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Schedule AL: जान‍िए आईटीआर में क्‍या है शेड्यूल एएल, इनकम टैक्‍स र‍िटर्न के साथ क‍िन्‍हें देनी होती है संपत्ति की पूरी जानकारी

शेड्यूल एएल के तहत आने वाली संपत्तियों में अचल संपत्ति, चल संपत्ति और उस व्यक्ति द्वारा रखी गई अन्य वित्तीय संपत्तियां शामिल हैं।
Written by: Pawan Upreti
नई दिल्ली | Updated: June 19, 2024 19:57 IST
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आईटीआर का हिस्सा है शेड्यूल एएल।
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इनकम टैक्स र‍िटर्न (आईटीआर) भरते वक्‍त कुछ लोगों को अपनी चल और अचल संपत्ति की पूरी जानकारी आयकर विभाग को देनी होती है। कौन हैं ये लोग, क‍िस रूप में इन्‍हें देनी होती है संपत्‍त‍ि की जानकारी, क्‍या है इस संबंध में आयकर व‍िभाग का न‍ियम...जानते हैं।

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आयकर विभाग के नियमों के मुताबिक 50 लाख से अधिक की आय वाले किसी अकेले शख्स और हिंदू अविभाजित परिवार के करदाता को इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फॉर्म दो या तीन के शेड्यूल एएल (असेट्स एंड लायबिलिटी) में अपनी संपत्ति की जानकारी देनी होती है। इसके तहत उन्हें अपनी अचल संपत्ति, वित्तीय संपत्ति और देनदारी के बारे में बताना होता है।

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क्या होता है शेड्यूल एएल

शेड्यूल एएल आईटीआर का एक हिस्सा है, जिसके तहत हर वित्तीय वर्ष के अंत में करदाता के पास जितनी संपत्तियां और देनदारियां हैं, उनका खुलासा करना जरूरी होता है। शेड्यूल एएल के तहत आने वाली संपत्तियों में अचल संपत्ति, चल संपत्ति और उस व्यक्ति द्वारा रखी गई अन्य वित्तीय संपत्तियां शामिल हैं।

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शेड्यूल एएल की व्यवस्था

संपत्ति कर की व्यवस्था बंद होने के बाद 2016 में शेड्यूल एएल को पेश किया गया था। सरकार इस बात की जांच के लिए एक मॉनिटरिंग सिस्टम चाहती थी कि करदाता की संपत्ति की कीमत उसके द्वारा कमाई गई संपत्ति के बराबर है या नहीं और इसीलिए शेड्यूल एएल को लाया गया।

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पीएफ, एनपीएस, क्रिप्टोकरेंसी, आरईआईटी और पी2पी ऋण जैसी संपत्तियों की घोषणा भी करनी होती है। इन संपत्तियों को शेयर और सिक्योरिटीज कॉलम के तहत घोषित किया जा सकता है। कर कानून सिक्योरिटीज को लेकर पूरी तरह बात साफ नहीं करते हैं इसलिए सिक्योरिटीज कॉलम के तहत पीएफ, एनपीएस या आरईआईटी को घोषित किया जा सकता है।

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अपनी संपत्ति का मूल्य कैसे घोषित करें

संपत्ति की घोषणा उनकी खरीद लागत पर ही की जानी चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि करदाता गलती से उस समय का बाजार मूल्य घोषित कर देते हैं। ऐसा नहीं करना है। आपने जि‍स कीमत पर खरीदा है, वही रकम बताएं।

इसी तरह, बीमा पॉलिसियों के लिए, भुगतान किए गए प्रीमियम की रकम बताएं। वाहनों के मामले में भी खरीद मूल्‍य बताएं, न क‍ि मौजूदा मूल्‍य।

म्यूचुअल फंड, स्टॉक, फिक्स्ड डिपाजिट्स और अन्य निवेशों के लिए साल के दौरान किए गए सभी निवेशों की कुल लागत की घोषणा करें, न कि साल के अंत में न‍िवेश की गई रकम के मौजूदा मूल्य की। मतलब न‍िवेश में घाटा हुआ हो या फायदा, आपको रकम वही बतानी है जो आपने न‍िवेश क‍िया था।

देनदारियों की जानकारी कैसे दें

आपने कोई लोन ल‍िया है। उस साल 31 मार्च तक लोन की जो बकाया रकम है, वही शेड्यूल एल में बताना है। लोन की पूरी रकम नहीं। जैसे आपने 50 लाख का लोन ल‍िया और ईएमआई देने के बाद 31 मार्च को मान लीज‍िए लोन की मूल बकाया रकम 40 लाख बची है तो देनदारी 40 लाख रुपये द‍िखाएं।

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विदेशी संपत्तियों को कहां घोषित करें

शेडयूल एफए और शेडयूल एएल दोनों में ही विदेशी संपत्तियों की घोषणा की जानी चाहिए। शेडयूल एफए में विदेशी संपत्ति को कैलेंडर वर्ष के मुताबिक घोषित किया जाता है लेकिन शेडयूल एएल में यह वित्तीय वर्ष के अनुसार घोषित की जाती है।

अगर शेड्यूल एएल में संपत्ति घोषित नहीं की जाती है और या इसकी आंशिक घोषणा की जाती है तो इसके लिए कोई जुर्माना नहीं है। लेकिन यह एफए शेड्यूल के उलट है। एफए शेड्यूल में ब्लैक मनी एक्ट के तहत जांच की जाती है और 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाता है।

हालांकि ऐसा जरूर हो सकता है कि आयकर विभाग गलत जानकारी या किसी संपत्ति के बारे में अगर नहीं बताया गया है तो जुर्माना लगा सकता है। जुर्माने की रकम 25,000-50,000 रुपए तक है और यह इस पर निर्भर करती है कि जानकारी नहीं देने से किसी तरह की कर चोरी हुई या नहीं।

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