आपस में लड़ने की जगह सीमाओं पर बैठे दुश्मन को दिखाएं ताकत; आरएसएस चीफ बोले- खत्म हो कलह की नीति
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि सभी को भारत की एकता और अखंडता के लिए मिलकर प्रयास करना चाहिए। हमें आपस में लड़ने के बजाय देश की सीमाओं पर बैठे दुश्मनों को अपनी ताकत का अनुभव कराना होगा। गुरुवार को नागपुर में संघ के अधिकारी प्रशिक्षण शिविर के तीसरे वर्ष के समापन समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि भागवत ने कहा कि जैसे गर्मी में वर्षा की बौछारें सुखद लगती है, वैसे ही स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद की सुखद भावनाओं का अनुभव हम कर रहे हैं, लेकिन इस दौरान कुछ चिंतित करने वाले दृश्य भी दिख रहे हैं, जो नहीं होने चाहिए। देश में कई स्थानों पर कई तरह के कलह मचे हैं। इसे रोकना होगा।
भारत ने वैश्विक आर्थिक संकट, कोविड-19 महामारी के दौरान अच्छा प्रदर्शन किया
उन्होंने कहा कि भारत ने वैश्विक आर्थिक संकट और कोविड-19 महामारी के दौरान सभी देशों के बीच अच्छा प्रदर्शन किया। इसका दुनिया भर में अच्छा संदेश गया है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में इस्लाम का आक्रमण हुआ, स्पेन से मंगोलिया तक इस्लाम छा गया। धीरे-धीरे वहां के लोग जागे, उन्होंने आक्रमणकारियों को परास्त किया। इस्लाम अपने कार्य क्षेत्र में सिकुड़ गया। सबने सबकुछ बदल दिया।
मोहन भागवत ने कहा अब विदेशी तो यहां से चले गए लेकिन इस्लाम की इबादत यहीं सुरक्षित है। कई सौ वर्षों से सब साथ में रह रहे हैं। इसको कोई नहीं पहचान रहा है। आपस के भेदों को ही बरकरार रखने वाली नीति जारी है। ऐसा करेंगे तो कैसे होगा।
उन्होंने कहा कि भाषा, पंथ, संप्रदायों, मिलने वाली सहूलियतों के लिये विवाद और केवल विवाद ही नहीं बल्कि इसका इस हद तक बढ़ना कि हम आपस में ही हिंसा करने लगे हैं। यह ठीक नहीं है। अपने देश की सीमाओं पर अपनी स्वतंत्रता पर बुरी नजर रखने वाले शत्रु बैठे हैं। उनको हम हमारा बल नहीं दिखा रहे, हम आपस में ही लड़ रहे हैं।