West Bengal Chunav Result: पश्चिम बंगाल लोकसभा चुनाव जीता, पर बाजी हार गईं ममता! तृणमूल में होगा मंथन
लोकसभा चुनाव 2024 में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की भाजपा पर जीत हुई है, लेकिन जिस तरह की जीत हुई है वह ममता की परेशानी बढ़ाने वाली है। खास कर तब जब दो साल बाद ही राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं और भाजपा तृणमूल को सत्ता से बाहर करने पर आमादा है।
2019 लोकसभा चुनाव की तुलना में 2024 में सात सीटें ज्यादा (कुल 29) जीतने के बावजूद तृणमूल के लिए चिंंता की वजह यह है कि राज्य के 125 नगर निगम और नगर पालिका परिषदों में से 60 प्रतिशत ऐसी हैं, जहां पर वह बीजेपी से पीछे रही है।
ममता बनर्जी के विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा ने तृणमूल को हरा दिया है। बीते दो विधानसभा चुनावों में भाजपा अपने विधायकों की संख्या 3 से 77 कर ले गई है।
2026 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर टीएमसी के लिए यह हालत इसलिए भी ज्यादा चिंताजनक हैं क्योंकि राज्य के 125 में से 124 नगर निकायों में टीएमसी का ही शासन है। सिर्फ नादिया जिले की ताहेरपुर नगर पालिका में सीपीएम सत्ता में है।
खबरों के मुताबिक, टीएमसी की प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता के मेयर फिरहाद हाकिम से इन नतीजों का विश्लेषण करने और इसके पीछे की वजह बताने के लिए कहा है।
![Ravneet singh bittu Amritpal singh sarabjit singh khalsa](https://www.jansatta.com/wp-content/uploads/2024/06/Ravneet-Singh-Bittu-1-1.jpg?w=850)
बोलपुर नगर पालिका के 22 में से 16 वार्ड में बीजेपी रही आगे
टीएमसी कई ऐसे निकायों में भी पीछे रही है, जहां पर वह लोकसभा का चुनाव जीती है। उदाहरण के लिए बोलपुर लोकसभा सीट, जहां टीएमसी के उम्मीदवार असित कुमार मल 3.27 लाख वोटों से चुनाव जीते हैं। लेकिन वहां बीजेपी की उम्मीदवार पिया साहा बोलपुर कस्बे में 5800 वोट से आगे रही हैं। बीजेपी यहां नगर पालिका के 22 में से 16 वार्ड में आगे रही है।
बांकुरा में 24 से में 21 वार्ड में टीएमसी रही पीछे
ऐसा ही कुछ बांकुरा लोकसभा सीट पर भी हुआ है। जहां पर टीएमसी बांकुरा कस्बे के 24 में से 21 वार्ड में पीछे रही है जबकि इस लोकसभा सीट पर उसने जीत हासिल की है। झारग्राम और हुगली की चिनसुराह नगर पालिका में भी ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिला है यहां से संबंधित लोकसभा सीटों पर टीएमसी के उम्मीदवार जीते हैं।
पश्चिम बंगाल के शहरी इलाकों में बीजेपी की बढ़त का ट्रेंड 2019 के लोकसभा चुनाव से शुरू हुआ था, जब पार्टी ने पश्चिम बंगाल में 18 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि 2014 में वह सिर्फ 2 सीटें जीती थी।
![Ajit Pawar](https://www.jansatta.com/wp-content/uploads/2024/06/Ajit-Pawar-2.jpg?w=850)
69 निकायों में आगे रही थी बीजेपी
2021 के विधानसभा चुनाव में जब टीएमसी ने बड़ी जीत हासिल की थी और राज्य की 294 में से 215 सीटें जीती थी, तब भी शहरी इलाकों में वोटिंग पैटर्न नहीं बदला था। 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी पश्चिम बंगाल के 125 नगर निकायों में से 69 में आगे रही थी।
कोलकाता नगर निगम में भी टीएमसी सत्ता में है। बीजेपी कोलकाता नगर निगम के 144 में से 45 वार्ड में आगे रही है जबकि 2021 में हुए नगर निगम चुनाव में बीजेपी यहां सिर्फ तीन वार्ड में चुनाव जीत सकी थी। कोलकाता नगर निगम के जिन वार्ड में टीएमसी पीछे रही है, वहां पर गैर बंगाली विशेषकर हिंदी भाषी मतदाता बड़ी संख्या में हैं।
ममता की सीट पर भी घट गया टीएमसी की जीत का अंतर
यहां पर भबानीपुर विधानसभा सीट का भी जिक्र करना जरूरी होगा। सितंबर 2021 में भबानीपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में ममता बनर्जी 58,832 वोटों के अंतर से जीती थीं। लेकिन इस बार टीएमसी की जीत का अंतर यहां सिर्फ 8,297 वोटों का रह गया है। बीजेपी भबानीपुर के 269 बूथ में से 149 बूथ में आगे रही है।
![Mamata Banerjee](https://www.jansatta.com/wp-content/uploads/2024/06/Mamata-Banerjee-3.jpg?w=850)
West Bengal Elections Results: 3 से 77 सीटों पर पहुंची बीजेपी
पश्चिम बंगाल में पिछले कुछ सालों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मुकाबले बीजेपी और टीएमसी के बीच ही सिमटते दिखाई दिए हैं। राज्य के अंदर 2 साल बाद विधानसभा के चुनाव भी होने हैं और इसमें भी मुख्य मुकाबला बीजेपी और टीएमसी के बीच होने की पूरी संभावना है। हालांकि लोकसभा चुनाव के नतीजों से टीएमसी को मनोवैज्ञानिक बढ़त जरूर मिली है लेकिन बीजेपी भी पश्चिम बंगाल के अंदर अपनी सियासी जड़ों को मजबूत करने में जुटी हुई है।
साल | बीजेपी को मिली सीटें | टीएमसी को मिली सीटें |
2019 लोकसभा चुनाव (42 सीटें) | 18 | 22 |
2016 विधानसभा चुनाव (294 सीटें) | 3 | 211 |
2024 लोकसभा चुनाव | 12 | 29 |
2021 विधानसभा चुनाव | 77 | 215 |
पार्षद ने की इस्तीफे की पेशकश
नॉर्थ कोलकाता से टीएमसी के पार्षद विजय उपाध्याय ने इस्तीफे की पेशकश की है। उन्होंने कहा है कि वह नॉर्थ कोलकाता से टीएमसी के उम्मीदवार सुदीप बंद्योपाध्याय को अच्छी बढ़त नहीं दिला सके। उपाध्याय ने मेयर फिरहाद हाकिम और कोलकाता नगर निगम (केएमसी) की अध्यक्ष माला रॉय को पत्र लिखकर इस्तीफे की पेशकश की है।
उपाध्याय ने कहा है कि कोलकाता नगर निगम के चुनाव के दौरान उन्होंने अपने वार्ड में 9,500 वोटों से जीत हासिल की थी लेकिन इस बार सुदीप बंद्योपाध्याय को वह केवल 217 वोटों की बढ़त ही दिला सके।
![Jawaharlal Nehru Morarji Desai](https://www.jansatta.com/wp-content/uploads/2024/06/Jawaharlal-Nehru.jpg?w=850)
क्यों बेहतर रहा टीएमसी का प्रदर्शन?
लोकसभा चुनाव में टीएमसी का प्रदर्शन पिछली बार के मुकाबले अच्छा रहा है और उसने 7 सीटें ज्यादा जीती हैं। CSDS-Lokniti के पोस्ट पोल सर्वे से पता चलता है कि इसके पीछे एक वजह टीएमसी को इस बार महिलाओं का ज्यादा समर्थन मिलना है। इसके अलावा बीजेपी के द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को टीएमसी ने भुनाया और बीजेपी को बंगाल विरोधी साबित करने की कोशिश की।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का का खुलकर विरोध करने की वजह से टीएमसी को मुस्लिम समुदाय का अच्छा समर्थन मिला है। 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले टीएमसी को मुस्लिम समुदाय के 13% वोट ज्यादा मिले हैं।
राजनीतिक दल | 2019 में मिले महिलाओं के वोट | 2024 में मिले महिलाओं के वोट |
टीएमसी | 42 | 53 |
बीजेपी | 34 | 33 |
राजनीतिक दल | 2019 में मिले मुस्लिमों के वोट | 2024 में मिले मुस्लिमों के वोट |
टीएमसी | 60 | 73 |
बीजेपी | 7 | 3 |
पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में सीएए का विरोध एक बड़ा मुद्दा रहा है और टीएमसी को इसका फायदा भी मिला है। अब जब 2 साल बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं तो देखना होगा कि टीएमसी को इस मुद्दे का कितना फायदा मिलेगा?
भले ही पश्चिम बंगाल में बीजेपी की 6 सीटें कम हो गई हैं लेकिन फिर भी उसने 38.73% वोट हासिल किए हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में उसे 40.7 प्रतिशत वोट मिले थे।
बीजेपी-टीएमसी के कार्यकर्ताओं के बीच खूनी हिंसा
पश्चिम बंगाल में पिछले कुछ सालों में चाहे लोकसभा, विधानसभा या पंचायत के चुनाव हों, बीजेपी और टीएमसी के कार्यकर्ताओं के बीच खूनी झड़प देखने को मिली है। इसमें दोनों ही दलों के कई कार्यकर्ताओं की मौत हो चुकी है और सैकड़ों कार्यकर्ता घायल हुए हैं। इस बार लोकसभा चुनाव के दौरान भी इन दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच भयंकर झड़पें हुई।