मुजफ्फरनगर हार पर बीजेपी में रार: अपनी करनी से हारे- संजीव बालियान को संगीत सोम का जवाब
एक तरफ जहां भाजपा उत्तर प्रदेश में अपने लोकसभा चुनाव प्रदर्शन की समीक्षा करने में जुटी है, वहीं कई नेताओं ने पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए आंतरिक कलह को जिम्मेदार ठहराया है। दूसरी ओर पश्चिम यूपी के दो प्रमुख भाजपा नेता सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और मुजफ्फरनगर से दो बार के सांसद संजीव बालियान ने पार्टी के पूर्व सरधना विधायक संगीत सिंह सोम पर समाजवादी पार्टी का समर्थन करके उन्हें चुनाव हराने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। बालियान इस बार सपा के हरेंद्र मलिक से 24,672 वोटों से चुनाव हार गए हैं।
सरधना मुजफ्फरनगर संसदीय सीट के पांच विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। बालियान ने गुरुवार को द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “संगीत सोम ने चुनाव में सपा उम्मीदवार का समर्थन किया था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजपूत समुदाय की पंचायतों के जरिए माहौल खराब किया गया था और वह इन पंचायतों के सूत्रधार थे। जिससे समाज बंट गया। इसका असर कैराना और सहारनपुर में भी नतीजों पर पड़ा।"
बालियान ने हार के लिए संगीत सोम को ठहराया जिम्मेदार
कांग्रेस के इमरान मसूद ने जहां सहारनपुर सीट जीती, वहीं कैराना सीट पर सपा की इकरा चौधरी की जीत हुई। चुनावों से पहले, संजीव बालियान को पार्टी में जाट प्रभुत्व और राजपूतों को दरकिनार किए जाने से नाराज राजपूतों के बहिष्कार का सामना करना पड़ा।
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बालियान जो एक जाट हैं, उनका कहना है कि विपक्ष की तरफ मुस्लिम वोटों का एकजुट होना, हिंदुओं के बीच विभाजन और कम मतदान उनकी हार के प्रमुख कारण थे। हालाँकि, उन्होंने कहा, कि जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के साथ गठबंधन से भाजपा को मदद मिली। पश्चिम की 19 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने 10 और आरएलडी ने दो सीटें जीतीं। भाजपा ने 2019 के आम चुनाव में इनमें से 12 सीटें जीती थीं। उस समय रालोद सपा और बसपा की सहयोगी थी।
भाजपा का एक भी कार्यकर्ता संजीव बालियान को पसंद नहीं करता- सोम
वहीं, संगीत सोम जो एक राजपूत हैं, उन्होंने बालियान के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि संजीव चुनाव हार गए क्योंकि उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं का समर्थन खो दिया था। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “भाजपा का एक भी कार्यकर्ता संजीव बालियान को पसंद नहीं करता था और यहां तक कि लोगों ने पार्टी नेतृत्व से कहा कि उन्हें टिकट नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने पिछले 10 सालों में पार्टी के लोगों के लिए काम नहीं किया। वह हार गए क्योंकि भाजपा कार्यकर्ता निष्क्रिय हो गए।”
बालियान खुद सपा समर्थक रहे हैं- संगीत
संजीव द्वारा उन पर सपा का समर्थन करने का आरोप लगाने के बारे में पूछे जाने पर संगीत सोम ने कहा, बालियान खुद सपा समर्थक रहे हैं। सोम ने दावा किया कि इस क्षेत्र में भाजपा और सपा को लगभग बराबर वोट मिले। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक सरधना में बीजेपी 45 वोटों से हार गई। शेष विधानसभा क्षेत्रों में से, भाजपा ने मुजफ्फरनगर और खतौली में जीत हासिल की जबकि सपा ने बुढ़ाना और चरथावल में जीत हासिल की।
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सोम ने कहा, “यूपी के मुख्यमंत्री और राज्य भाजपा अध्यक्ष की उपस्थिति में एक संगठनात्मक बैठक में, बालियान ने खुद मांग की कि बुढ़ाना और चरथावल विधानसभा क्षेत्रों में कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए और उन्होंने इन दोनों क्षेत्रों में चुनाव प्रबंधन की देखभाल की। उसने दोनों को खो दिया, जिसमें बुढ़ाना भी शामिल है जहां वह खुद रहते हैं। यहां तक कि वह बुढ़ाना के सोरम गांव में भी हार गए जो जाटों का सबसे बड़ा गांव है। वह अपनी हार के लिए मुझे कैसे दोषी ठहरा सकते हैं?”
यूपी में कहां कितनी है जाटों की जनसंख्या
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'भाजपा कार्यकर्ता निष्क्रिय हो गए'
सोम ने कहा कि पश्चिमी यूपी में भाजपा कार्यकर्ता निष्क्रिय हो गए और मतदाता पर्चियां नहीं बांटीं। वोटों का बंटवारा और कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता भी हार की वजह बनी। इस आरोप को खारिज करते हुए कि उन्होंने भाजपा के खिलाफ राजपूत समुदाय की पंचायतें आयोजित कीं, सोम ने कहा, “मैं इनमें से किसी भी पंचायत में शामिल नहीं हुआ। मैंने डैमेज-कंट्रोल किया, लोगों को आश्वस्त किया और पार्टी के लिए वोट जुटाये। राजपूत गांवों में भाजपा नहीं हारी।"
संगीत सोम जब बालियान के आरोपों का जवाब देने के लिए एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान पूर्व विधायक के लेटरहेड पर तैयार किया गया एक बयान उनके घर के बाहर वितरित किया गया था। बयान में बालियान पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया। सोम ने गुरुवार को खुद को इससे अलग कर लिया और कहा कि एक अज्ञात व्यक्ति ने वो पर्चे बांटे थे। सोम ने कहा कि उन्होंने अपने लेटरहेड के दुरुपयोग के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
संगीत सोम को मानहानि का नोटिस
उधर, संजीव बालियान के करीबी संजीव सहरावत का एक वीडियो प्रसारित हो रहा है। जिसमे संगीत सोम की अर्जित संपत्ति की जांच की मांग की है। साथ ही दस करोड़ की मानहानि का नोटिस पूर्व विधायक को भेजा है।
मुजफ्फरनगर एकमात्र निर्वाचन क्षेत्र नहीं है जहां भाजपा नेताओं ने पार्टी की हार के लिए अपने पार्टी सहयोगियों को जिम्मेदार ठहराया है। कुछ अन्य निर्वाचन क्षेत्र जहां ऐसे आरोप सामने आए हैं, वे हैं रामपुर, मोहनलालगंज, श्रावस्ती, लालगंज, संभल, बस्ती, बाराबंकी, फैजाबाद, सुल्तानपुर, इलाहाबाद, कौशांबी, बदांयू और सीतापुर। जहां पार्टी नेताओं ने आंतरिक कलह को पार्टी की हार के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
सीएसडीएस-लोकनीति के पोस्ट पोल सर्वे के आंकड़ों से सामने आया है कि उत्तर प्रदेश में किस जाति के मतदाताओं ने किस राजनीतिक दल को कितने प्रतिशत वोट दिए हैं।
समुदाय का नाम | इंडिया | एनडीए | बीएसपी | अन्य |
सवर्ण | 16 | 79 | 1 | 4 |
यादव | 82 | 15 | 2 | 2 |
कुर्मी-कोइरी | 34 | 61 | 2 | 3 |
अन्य ओबीसी | 34 | 59 | 3 | 4 |
जाटव | 25 | 24 | 44 | 7 |
गैर-जाटव | 56 | 29 | 15 | 1 |
मुस्लिम | 92 | 2 | 5 | 1 |
बीजेपी और जाट वोट
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ चुनावों के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि जाट समुदाय के बड़े हिस्से का समर्थन बीजेपी को मिल रहा है जबकि उससे पहले यह समुदाय आरएलडी के साथ था। साल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाट समुदाय आरएलडी से दूर चला गया और इसका सीधा नुकसान जयंत चौधरी को हुआ। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में आरएलडी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 5 सीटों पर जीत मिली थी। इसके साथ ही पार्टी का वोट शेयर भी 2014 में 2.5 प्रतिशत के मुकाबले 0.9 प्रतिशत हो गया था।
सीएसडीएस के आंकड़ों के मुताबिक, 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 77 प्रतिशत जाट मतदाताओं ने वोट दिया था। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा, बसपा और आरएलडी के गठबंधन के बाद भी जाट समुदाय के 91 प्रतिशत मतदाताओं ने बीजेपी को वोट दिया था।
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भाजपा से नाराज थे राजपूत
बीजेपी से राजपूत समुदाय की नाराजगी साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सरधना सीट से संगीत सोम को मिली हार के बाद शुरू हुई थी। समुदाय के लोगों का कहना है कि 2022 के चुनाव में संगीत सोम को हराने में संजीव बालियान का हाथ था। तब सपा के अतुल प्रधान ने संगीत सोम को हराया था।
इसके अलावा क्षत्रिय राजाओं के इतिहास से छेड़छाड़ करने, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के द्वारा राजपूत युवाओं पर मुकदमे दर्ज कराने, टिकट बंटवारे में समुदाय को उचित प्रतिनिधित्व नहीं देने के आरोप भी इस समुदाय के नेताओं ने लगाए थे। गाजियाबाद सीट से पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीके सिंह का टिकट काटे जाने से भी समुदाय के लोगों में गुस्सा था।