूस बुलंदशहर के रहने वाले ऋतिक की एक बेटी पहले से हैं। उसके बाद 17 मई को जन्म के बाद बेटे को कुछ दिक्कत हुई तो 20 मई को यहां के अस्पताल में भर्ती कराया गया। सोमवार को अस्पताल से छुट्टी के बाद उनके नवजात बेटे के लौटने पर जश्न की तैयारी घर में चल रही थी। लेकिन होनी को कौन टाल सकता है।

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शनिवार रात की खुशी तब काफूर हो गई जब रविवार सुबह ही उन्हें यह मनहूस समाचार मिला। यहां आने पर पता चला कि आग लगने की घटना में जिन बच्चों ने दम तोड़ा है उसमें उनका बेटा भी शामिल है। यह सुनकर उनके पैरों से जमीन खिसक गई। वह कुछ समझ ना पाए और अपने चचेरे भाई के साथ अस्पताल के शव गृह में पहुंच गए हैं। ऋतिक बताते हैं कि पत्नी बार-बार फोन करके पूछ रही है बेटा कैसा है, हर बार दिलासा दे रहा हूं कि बेटा ठीक है और उसे लेकर घर आऊंगा।

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