Lok Sabha Chunav 2024: यूपी की इस सीट पर आज तक नहीं जीती बसपा, बीजेपी ने काट दिया बाहुबली नेता का टिकट
भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश की कैसरगंज लोकसभा सीट पर वर्तमान सांसद बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काटकर उनके सबसे छोटे बेटे करण भूषण सिंह को मैदान में उतारा है। यहां सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस सीट पर आज तक एक बार भी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) नहीं जीत पाई है। आइये जानते हैं क़ैसरगंज लोकसभा सीट का इतिहास और यहां से चुनाव मैदान में उतारने वाले दिग्गजों के बारे में।
यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से एक कैसरगंज सीट पिछले कुछ दिनों से काफी चर्चा में है। भाजपा ने एक तरफ यहां से यौन उत्पीड़न के आरोपी छह बार के सांसद बृजभूषण को मैदान में न उतारकर किसी भी तरह के विवाद से बचने का प्रयास किया है। साथ ही यह ध्यान रखने के लिए कि कैसरगंज और आस-पास के इलाकों में उसका दबदबा कम न हो जाए, बृजभूषण के परिवार के किसी व्यक्ति को टिकट दे दिया। वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) ने सीनियर वकील भगत राम मिश्रा और बसपा ने नरेंद्र पांडे को कैसरगंज सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
बसपा कैसरगंज सीट पर आज तक अपना खाता नहीं खोल पायी
1952 में सीट के गठन के बाद हिंदू महासभा की शकुंतला नायर कैसरगंज से पहली सांसद थीं। इस सीट से 3 बार कांग्रेस, दो बार भाजपा और एक बार समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की है पर बसपा इस सीट पर आज तक अपना खाता नहीं खोल पायी है। इस सीट पर सबसे लंबे समय तक सांसद सपा के बेनी प्रसाद वर्मा थे जो यहां 1996 से लेकर 2009 तक का लोकसभा चुनाव जीते थे। पिछले दो चुनावों (2019 और 2014) में यहां भाजपा के बृजभूषण शरण ने जीत हासिल की थी।
टिकट देने में बीजेपी का कंफ्यूजन
यूपी की 80 सीटों में से बीजेपी 75 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उनमें से 5 सीटें एनडीए सहयोगियों के लिए छोड़ दी गई हैं। पार्टी ने नॉमिनेशन फाइल करने के आखिरी दिन से ठीक एक दिन पहले 2 मई को सबसे अंत में रायबरेली के साथ-साथ कैसरगंज के उम्मीदवार की घोषणा की। भाजपा की ऊहापोह बृज भूषण को टिकट देने पर थी। भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व प्रमुख बृजभूषण पर छह महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। छह बार के सांसद (पांच बार भाजपा और एक बार सपा के टिकट पर), बृजभूषण को एक मजबूत ठाकुर नेता के रूप में जाना जाता है, जिनका पूर्वी यूपी में काफी प्रभाव है।
पिता बृजभूषण के नाम का सहारा ले रहे करण
हालांकि, बड़ा फैसला लेते हुए भाजपा ने बृज भूषण को टिकट नहीं देकर उनके बेटे को उतार दिया। चूंकि भाजपा ने उनके बेटे को कैसरगंज से उम्मीदवार बनाया है इसलिए बृजभूषण ने खुद को प्रचार अभियान से दूर रखा है। हालांकि, करण जो यूपी कुश्ती महासंघ के प्रमुख हैं अपने प्रचार में पिता का जिक्र करते रहते हैं।
करण ने बहराइच जिले के पयागपुर विधानसभा क्षेत्र में एक रैली में कहा, “मैं आज आपके सामने एक बेटे, भतीजे या दोस्त की तरह खड़ा हूं। आपने 35 सालों तक मेरे पिता को अपना समर्थन और आशीर्वाद दिया है। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि मैं आपको उनकी कमी महसूस नहीं होने दूंगा।''
बृजभूषण के बेटे को टिकट देने के पीछे कारण
एक और कारण जिस वजह से भाजपा ने कारण को टिकट दिया है वह है यूपी में ठाकुर समुदाय के बीच पार्टी के खिलाफ गुस्सा। यूपी में एक प्रमुख ठाकुर नेता बृजभूषण को टिकट नहीं दिए जाने से ठाकुर समुदाय और अधिक आहात महसूस करता। समुदाय के नेताओं को टिकट नहीं मिलने पर भाजपा को पश्चिमी और यूपी के अन्य हिस्सों में कुछ विरोध का सामना करना पड़ा है। ऐसे में बृजभूषण को टिकट देने से इनकार करने से विपक्षी दलों को ठाकुरों तक पहुंचने का मौका मिल जाता जो राज्य की आबादी का लगभग 7% हैं और भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण वोट बैंक हैं।
गोंडा में एक भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी द्वारा बृजभूषण के बेटे को टिकट देने का तीसरा कारण यह है कि ऐसी संभावना थी कि भाजपा की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी बृजभूषण को क़ैसरगंज निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतार सकती थी।
समाजवादी पार्टी में टिकट पर घमासान
समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेतृत्व को गोंडा में कड़े विरोध का सामना करना पड़ा जब उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता भगत राम मिश्रा को कैसरगंज सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया। मिश्रा की उम्मीदवारी के बारे में पता चलते ही स्थानीय नेताओं के एक समूह ने लखनऊ में शीर्ष नेतृत्व से संपर्क किया था। पार्टी द्वारा बाहरी व्यक्ति को उम्मीदवार बनाए जाने पर स्थानीय नेताओं ने आपत्ति जताई थी। हालांकि, शीर्ष नेतृत्व के समझाने और भगत राम का समर्थन करने के लिए कहने के बाद मामला सुलझ गया।
भगत राम मिश्रा ने 2004 का लोकसभा चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रुबाब सईदा से लगभग 26,000 वोटों से हार गए। भगत राम काफी समय से राजनीति में सक्रिय हैं और गरीब किसानों और हाशिये पर पड़े लोगों की चिंताओं को दूर करने के लिए जाने जाते हैं।
कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र
करीब 17 लाख वोटों वाली कैसरगंज सीट पर ब्राह्मण समुदाय का वर्चस्व है, जिसकी आबादी लगभग 30% है। वहीं 20% ठाकुर, 10% कुर्मी (ओबीसी), 10% दलित और 15% मुस्लिम हैं। इसमें पांच विधानसभा सीटें जिनमें गोंडा जिले की तीन और बहराइच जिले की दो सीटें शामिल हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में, भाजपा ने चार सीटें जीती थीं और समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर थी।
कैसरगंज लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम
2019 के आम चुनाव में बृजभूषण ने बसपा के चंद्रदेव राम यादव को 2.61 लाख से अधिक वोटों से हराया था।
पार्टी | कैंडीडेट | वोट (प्रतिशत) |
बीजेपी | बृजभूषण शरण सिंह | 59.24 |
बसपा | चंद्रदेव राम यादव | 32.58 |
कांग्रेस | विनय कुमार पांडे | 3.78 |
कैसरगंज लोकसभा चुनाव 2014 के परिणाम
2014 के लोकसभा चुनाव में बृजभूषण ने सपा के विनोद कुमार को 78 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। कांग्रेस उम्मीदवार मुकेश श्रीवास्तव यहां 6.08% वोटों के साथ चौथे स्थान पर थे।
पार्टी | कैंडीडेट | वोट (प्रतिशत) |
बीजेपी | बृजभूषण शरण सिंह | 40.44 |
सपा | विनोद कुमार | 32.15 |
बसपा | कृष्णा कुमार ओझा | 15.55 |