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नवीन पटनायक के फैसले से बीजेपी के ल‍िए मुश्‍क‍िल हुआ राज्‍यसभा का 'नंबर गेम', कई छोटे दलों की करनी पड़ सकती है खुशामद

मोदी सरकार को अपने पिछले दोनों कार्यकाल में कई विधेयकों को पास कराने में बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस का समर्थन मिला था।
Written by: Pawan Upreti
नई दिल्ली | Updated: June 25, 2024 16:14 IST
नवीन पटनायक के फैसले से बीजेपी के ल‍िए मुश्‍क‍िल हुआ राज्‍यसभा का  नंबर गेम   कई छोटे दलों की करनी पड़ सकती है खुशामद
विधेयक पास कराने में होगी बीजेपी को मुश्किल। (Source-PTI)
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लोकसभा चुनाव में झटके के बाद बीजेपी से राज्‍यसभा में भी एक बड़ा सहारा छ‍िन गया है। 17वीं लोकसभा के कार्यकाल में कई महत्‍वपूर्ण ब‍िल राज्‍यसभा से पास कराने में मदद करने वाले बीजू जनता दल (बीजेडी) ने साफ क‍िया है क‍ि अब वह राज्‍यसभा में भाजपा/एनडीए का साथ नहीं देगी।

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कई सालों बाद भाजपा के हाथों ओड़‍िशा में सत्‍ता गंवाने वाली बीजेडी के अध्यक्ष और राज्‍य के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा है कि उनका दल राज्यसभा में केंद्र सरकार का विरोध करेगा।

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प‍िछली बार राज्‍यसभा में एनडीए का साथ देने वाली वाईएसआर कांग्रेस पहले कह चुकी है कि वह न तो इंडिया और न ही एनडीए गठबंधन के साथ है और सोच-समझकर समर्थन करेगी।

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बीजेपी में नहीं थम रही रार। (Source-PTI)

245 सांसदों वाली राज्यसभा में किसी विधेयक को पास कराने के लिए 123 सासंदों का समर्थन होना जरूरी है। एनडीए के पास अभी राज्‍यसभा में 106 सांसद हैं। दस सीटों पर चुनाव होना है। इनमें से छह बीजेपी जीत सकती है। इसके बाद भी उसके सांसदों की संख्‍या 112 ही पहुंचेगी।

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बीजेडी के राज्यसभा में 9 और वाईएसआर कांग्रेस के 11 सांसद हैं। 10 खाली सीटों के अलावा 5 सीटें ऐसी हैं, जिन पर सांसदों को मनोनीत किया जाना है।

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370 और सीएए पर मिला था दोनों का साथ

बीते सालों में वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी, दोनों ने ही कुछ मुद्दों पर मोदी सरकार को समर्थन दिया है तो कुछ मुद्दों पर विरोध किया है। लेकिन दोनों के समर्थन से बीजेपी कई अहम विधेयकों को संसद के दोनों सदनों से पास करवाने में कामयाब रही है।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मामले में वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी ने मोदी सरकार का समर्थन किया था। जबकि तीन तलाक कानून के मुद्दे पर मोदी सरकार को बीजेडी का समर्थन मिला था हालांकि तब वाईएसआर कांग्रेस ने इसका विरोध किया था।

2021 में मोदी सरकार के द्वारा लाए गए कृषि कानून को वाईएसआर कांग्रेस समर्थन दिया था लेकिन तब बीजेडी ने इसका विरोध किया था।

राज्यसभा में एनडीए में शामिल दलों के सांसदों की संख्या

राजनीतिक दलसांसदों की संख्या
बीजेपी90
जेडीयू4
एनसीपी2
शिवसेना1
आरएलडी1
यूनाइटेड पीपल्स पार्टी (लिबरल)1
नेशनल पीपल्स पार्टी1
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले)1
पट्टाली मक्कल काची1
तमिल मनीला कांग्रेस (मूपनार)1
असम गण परिषद1
मिज़ो नेशनल फ्रंट1
जनता दल (सेक्युलर)1

राज्यसभा में एनडीए के अलावा अन्य राजनीतिक दलों के सांसद

राजनीतिक दलसांसदों की संख्या
कांग्रेस26 
वाईएसआर कांग्रेस11
बीजेडी9
टीएमसी13 
आम आदमी पार्टी10
डीएमके10
बीआरएस5
सीपीएम5
आरजेडी5
एआईएडीएमके4
सपा4
जेडीयू4
झारखंड मुक्ति मोर्चा3
सीपीआई2

बीजेपी को इस बार राज्यसभा सीटों के मामले में ओडिशा से फायदा मिल सकता है क्योंकि ओडिशा में पिछली बार मिली 23 सीटों के मुकाबले उसने विधानसभा की 79 सीटें जीती हैं।

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नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ (Source- PTI)

यूसीसी और वन नेशन, वन इलेक्शन पर होगी मुश्किल?

मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में दो अहम विधेयक संसद में ला सकती है। इसमें से पहला यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) है और दूसरा वन नेशन वन इलेक्शन यानी एक देश एक चुनाव है। यूसीसी की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद मंच से कर चुके हैं। बीजेपी शासित राज्य गोवा में यूसीसी लागू है जबकि उत्तराखंड में भी यह लागू हो चुका है।

इसके अलावा एक देश एक चुनाव पर भी बीजेपी तेजी से आगे बढ़ना चाहती है। चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी के कई नेताओं ने कहा था कि देश में जब अगला आम चुनाव होगा तो उसके साथ ही राज्यों के विधानसभा चुनाव भी होंगे।

बीजेपी का तर्क है कि इससे समय और पैसे की बचत होगी लेकिन लगभग सभी विपक्षी दल एक देश एक चुनाव के फार्मूले के पूरी तरह खिलाफ हैं। मोदी सरकार ने पिछले साल पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई थी और यह कमेटी तमाम राजनीतिक दलों से बातचीत करने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है।

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फैजाबाद (अयोध्या) में हार बीजेपी के लिए बड़ा झटका है। (Source-PTI)

उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे बीजेपी के लिए नतीजे

बीजेपी को इस बार लोकसभा चुनाव में मनमुताबिक कामयाबी नहीं मिली है। पार्टी को ऐसी उम्मीद थी कि अगर वह दो तिहाई सीटें लाने में कामयाब रही तो उसके लिए बेहद जरूरी यूसीसी और एक देश एक चुनाव पर आगे बढ़ना आसान हो जाएगा। लेक‍िन, मौजूदा हालात में उसके सहयोगी जेडीयू का कहना है क‍ि ऐसे मुद्दों पर आगे बढ़ने से पहले भाजपा को साथी दलों से व‍िचार-व‍िमर्श करना होगा।

अब बीजेपी को किसी भी विधेयक को पास कराने के लिए एनडीए के सहयोगी दलों को भरोसे में लेना ही होगा वरना उसे न सिर्फ राज्यसभा में दिक्कत होगी बल्कि लोकसभा में भी परेशानी हो सकती है। क्योंकि लोकसभा में भी बीजेपी के पास अपने दम पर बहुमत नहीं है।

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