'मैं नहीं पूरी बंगाल कांग्रेस नहीं चाहती थी टीएमसी से गठबंधन लेकिन मुझे ही...' हार को लेकर बोले अधीर रंजन चौधरी
लोकसभा के निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष और पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी बीते लोकसभा चुनाव हार गए हैं। अधीर रंजन को बहरामपुर लोकसभा सीट से टीएमसी उम्मीदवार यूसुफ पठान से हराया है। हार के बाद उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर मुझे ही केवल दोषी माना जा रहा है। जबकि पूरी बंगाल कांग्रेस इस गठबंधन के खिलाफ थी।
यूपी समेत कई राज्यों में कांग्रेस पार्टी ने अपनी सीटों में इजाफा किया है वहीं पश्चिम बंगाल में पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई है। जबकि यहां से पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी दमखम से चुनावी मैदान में थे। अधीर रंजन को टीएमसी उम्मीदवार यूसुफ पठान ने राजनीतिक एंट्री लेते हुए चुनावी मात दी है। वहीं इस चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी बंगाल में टीएमसी से गठबंधन करना चाहती थी लेकिन अधीर रंजन चौधरी और बंगाल कांग्रेस के विरोध के बाद यह गठबंधन नहीं हो सका।
चुनाव हारने के बाद अधीर रंजन चौधरी ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, 'कांग्रेस और टीएमसी से गठबंधन के खिलाफ पूरी बंगाल कांग्रेस थी। लेकिन सिर्फ मुझे दोषी ठहराया जा रहा है। मैं अकेला नहीं था जो इस गठबंधन के खिलाफ था।' वहीं बहरामपुर से हारने को लेकर अधीर ने कहा कि मैं यहां से पांच बार लोकसभा का सांसद बना हूं। इस बार भी मैंने पूरी कोशिश लेकिन मैं चुनाव नहीं जीत पाया।
अधीर रंजन ने यूसुफ पठान की तारीफ
अधीर ने ममता बनर्जी को लेकर बात करते हुए कहा कि इस चुनाव में ही टीएमसी ने मेरे खिलाफ आयातीत उम्मीदवार को उतारी थी। इसके साथ ही उन लोगों ने नारा दिया था कि दादा को वोट नहीं बल्कि भाई को वोट दो। इसका मतलब था कि अधीर (दादा) को वोट मत दो बल्कि पठान (भाई) को वोट दो। जबकि यूसुफ की प्रशंसा करते हुए अधीर ने कहा कि यूसुफ पठान एक अच्छे इंसान हैं उन्होंने मेरे खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला वो अच्छे खिलाड़ी भी हैं। वो एक खिलाड़ी की तरह ही मैदान में उतरे।