Punjab Lok Sabha Chunav: दलित वोटों पर कब्जे की लड़ाई में फंसे पंजाब के पूर्व दलित सीएम
पंजाब में जालंधर ऐसी सीट है, जहां पर दलित मतदाता हार और जीत का फैसला करते हैं। देश भर में सबसे ज्यादा दलित मतदाता पंजाब में हैं और यह आंकड़ा 32% है लेकिन जालंधर सीट पर दलित मतदाताओं का आंकड़ा 37% है। पंजाब में इस बार यह सीट इसलिए भी हॉट है क्योंकि यहां से पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।
चरणजीत सिंह चन्नी के अलावा यहां से आम आदमी पार्टी ने पवन टीनू, बीजेपी ने सुशील रिंकू, शिरोमणि अकाली दल ने मोहिंदर सिंह केपी और बहुजन समाज पार्टी ने बलविंदर कुमार को उम्मीदवार बनाया है। यह सभी नेता दलित समुदाय में आने वाले रविदासिया समाज से आते हैं। ऐसे में दलित समुदाय के वोटों का बंटवारा होना तय है।
Jalandhar Congress: लगातार 20 साल तक जीती कांग्रेस, पर 2023 में हारी
जालंधर सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। 1999 से लेकर 2019 तक कांग्रेस को कभी भी यहां हार का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन 2023 के उपचुनाव में यहां वह हार गई थी और आम आदमी पार्टी को जीत मिली थी।
बसपा भी बड़ा फैक्टर
जालंधर लोकसभा के चुनाव में बसपा भी एक बड़ा फैक्टर है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा को यहां 2 लाख से ज्यादा वोट मिले थे। तब कांग्रेस के उम्मीदवार संतोख सिंह चौधरी ने अकाली दल के उम्मीदवार चरणजीत सिंह चटवाल को लगभग 20,000 वोटों के फासले से शिकस्त दी थी।
Jalandhar Lok Sabha BSP: बसपा से होगा कांग्रेस को नुकसान?
जालंधर सीट पर सीधा चुनावी गणित यही है कि यहां बसपा जितने ज्यादा वोट ले जाएगी, उतनी ही वह कांग्रेस के लिए मुश्किल पैदा करेगी क्योंकि इस सीट पर कांग्रेस को कई बार जीत मिल चुकी है।
Jalandhar Lok Sabha 2023 by-election: उपचुनाव में हार गई थी कांग्रेस
संतोख सिंह चौधरी के निधन के बाद 2023 में इस सीट पर लोकसभा का उप चुनाव हुआ था। तब आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के पूर्व विधायक सुशील कुमार रिंकू को अपना उम्मीदवार बनाया था और रिंकू ने यहां संतोख सिंह चौधरी की पत्नी कर्मजीत कौर चौधरी को 59 हजार वोटों के फासले से हराया था। इस उपचुनाव में बसपा मैदान में नहीं उतरी थी।
Karamjit Kaur Chaudhary: दल-बदल और बगावत भी कांग्रेस के लिए खड़ी कर सकती है मुश्किल
कर्मजीत कौर चौधरी इस बार भी जालंधर सीट से टिकट मांग रही थीं लेकिन जब कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को उम्मीदवार बनाया तो कर्मजीत कौर चौधरी ने बीजेपी का हाथ पकड़ लिया। उनके बेटे और फिल्लौर विधानसभा सीट से विधायक विक्रमजीत सिंह चौधरी भी कांग्रेस से बगावत कर चुके हैं। कांग्रेस विक्रमजीत सिंह चौधरी को पार्टी से निलंबित कर चुकी है।
Mohinder Singh Kaypee Jalandhar: विरोधी उम्मीदवार पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और कद्दावर मोहिंंदर सिंंह केपी
जालंधर सीट पर कांग्रेस इसलिए भी मुश्किल में है क्योंकि यहां से शिरोमणि अकाली दल ने मोहिंदर सिंह केपी को उम्मीदवार बनाया है। मोहिंदर सिंह केपी पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। मोहिंदर सिंह केपी पंजाब में बड़े दलित चेहरे हैं और पंजाब के दोआबा इलाके में उनका अच्छा सियासी प्रभाव है। वह कांग्रेस की सरकार में मंत्री भी रहे हैं और 2009 में जालंधर से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। वह तीन बार जालंधर साउथ की विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं।
मोहिंदर सिंह केपी और चरणजीत सिंह चन्नी आपस में रिश्तेदार भी हैं। केपी की बेटी की शादी चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे से हुई है। केपी के पिता दर्शन सिंह केपी भी जालंधर सीट से पांच बार विधायक का चुनाव जीते थे। इस तरह केपी यहां काफी मजबूत दिखाई देते हैं।
जालंधर की लड़ाई को भगवंत मान ने बनाया सियासी इज्जत का सवाल
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने जालंधर की सीट को सियासी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। मान जालंधर सीट को इसलिए भी आम आदमी पार्टी के कब्जे में वापस लाना चाहते हैं क्योंकि सुशील रिंकू को आप में लाकर उन्होंने ही सांसद का टिकट दिलाया था। लेकिन चुनाव के दौरान ही रिंकू ने पाला बदल लिया और बीजेपी के साथ चले गए। भगवंत मान पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में सबसे ज्यादा फोकस जालंधर पर ही कर रहे हैं। वह जालंधर में पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व विधायक पवन कुमार टीनू के समर्थन में कई रोड शो कर चुके हैं। पवन कुमार टीनू अकाली दल के टिकट पर विधायक रह चुके हैं।
Charanjit Singh Channi: बयानों के कारण मुसीबत में हैं चन्नी
चरणजीत सिंह चन्नी चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए अपने दो बयानों के कारण विपक्षी दलों के निशाने पर हैं। जम्मू-कश्मीर में वायु सेवा के वाहन पर हाल में ही हुए आतंकी हमले को चरणजीत सिंह चन्नी ने स्टंट बताया था। इसे लेकर भाजपा ने उन पर हमला बोला था और चुनाव आयोग ने भी चेतावनी दी थी।
चन्नी अपने एक और बयान को लेकर चर्चा में आ गए, जब उन्होंने कहा कि अगर देश में इंडिया गठबंधन की सरकार बनती है तो पंजाब के वाघा बॉर्डर को खोल दिया जाएगा जिससे पाकिस्तान के लोग इलाज करवाने के लिए पंजाब में आना चाहें तो आ सकें। उन्होंने कहा कि इससे जालंधर में मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।
जालंधर में चुनावी लड़ाई चरणजीत सिंह चन्नी को अपने ही दम पर जीतनी है क्योंकि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजा वडिंग खुद लुधियाना सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। जाने-माने पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह चरणजीत सिंह चन्नी के लिए चुनाव प्रचार कर चुके हैं।
चन्नी का सियासी भविष्य तय करेगा चुनाव
चरणजीत सिंह चन्नी के लिए यह लोकसभा चुनाव उनके सियासी भविष्य को तय करने वाला भी है। अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाए जाने के बाद कांग्रेस ने उन पर यह सोचकर दांव लगाया था कि उसे पंजाब में दलित समुदाय का समर्थन मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 2022 के विधानसभा चुनाव में चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब में दोनों सीटों से चुनाव हार गए। इसके बाद वह कुछ वक्त के लिए विदेश चले गए और अब जब लौटे हैं तो जालंधर सीट से चुनाव जीतना उनके सियासी भविष्य के लिए बेहद जरूरी हो गया है।
Jalandhar Lok Sabha: पांच सीटें कांग्रेस और चार आप के पास
जालंधर लोकसभा सीट पर 16.51 लाख मतदाता हैं। इसमें से लगभग 5 लाख मतदाता आदिधर्म/रविदासिया और रामदासिया समुदाय से हैं जबकि 2.7 लाख मतदाता वाल्मीकि/मजहबी सिख समुदाय के हैं।
जालंधर लोकसभा सीट में नौ विधानसभा सीटें आती हैं। इनके नाम फिल्लौर (एससी), नकोदर, शाहकोट, करतारपुर(एससी), जालंधर वेस्ट (एससी), जालंधर सेंट्रल, जालंधर नॉर्थ, जालंधर कैंट, आदमपुर(एससी) हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां चार सीटों पर आम आदमी पार्टी को जबकि पांच सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी।