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West Bengal Loksabha Election 2024: यहां टीएमसी के बिहारी बाबू और बीजेपी के सरदार जी के बीच है चुनावी मुकाबला

आसनसोल से पवन सिंह के भाजपा उम्मीदवार के रूप में नाम की घोषणा के 24 घंटे बाद ही उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया था।
Written by: shrutisrivastva
नई दिल्ली | Updated: May 09, 2024 20:28 IST
सुरेंद्रजीत सिंह अहलूवालिया और शत्रुघ्न सिन्हा (बाएं से दाएं) (Source- Express Archive)
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लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 13 मई को पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट पर भी मतदान होगा। आसनसोल पश्चिम बंगाल की हॉट सीटों में एक है। जहां टीएमसी ने इस सीट के लिए सुपरस्टार शत्रुघ्न सिन्हा उर्फ ​​'बिहारी बाबू' को दोबारा अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, बीजेपी ने सुरेंद्रजीत सिंह अहलूवालिया को चुना है, जो आसनसोल में ही पैदा हुए और पले-बढ़े हैं।

आसनसोल सीट कभी माकपा का गढ़ हुआ करती थी। अब इस सीट पर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। सीपीआई (एम) ने लोकसभा चुनाव में पहली बार उतरी जहांआरा खान को इस सीट से मैदान में उतारा है, जहां अच्छी खासी संख्या में आदिवासी रहते हैं। झारखंड की सीमा से सटे आसनसोल में हिंदी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा रहता है, जिसमें ज्यादातर बिहार और यूपी के प्रवासी श्रमिक हैं जो खदानों और कारखानों में काम करते हैं।

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कौन-कौन है आसनसोल के चुनाव मैदान में?

बीजेपी ने सबसे पहले भोजपुरी एक्टर पवन सिंह को पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था। पर, 24 घंटे के अंदर ही पवन सिंह ने ऐलान किया कि वो यहां से नहीं लड़ेंगे। अब वे बिहार की काराकाट लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। पवन सिंह के चुनाव से हटने के बाद आसनसोल सीट के लिए भाजपा को आधिकारिक तौर पर अहलूवालिया का नाम घोषित करने में थोड़ा समय लगा, जिन्हें कई लोग प्यार से 'सरदार जी' कहते हैं।

2019 के आम चुनाव में सुरेंद्रजीत सिंह अहलूवालिया ने बर्धमान-दुर्गापुर सीट जीती थी। उन्होंने 2019 का चुनाव 18,540 वोटों के मामूली अंतर से जीता था। पूर्व राज्यसभा सांसद अहलूवालिया ने 2014 के चुनाव में दार्जिलिंग लोकसभा सीट जीती थी। सीट से अपने नाम की घोषणा के बाद उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल मेरी जन्मभूमि है और ये लड़ाई दो लोगों के बीच नहीं, दो विचारधाराओं के बीच की लड़ाई है।

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ममता बनर्जी का अहलूवालिया पर हमला

कुल्टी में एक हालिया चुनावी रैली के दौरान सीएम बनर्जी ने अहलूवालिया पर कटाक्ष किया और उन पर पिछले पांच वर्षों के दौरान बर्धमान-दुर्गापुर से गायब रहने का आरोप लगाया। टीएमसी सुप्रीमो ने दावा किया कि बहुत मेहनत करने के बाद अहलूवालिया इस सीट से टिकट पाने में कामयाब हो सके। वहीं, स्थानीय भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी ने दावा किया कि आसनसोल में सुरेंद्रजीत सिंह अहलूवालिया जैसे अनुभवी नेता के होने से सीट पर दोबारा कब्जा करने के लिए पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है।

वहीं, टीएमसी उम्मीदवार की बात करें तो पटना साहिब से दो बार के भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे और 2022 में टीएमसी में चले गए। शत्रुघ्न आसनसोल से वर्तमान सांसद भी हैं। आसनसोल में कम दिखाई देने और बाहरी होने के सवाल पर फिल्म अभिनेता का कहना है कि जब आपके खिलाफ कोई मुद्दा नहीं मिलता तो इस तरह के आरोप लगाए जाते हैं। जब मैं पहली बार पटना चुनाव लड़ने गया था, वहां भी मुझे बाहर का कहकर प्रचारित किया गया था जबकि मेरा जन्म, मेरी पढ़ाई-लिखाई सब पटना में ही हुई है।

आसनसोल से पवन सिंह ने डाल दिए हथियार?

आसनसोल से पवन सिंह के भाजपा उम्मीदवार के रूप में नाम की घोषणा के 24 घंटे बाद ही उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया था। पवन सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा था, " पार्टी ने मुझ पर विश्वास करके आसनसोल का उम्मीदवार घोषित किया लेकिन किसी कारणवश मैं आसनसोल से चुनाव नहीं लड़ पाऊंगा।"

आसनसोल के पूर्व सांसद बाबुल सुप्रियो ने पवन सिंह को टिकट मिलने पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा था, “आसनसोल को पवन सिंह जी मुबारक हों।” बाबुल सुप्रियो ने अपने पोस्ट में पवन सिंह की फिल्मों और एलबम के कुछ पोस्टर शेयर किए थे।

साथ ही उन्होंने लिखा था, “मैंने व्यक्तिगत रूप से इसकी पुष्टि नहीं की है और न ही करूंगा लेकिन मेरे पास इन फिल्मों के पोस्टरों की बाढ़ आ गई है। कलाकार पवन जी के खिलाफ कुछ भी नहीं है लेकिन अगर ये पोस्टर सच हैं तो यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि बंगाल के लिए और विशेष रूप बंगाल की महिलाओं किस तरह का सम्मान है। निश्चित रूप से माननीय पीएम सर भी पोलो ग्राउंड में उनके लिए प्रचार करने आएंगे।”

आसनसोल लोकसभा क्षेत्र

असानसोल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत सात सीटें आती हैं। इसमें से पांडवेश्वर, रानीगंज, जमूरिया, आसनसोल उत्तर, बारबानी पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है। वहीं दो सीटों कुल्टी और आसनसोल दक्षिण पर भाजपा का कब्जा है।

सीट पर पहला चुनाव 1957 में हुआ था। 1957 और 1962 का चुनाव कांग्रेस ने जीता था। कांग्रेस यहां चार जबकि सीपीआईएम नौ बार जीती है। 1989 से 2009 तक लगातार सात बार सीपीआईएम जीती। भाजपा के टिकट पर 2014 और 2019 का चुनाव बाबुल सुप्रियो जीते। सुप्रियो के भाजपा छोड़ने और टीएमसी जॉइन करने के बाद 2022 में हुए उपचुनाव में तृणमूल ने सेंध लगाई और शत्रुघ्न सिन्हा आसनसोल सीट से सांसद चुने गए।

आसनसोल लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम

2019 के आम चुनाव में आसनसोल सीट से बीजेपी के बाबुल सुप्रियो ने जीत हासिल की थी। उन्होंने टीएमसी की मुनमुन सेन को हराया था।

पार्टीकैंडीडेट वोट (प्रतिशत)
बीजेपीबाबुल सुप्रियो 51.16
टीएमसीमुनमुन सेन35.19
सीपीआई (एम)गौरांग चट्टोपाध्याय 7.08

आसनसोल लोकसभा चुनाव 2014 के परिणाम

लोकसभा चुनाव 2014 में आसनसोल सीट से बीजेपी के बाबुल सुप्रियो ने जीत हासिल की थी। उन्होंने टीएमसी की डोला सेन को हराया था।

पार्टीकैंडीडेटवोट (प्रतिशत)
बीजेपीबाबुल सुप्रियो 36.75
टीएमसी डोला सेन 30.58
सीपीआई (एम)बंसा गोपाल चौधरी 22.39
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Tags :
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