भारत से कितनी अलग होती हैं अमेरिका की EVM मशीनें, लोग OMR शीट से भी करते हैं वोट
ईवीएम मशीनों को लेकर भारत में पिछले कुछ सालों से लगातार चर्चाएं होती रहती हैं। लेकिन रविवार को अचानक इसको लेकर बहस तेज हो गई जब माइक्रो ब्लॉगिंग साइट X के मालिक एलन मस्क ने पोस्ट कर कहा कि ईवीएम हैक हो सकती है। उसके बाद राहुल गांधी ने भी ईवीएम मशीनों को लेकर सवाल खड़े कर दिए। हालांकि चुनाव आयोग ने इसका जवाब दिया और कहा कि ऐसा कुछ नहीं हो सकता। आइए जानते हैं कि भारत से कितनी अलग होती है अमेरिका की ईवीएम
जानें कैसी होती है अमेरिका की EVM मशीनें
अमेरिका में भी ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल होता है। यहां पर डायरेक्ट रिकॉर्डिंग इलेक्ट्रॉनिक (DRE) मशीन इस्तेमाल होती है। इसका आविष्कार 1974 में हुआ था। इस मशीन से वहां का मतदाता टच स्क्रीन के माध्यम से अपना वोट डालता है और मशीन की मेमोरी में उसका वोट स्टोर हो जाता है।
अमेरिका की वोटिंग मशीनों में भी वीवीपैट (VVPAT) का इस्तेमाल होता है। हालांकि कुछ ही मशीनों में वहां VVPAT लगा होता है, जो मतदाता को उनके द्वारा दिए गए वोट की एक स्लिप देकर बताता है कि उन्होंने किसे वोट किया।
वहीं अमेरिका में जहां प्राइवेट बूथ होता है, वहां पर ओएमआर शीट से वोटिंग होती है। इसे वहां पर ऑप्टिकल स्कैन सिस्टम बोलते हैं। इसमें वोटर को एक सीट मिलती है, जिसमें सभी उम्मीदवार के नाम और उसके आगे गोला बना रहता है। इसके बाद काले पेन से मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार के आगे वाले गोले को भर देता है। एक तरीके यह बैलेट पेपर जैसा होता है।
घट रही मशीनों से वोट करने वालों की संख्या
अमेरिका की जनता मशीनों को लेकर काफी बचती है। इसको लेकर बहस भी होती है। दरअसल अमेरिका की मशीनों में वोट को रिकॉर्ड करने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल होता है। ऐसे में माना जाता है कि इसके हैक होने की संभावना बढ़ जाती है और इसके बैकअप के लिए कोई रिकॉर्ड नहीं होता है। इसीलिए वहां पर लोग पेपर से वोट करना सही समझते हैं और लोग प्राइवेट बूथ में जाकर वोट डालते हैं। हालांकि मशीनों से भी लोग वोट करते हैं लेकिन यह संख्या धीरे-धीरे घट रही है।
जानें कैसी होती है भारत की EVM
ईवीएम के अंदर दो यूनिट (कंट्रोल और बैलट) होती है। एक यूनिट जिस पर मतदाता अपना बटन दबाकर वोट देते हैं और दूसरी यूनिट उस वोट को स्टोर करने के काम आती है। कंट्रोल यूनिट बूथ के मतदान अधिकारी के पास होती हैं जबकि दूसरी यूनिट से लोग वोट डालते हैं। ईवीएम के पहले यूनिट पर पार्टियों के चिन्ह और उम्मीदवारों के नाम होते हैं। उम्मीदवारों की फोटो भी होती है और एक नीली बटन होती है। इस बटन को दबाकर आप अपना वोट देते हैं। जब मतदान केंद्र पर आखिरी वोट पड़ जाता है तब पोलिंग अफसर कंट्रोल यूनिट पर लगे क्लोज बटन को दबा देता है। क्लोज बटन को दबाने के बाद ईवीएम पर कोई वोट नहीं डाला जा सकता। वहीं रिजल्ट के लिए कंट्रोल यूनिट पर रिजल्ट बटन दबाना होता है और वोटों की गिनती सामने आ जाती है।