Bihar Lok Sabha Chunav 2024: अमित शाह ने जिन्हें बताया जिगरी दोस्त, वे लड़ रहे यहां से चुनाव, लगा पाएंगे जीत की हैट्रिक?
बिहार में चौथे चरण में जिन लोकसभा सीटों पर मतदान होना है, उनमें एक सीट ऐसी है जहां से बीजेपी के उम्मीदवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपना जिगरी दोस्त बताया है।
अमित शाह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद पार्टी के सबसे बड़े चुनावी चेहरे भी हैं। शाह ने हाल ही में एक चुनावी रैली में कहा कि नित्यानंद राय उनके जिगरी दोस्त हैं और वह यहां उन्हें जिताने के लिए आए हैं। शाह ने यह भी कहा कि जनता राय को चुनाव जिताकर संसद में भेजे, उन्हें बड़ा आदमी बनाने का काम वह खुद करेंगे।
शाह बीजेपी में जिस नेता को अपना जिगरी दोस्त बताते हों, वह नेता जिस सीट से चुनाव लड़ रहा है, वह सीट अपने आप में काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। नित्यानंद राय की इस सीट का नाम है- उजियारपुर।
Nityanand Rai BJP: बीजेपी में तेजी से आगे बढ़े हैं राय
नित्यानंद राय ने पिछले कुछ सालों में बीजेपी में तेजी से राजनीतिक सफर तय किया है। वह बिहार में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान जब वह प्रदेश अध्यक्ष थे तब एनडीए को बिहार की 40 में से 39 सीटों पर जीत मिली थी। वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। बिहार में पार्टी की चुनावी नीतियों को तय करने और चुनाव प्रबंधन में भी उनकी अहम भूमिका रहती है। नित्यानंद राय के पास केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जैसा बड़ा ओहदा भी है।
नित्यानंद राय इस बार उजियारपुर से हैट्रिक की दहलीज पर हैं। उजियारपुर की लोकसभा सीट 2008 में अस्तित्व में आई थी और 2014 और 2019 में यहां से नित्यानंद राय को जीत मिली थी। 2014 में नित्यानंद राय ने राजद के उम्मीदवार आलोक कुमार मेहता को 61,000 वोटों के अंतर से हराया था जबकि 2019 में उनकी जीत का आंकड़ा बढ़कर 2.77 लाख वोटों का हो गया था।
2019 में राय ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को हराया था। लेकिन इस बार उपेंद्र कुशवाहा एनडीए के साथ हैं और काराकाट की लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
Ujiarpur Alok Kumar Mehta: हार का बदला लेना चाहते हैं मेहता
2024 में भी राजद ने आलोक कुमार मेहता को ही अपना उम्मीदवार बनाया है। आलोक कुमार मेहता नित्यानंद राय को चुनाव हराने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। वह 2014 के चुनाव में मिली हार का बदला लेना चाहते हैं लेकिन क्या ऐसा कर पाना उनके लिए आसान होगा।
Ujiarpur Caste Equation: सबसे ज्यादा हैं यादव मतदाता
राजनीतिक दलों से मिले आंकड़ों के मुताबिक, उजियारपुर में यादव मतदाता सबसे ज्यादा हैं। यहां पर यादव 15%, मुसलमान 9%, सवर्ण 13%, कोइरी 8%, कुर्मी 4%, रविदास 5, पासवान 9% के अलावा मल्लाह और वैश्य समुदाय के मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं। 16 लाख मतदाताओं वाली इस लोकसभा में जीत हासिल करने के लिए जाति का भी बहुत महत्व है। नित्यानंद राय यादव जाति से आते हैं जबकि आलोक कुमार मेहता कुशवाहा से। मेहता को राजद उम्मीदवार होने की वजह से यादव मतदाताओं का साथ मिल सकता है लेकिन नित्यानंद राय की भी पकड़ यहां मजबूत है। पिछले चुनाव में उन्होंने अपने जीत के अंतर को अच्छा-खासा बढ़ाया था।
उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में पातेपुर (एससी), उजियारपुर, मोरवा, सरायरंजन, मोहिउद्दीननगर और विभूतिपुर विधानसभा सीटें आती हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में दो-दो सीटों पर आरजेडी और बीजेपी को और 1-1 सीट पर सीपीएम और जेडीयू को जीत मिली थी। आलोक कुमार मेहता उजियारपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं।
आलोक कुमार मेहता चुनाव प्रचार के दौरान नित्यानंद राय पर यह कहकर निशाना साधते हैं कि 10 साल के उनके कार्यकाल में जितना विकास होना था नहीं हुआ। वह बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को भी चुनावी मुद्दा बनाते हैं। जबकि नित्यानंद राय चुनाव प्रचार के दौरान जनता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटियों के बारे में बताते हैं। बीजेपी ने यहां राम मंदिर निर्माण, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने जैसे राष्ट्रवाद के मुद्दों को भी चुनाव प्रचार में शामिल किया है।
Amresh Rai Ujiarpur: मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं अमरेश राय
उजियारपुर में राजद के बागी नेता अमरेश राय मुकाबला को त्रिकोणीय बना रहे हैं। वह आरजेडी से टिकट मांग रहे थे लेकिन टिकट न मिलने पर निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतर गए हैं। अमरेश राय के चुनाव लड़ने की वजह से यादव वोटों का बंटवारा हो सकता है और इससे राजद के उम्मीदवार आलोक कुमार मेहता को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा उपेंद्र कुशवाहा के इस बार एनडीए के साथ होने की वजह से भी नित्यानंद राय को फायदा मिलेगा।