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Odisha Lok Sabha Election 2024: द्रौपदी मुर्मू के नाम पर मयूरभंज की जंग जीतना चाहते हैं बीजेपी और बीजेडी

ओडिशा की मयूरभंज सीट पर 1 जून को अंतिम चरण में लोकसभा चुनाव होंगे।
Written by: ईएनएस | Edited By: shruti srivastava
नई दिल्ली | Updated: May 28, 2024 14:19 IST
odisha lok sabha election 2024  द्रौपदी मुर्मू के नाम पर मयूरभंज की जंग जीतना चाहते हैं बीजेपी और बीजेडी
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Source-PTI)
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ओडिशा की आदिवासी बहुल मयूरभंज लोकसभा सीट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम से जानी जाती है। राष्ट्रपति का होम टाउन होने के नाते, आम चुनावों में इस सीट पर बड़ा दांव लगाया जाता है। वर्तमान में यहां के सांसद भारतीय जनता पार्टी के बिश्वेश्वर टुडू हैं। Sujit Bisoyi की रिपोर्ट में जानिए क्या हैं मयूरभंज के हालात।

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राष्ट्रपति मुर्मू अपने गृह जिले मयूरभंज में भाजपा के लिए प्रचार का केंद्र हैं। भाजपा मुर्मू फैक्टर पर भारी भरोसा कर रही है। आदिवासी बहुल जिले में अपनी जीत दोहराने के लिए पीएम मोदी भी बुधवार को जिले के बारीपदा शहर पहुंचेंगे। द्रौपदी मुर्मू संथाल जनजाति से हैं जिनकी पड़ोसी राज्य झारखंड के साथ-साथ ओडिशा के मयूरभंज और क्योंझर जिलों में प्रमुख उपस्थिति है।

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भारत की राष्ट्रपति बनने वाली पहली आदिवासी महिला और महिलाओं और हाशिए पर रहने वालों के लिए अधिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता के उदाहरण के रूप में भाजपा द्रौपदी मुर्मू का हवाला देती रही है। राष्ट्रपति मुर्मू का पिछले साल विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा नेताओं के भाषणों में अक्सर उल्लेख हुआ था। इस बार भी ओडिशा में चुनाव प्रचार करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "ओडिशा की बेटी" को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर नामांकित करने के अपनी सरकार के फैसले के बारे में कई बार बात की है।

'द्रौपदी मुर्मू के नाम पर देंगे बीजेपी को वोट'

बांगिरिपोसी शहर में किराने की दुकान चलाने वाले स्थानीय धीरेन मारंडी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “हमें द्रौपदी मुर्मू पर गर्व है जो अपने जीवन में कई बाधाओं को पार करते हुए यहां तक ​​​​पहुंची हैं जहां वह आज हैं। अगर किसी अन्य कारण से नहीं तो मैं इस बार मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने के फैसले के कारण भाजपा को वोट दूंगा।"

कौन-कौन है मयूरभंज के चुनावी मैदान में?

बीजद ने सुदाम मारंडी को मयूरभंज से उतारा है। वहीं, भाजपा ने मुर्मू के विश्वासपात्र नबा चरण माझी को मैदान में उतारा है, जो रायरंगपुर के मौजूदा विधायक हैं। रायरंगपुर सीट का राष्ट्रपति मुर्मू ने 2009 तक दो बार प्रतिनिधित्व किया था। जेएमएम संस्थापक सिबू सोरेन की बेटी अंजलि सोरेन, जो 2019 में भी यहां से चुनाव लड़ी थीं इंडिया गठबंधन से उम्मीदवार हैं। मयूरभंज अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित सीट है।

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बारिपदा शहर के एक टैक्सी चालक फकीरा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "शिबू सोरेन की बेटी ने भी पिछली बार चुनाव लड़ा था लेकिन छाप नहीं छोड़ पाईं। झामुमो, जिसकी कभी मयूरभंज में मजबूत उपस्थिति थी, 2014 के चुनावों से पहले सुदाम मरांडी के पार्टी से बाहर होने के बाद अब बहुत कमजोर हो गई है।”

राष्ट्रपति मुर्मू ने मयूरभंज से की थी अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत

राष्ट्रपति मुर्मू ने 1997 में मयूरभंज में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी और रायरंगपुर अधिसूचित क्षेत्र परिषद (नगर पंचायत) से पार्षद के रूप में चुनी गईं। उन्होंने परिषद की उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। द्रौपदी मुर्मू पहली बार 2000 में विधानसभा के लिए चुनी गईं और उन्होंने नवीन पटनायक सरकार में मंत्री के रूप में काम किया। उनके पास वाणिज्य और परिवहन, और मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास जैसे विभाग थे। 2004 के चुनावों में उन्होंने अपनी सीट बरकरार रखी।

भाजपा ने पहली बार 1998 में मयूरभंज सीट जीती और फिर 1999 में भी भाजपा ने यहां जीत का परचम लहराया। 2004 में, सुदाम मारंडी जो अब बीजेडी में हैं, ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के टिकट पर यहां विजय पताका लहराई थी। 2019 में भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने यह सीट जीती थी। अपने प्रदर्शन को दोहराने और सत्ता विरोधी लहर की चुनौती का सामना करने के लिए इस बार भाजपा ने टुडू को हटा दिया है और रायरंगपुर के मौजूदा विधायक नबा चरण माझी को मैदान में उतारा है। भाजपा ने लोकसभा सीट के सात विधानसभा क्षेत्रों में से पांच जीतकर मयूरभंज में भी अपना दबदबा कायम किया।

क्या है बीजेडी का गेम प्लान?

बीजद ने 2019 की हार के बाद मयूरभंज में स्ट्रक्चरल सुधार करना शुरू कर दिया था। पार्टी ने अपने संगठनात्मक सचिव प्रणब प्रकाश दास को मयूरभंज पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया। दास ने पार्टी को जिले में फिर से जमीन हासिल करने में मदद की, जो 2022 के पंचायत चुनावों में स्पष्ट हुआ जब बीजद ने जिला परिषद का गठन किया।

पार्टी आदिवासियों के लिए पटनायक सरकार की कल्याणकारी पहल पर भरोसा कर रही है। बीजेडी द्रौपदी मुर्मू के नाम को भी भुना रही है। 24 मई को मयूरभंज में एक चुनावी रैली में, सीएम पटनायक ने राष्ट्रपति मुर्मू को अपनी भौनी (बहन) बताया और कहा कि बीजद उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करता है। राज्य सरकार ने बारिपदा में एक मेडिकल कॉलेज का नाम प्रसिद्ध संथाली कवि और ओल चिकी लिपि के निर्माता पंडित रघुनाथ मुर्मू के नाम पर रखा है।

मयूरभंज पर है बीजेडी का फोकस

मयूरभंज में बीजेडी ने अपने चुनावी अभियान के लिए अपने कई वरिष्ठ नेताओं को मयूरभंज के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में तैनात किया है। पार्टी उम्मीदवार सुदाम मारंडी बांगिरिपोसी से पांच बार विधायक हैं। अपना गढ़ बरकरार रखने के लिए मारंडी की पत्नी रंजीता विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं।

मयूरभंज लोकसभा चुनाव परिणाम

पिछले आम चुनाव में मयूरभंज में बीजेपी उम्मीदवार बिश्वेश्वर टुडू ने कड़े मुक़ाबले में सीट जीती थी। उन्होंने बीजेडी के देबाशीष मारंडी को हराया था। बिश्वेश्वर को 4.83 लाख और देबाशीश को 4.58 लाख वोट मिले थे।

Source- Indian Express
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