Smart City Mission: 15,000 करोड़ की लागत के प्रोजेक्ट्स अधूरे, कब बनेंगे शहर स्मार्ट?
क्या स्मार्ट सिटी मिशन के तहत चल रहे प्रोजेक्ट्स की डेडलाइन को एक बार फिर बढ़ाया जाएगा। क्या केंद्र की मोदी सरकार डेडलाइन को बढ़ाने पर विचार कर रही है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत चल रहे प्रोजेक्ट्स के लिए 30 जून, 2024 की डेडलाइन रखी गई थी लेकिन यह लगभग तय है कि इस डेडलाइन तक भी इस मिशन के तहत चल रहे काम पूरे नहीं हो पाएंगे।
स्मार्ट सिटी मिशन को केंद्र सरकार ने 2015 में लॉन्च किया था। इसके तहत जनवरी 2016 से जून 2018 तक देश के 100 शहरों का चुनाव किया गया था। जिन शहरों का चुनाव किया गया था, उन्हें 5 साल का वक्त दिया गया था कि वे इस अवधि में अपने सभी प्रोजेक्ट्स को पूरा करेंगे।
दो बार बढ़ाई गई डेडलाइन
कोरोना महामारी की वजह से स्मार्ट सिटी मिशन के प्रोजेक्ट्स की डेडलाइन को जून, 2023 तक बढ़ा दिया गया था। पिछले साल मई में शहरी विकास मंत्रालय ने एक बार फिर इस डेडलाइन को बढ़ाया था और इसे 30 जून, 2024 कर दिया गया था।
क्या मतलब है स्मार्ट सिटी का?
स्मार्ट सिटी मिशन भारत सरकार का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, इसके तहत देश भर में 100 शहरों को विकसित करना, उन्हें लोगों की सुविधाओं के अनुकूल बनाना है। इसके तहत ई-गवर्नेंस, कूड़ा प्रबंधन, जल प्रबंधन, ऊर्जा प्रबंधन, कौशल विकास, बुनियादी ढांचा विकसित करना आदि काम होने हैं। इस मिशन के लिए लगभग 2 लाख करोड़ रुपए अलग से रखे गए थे। केंद्र और राज्य इसके लिए बराबर-बराबर पैसा देते हैं।
15,000 करोड़ रुपए की लागत के प्रोजेक्ट्स अधूरे
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, स्मार्ट सिटी मिशन के तहत चल रहे प्रोजेक्ट में से लगभग 10% प्रोजेक्ट जो 15,000 करोड़ रुपए की लागत के हैं, वे अभी तक पूरे नहीं हुए हैं और ऐसे में यह जरूरी है कि इन प्रोजेक्ट्स के पूरा होने की डेडलाइन को आगे बढ़ाया जाए।
छह महीने का वक्त और लगेगा?
शहरी विकास मंत्रालय के स्मार्ट सिटी मिशन डैशबोर्ड से पता चलता है कि 1.64 लाख करोड़ रुपये के कुल 7,996 प्रोजेक्ट्स में से 1.43 लाख करोड़ रुपये के 7,118 प्रोजेक्ट्स 7 जून तक पूरे हो चुके थे। जबकि 21,189 करोड़ की 878 परियोजनाएं अभी भी चल रही हैं। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वर्तमान में चल रहे विकास कार्यों को पूरा करने में शहरों को लगभग छह महीने का वक्त और लग सकता है।
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत सभी 100 शहरों में 11,775 करोड़ रुपये की लागत से एकीकृत कमांड और नियंत्रण केंद्र स्थापित किए गए हैं। 44,300 रुपये की पानी, सफाई और स्वच्छता (WASH) से जुड़े प्रोजेक्ट्स, 33,019 करोड़ रुपये के स्मार्ट मोबिलिटी प्रोजेक्ट्स और 15,474 करोड़ रुपये के स्मार्ट गवर्नेंस प्रोजेक्ट्स को पूरे हो चुके कामों में शामिल किया गया है।
खट्टर के सामने है चुनौती
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को मोदी सरकार ने शहरी आवास मंत्रालय का जिम्मा दिया गया है। खट्टर के सामने सबसे पहली चुनौती स्मार्ट सिटी मिशन के तहत चल रहे प्रोजेक्ट्स को जल्द से जल्द पूरा करने की है।
केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने इस साल जनवरी में बताया था कि 100 स्मार्ट शहरों में 600 किमी. से अधिक लंबे साइकिल ट्रैक विकसित किए गए हैं, जबकि 76,000 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत, 6,855 ‘स्मार्ट क्लासरूम’ और 40 डिजिटल लाइब्रेरी बनाई गई हैं। 50 लाख से अधिक सोलर और एलईडी स्ट्रीटलाइटें लगाई गई हैं और 89,000 किमी. से अधिक अंडरग्राउंड बिजली केबल का निर्माण किया गया है।
राज्य सरकारों को उठाना होगा खर्च
इस साल की शुरुआत में शहरी आवास मंत्रालय ने कहा था कि अगर प्रोजेक्ट्स 30 जून तक पूरे नहीं होते हैं तो राज्य सरकारों को इन्हें खुद के खर्च पर पूरा करना होगा।
फरवरी में भी केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के सचिव मनोज जोशी ने संसद की स्थाई समिति को बताया था कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत चल रहे कुछ प्रोजेक्ट्स 30 जून की डेडलाइन तक पूरे नहीं हो पाएंगे और इसके लिए संबंधित राज्य सरकारें जिम्मेदार होंगी।
इंदौर को मिला था पहला स्थान
पिछले साल मध्य प्रदेश के इंदौर शहर को बेस्ट स्मार्ट सिटी का पुरस्कार मिला था। यह लगातार दूसरी बार था जब उसे नेशनल स्मार्ट सिटी अवार्ड मिला था। शहरी विकास मंत्रालय ने 100 स्मार्ट शहरों की जो सूची जारी की थी उसमें इंदौर के बाद सूरत और आगरा का नंबर था।