लोकसभा चुनाव 2024: पंजाब में क्या हैं आप के सामने चुनौतियां, कैसे निपटेंगे भगवंत मान?
पंजाब में विधानसभा चुनाव में भारी जीत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए लोकसभा चुनाव काफी महत्व रखता है। यहां लोकसभा चुनाव में आप के प्रदर्शन से भगवंत मान का पार्टी में कद और मान-सम्मान जुड़ा हुआ है। राज्य में पार्टी का चेहरा मुख्यमंत्री भगवंत मान ही हैं। ऐसे में अगर आप अच्छा प्रदर्शन करती है तो भगवंत मान को पार्टी में अपनी स्थिति और मजबूत करने में मदद मिलेगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो मान का पार्टी में सम्मान कम हो सकता है।
लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिरोमणि अकाली दल (शिअद), कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने पंजाब की धरती पर अकेले लड़ने का फैसला किया है। ऐसे में पंजाब की 13 सीटों पर इस बार मुक़ाबला चतुष्कोणीय है। इन सबके बीच आप के लिए इस बार पंजाब में क्या चुनौतियां हैं, इस पर एक नजर।
पंजाब में मजबूत स्थिति के बावजूद AAP नेतृत्व को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। एक्साइज पॉलिसी केस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, आप नेता संजय सिंह और मनीष सिसोदिया सहित कई हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारियों के बाद इस बार पार्टी के लिए चुनाव अभियान में कई दिक्कतें आयीं।
पंजाब आप में आंतरिक कलह
पंजाब में आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक उसके कार्यकर्ताओं के बीच पनप रहा असंतोष है, खास कर जालंधर क्षेत्र में ब्लॉक स्तर के नेताओं के बीच जो अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों की कमी के कारण पार्टी से खफा हैं। सांसद सुशील कुमार रिंकू और जालंधर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से विधायक शीतल अंगुराल के दलबदल के बाद यह असंतोष और बढ़ गया है। दोनों ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं।
आप से अलग होने पर सुशील कुमार रिंकू ने सड़क मरम्मत में प्रगति की कमी, कचरा निपटान के अपर्याप्त प्रबंधन जैसे मुद्दों का हवाला देते हुए शहर के विकास से जुड़े अपने वादों को पूरा करने में असफल होने और जनता को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने में विफलता के लिए पार्टी नेतृत्व की आलोचना की। इसी तरह, शीतल अंगुराल ने आप नेतृत्व पर आरोप लगाया कि पार्टी विकास परियोजनाओं के लिए निर्धारित धनराशि रोक रही है। इस प्रकार वे खुद को हाशिए पर महसूस कर रहे हैं और पार्टी के उच्च अधिकारियों द्वारा चीजों को नियंत्रित किया जा रहा है।
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इससे पहले, आप के राज्य स्तरीय संयुक्त सचिव बलवंत सिंह ने भी पार्टी नेतृत्व से मोहभंग व्यक्त करते हुए सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। जालंधर स्थित बलवंत सिंह ने आप पर चुनाव प्रचार के लिए पैराशूट उम्मीदवारों के पक्ष में जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को दरकिनार करने का आरोप लगाया।
पंजाब में बहुकोणीय मुक़ाबला
सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और कांग्रेस, दोनों इंडिया गठबंधन के साथ हैं पर पंजाब में दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल (SAD) और भारतीय जनता पार्टी भी 1996 से 2020 तक गठबंधन सहयोगी थे। SAD 2020 में NDA से अलग हो गया। जिसके बाद इस बार दोनों दल राज्य की सभी सीटों पर अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी पहली बार राज्य की सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है।
पंजाब लोकसभा चुनावों में लड़ी हुई सीटों पर पार्टीवार वोट शेयर
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शिअद राज्य की राजनीति में अपनी प्रासंगिकता फिर से हासिल करने के लिए पंथिक (सिख) एजेंडे पर लौटने की कोशिश कर रही है। पार्टी ने अपने घोषणापत्र में पंथिक और 'पंजाब समर्थक' घोषणाएँ की है, जिसमें 'राजनीति से ऊपर पंथिक सिद्धांत और पंजाबियों के लिए पंजाब' की बात की गयी है।
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इन मुद्दों पर फोकस कर रही कांग्रेस
वहीं, कांग्रेस, राज्य में AAP के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर पर फोकस कर रही है। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन से कांग्रेस को फायदा मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस का घोषणापत्र, किसानों का कर्ज माफ करने और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने का वादा करता है।
भाजपा सिखों और अनुसूचित जातियों (एससी) तक पहुंच और सोशल इंजीनियरिंग की नई राजनीति के साथ पंजाब में पैठ बनाने का प्रयास कर रही है। राज्य में अनुसूचित जाति की आबादी लगभग 32% है, जो देश के सभी राज्यों में सबसे अधिक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते पटियाला में अपनी रैली में इस बात पर ज़ोर डाला था कि भाजपा ने बीआर अम्बेडकर के जीवन को समर्पित पांच 'पंचतीर्थ' पवित्र स्थल विकसित किए हैं।
इंडिया गठबंधन में साथ होकर भी पंजाब में अलग-अलग लड़ रहे आप-कांग्रेस
सत्तारूढ़ आप और विपक्षी कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन के साथ हैं लेकिन पंजाब में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए एक साथ नहीं आए हैं। ऐसे में आशंका है कि बीजेपी या SAD के खिलाफ दूसरा विकल्प खोज रहे मतदाताओं के वोट कांग्रेस और आप के बीच बंट जाएंगे। इस आशंका से निपटना आप के लिए बड़ी चुनौती होगी।
राष्ट्रीय स्तर पर एक साथ खड़े दिख रहे बड़े नेताओं का राज्य स्तर पर एक दूसरे के खिलाफ प्रचार करना भी मतदाताओं पर गलत प्रभाव डाल सकता है।
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बड़े नेताओं की अनुपस्थिति
लोकसभा चुनाव से पहले आप के कई बड़े नेता जेल में थे। पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल भी हाल ही में जेल से बाहर आए। उससे कुछ समय पहले ही आप के एक और बड़े नेता संजय सिंह भी जेल से छूटे थे। पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक राघव चड्ढा भी इलाज के लिए लंदन गए हुए थे और हाल ही में देश लौटे हैं। ऐसे में बड़े नेताओं के दूर होने और हाल ही में प्रचार अभियान शुरू करने से भी आम आदमी पार्टी को नुकसान हुआ है।
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में वोटिंग का अलग-अलग पैटर्न
आप का चुनावी ट्रैक रिकॉर्ड मिश्रित रहा है। पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में 92 सीटें जीतकर आप ने राज्य की सत्ता पर कब्जा जमाया था पर उससे पहले लोकसभा चुनाव में नतीजे पार्टी के पक्ष में नहीं रहे थे। आम चुनाव 2019 में महज एक सीट जीतने वाली पार्टी ने फरवरी 2022 के विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल करते हुए पंजाब में सरकार बनाई थी।
पंजाब विधानसभा चुनावों में लड़ी हुई सीटों पर पार्टीवार वोट शेयर
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पंजाब में आप के खिलाफ सत्ता-विरोधी लहर
ज़मीनी स्तर पर पंजाब में सत्ता-विरोधी लहर नज़र आ रही है, जिसका मुख्य कारण कई AAP विधायकों की अनुपस्थिति है। अमृतसर से लेकर बरनाला तक राज्य भर के मतदाताओं की शिकायत है कि "आम आदमी" "खास" बन गया है और इसके कई विधायक 2022 की जीत के बाद से अपने निर्वाचन क्षेत्रों से लापता हैं। इस बार आम आदमी पार्टी ने अपने पांच मंत्रियों के साथ-साथ तीन विधायकों को भी मैदान में उतारा है।
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इसके साथ ही भगवंत मान सरकार की प्रशासन संबंधी कई मुद्दों के लिए आलोचना की गई है, जिसमें प्रमुख शख़्सियतों की सिक्योरिटी वापस लेने का फैसला भी शामिल है। जिसके परिणामस्वरूप गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या हुई थी। इस घटना ने पंथिक सिख समुदाय में असंतोष पैदा कर दिया है, जिससे आप के लिए दुश्वारियां बढ़ सकती हैं।
पंजाब लोकसभा चुनाव परिणाम
पिछले आम चुनाव में पंजाब की 13 सीटों में से 8 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। वहीं, शिअद और बीजेपी के खाते में दो-दो सीट और आम आदमी पार्टी ने एक सीट पर जीत हासिल की थी।
लोकसभा चुनाव 2014 की बात की जाये तो कांग्रेस ने 8, शिअद ने 4, बीजेपी ने 2 और आप ने 4 सीटों पर जीत हासिल की थी।