प्रधानमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष को कितनी गंभीरता से लिया- नरेंद्र मोदी का भाषण दे रहा ये संकेत
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई बहस का जवाब दो जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया। उन्होंने यह दिखाया कि अपने दम पर सरकार नहीं चलाने के बावजूद वह कोई कमजोर प्रधानमंत्री नहीं हैं।
प्रधानमंत्री करीब सवा दो घंटे बाले। उन्होंने विपक्ष की ओर से उठाए गए लगभग सभी मुद्दों पर जवाब दिया। मणिपुर में साल भर से ज्यादा वक्त से चल रही अशांति पर उन्होंने कुछ नहीं कहा। हालांकि, उनके भाषण के दौरान पूरे समय विपक्ष मणिपुर पर नारेबाजी करते रहा।
नरेंद्र मोदी ने शाम करीब सवा चार बजे बोलना शुरू किया। लगभग 50 मिनट तक उनके भाषण में कोई खास रौ नहीं दिखी। उन्होंने विकसित भारत की बात से शुरुआत की। 13वें मिनट पर उन्होंने तुष्टिकरण का मुद्दा उठाया और कहा कि लंबे समय तक देश ने तुष्टिकरण की राजनीति देखी है। हमने इसे पूरी तरह बदला है।
शुरुआत में प्रधानमंत्री ने तीन गुना काम करने का भरोसा दिलाया। चुनावी जीत की उपलब्धियां गिनाईं और कहा कि पहला मौका है कि लगातार तीसरी बार कांग्रेस सौ पार नहीं कर सकी। यह कांग्रेस की सबसे खराब हार है। अच्छा होता कि कांग्रेस हार स्वीकार करती, लेकिन ये शीर्षासन करने में लगे हैं। इस दौरान राहुल मुस्कुराते दिखे। प्रधानमंत्री का भाषण शुरू होने के बाद 20वें मिनट में पल भर के लिए उन पर कैमरा फोकस हुआ था।
प्रधानमंत्री ने 2014 के पहले की कथित बदहाली का जिक्र किया और 2014 के बाद कैसे बदहाली दूर की, इसका बखान किया। इस दौरान उनके भाषण का मूल यही था कि 2014 से पहले 2014 से पहले हर जगह यही सात शब्द सुनाई देते थे- इस देश का कुछ नहीं हो सकता और अब सोच बनी है कि भारत कुछ भी कर सकता है।
एक जुलाई को जब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बोल रहे थे तो हंगामे के बीच प्रधानमंत्री उठे थे और उन्होंने कहा था- अध्यक्ष जी, लोकतंत्र और संविधान मुझे यही सिखाता है कि नेता प्रतिपक्ष को गंभीरता से लेना चाहिए। लेकिन, दो जुलाई को अपने भाषण से वह इसके उलट संकेत देते दिखे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कल सदन में 'बालक बुद्धि का प्रदर्शन हो रहा था।' उन्होंने राहुल गांधी की बात के जवाब में स्कूली बच्चे का उदाहरण देते हुए कहा कि बच्चा मां से शिकायत करता है कि स्कूल में उसकी पिटाई हुई है, लेकिन यह नहीं बता रहा कि उसने शिक्षक को चोर कहा, साथियों के टिफिन से चुरा कर खाना खा लिया आदि।
राहुल गांधी ने कल कहा था कि उनके ऊपर कई मुकदमे किए गए, उनका मकान छीन लिया गया आदि…। प्रधानमंत्री ने शिकायती बच्चे का काल्पनिक उदाहरण देते हुए कहा कि यह सब सुहानुभूति हासिल करने के लिए किया जाने वाला ड्रामा है। 70वें मिनट में प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी पर यह सीधा हमला बोला।
प्रधानमंत्री ने संख्या बल पर राहुल की बात का जवाब भी बच्चे की ही काल्पनिक कहानी सुना कर दी। 54वें मिनट में उन्होंने कहा- 99 अंक लाने वाला एक बच्चा सबको अपने मार्क्स बता कर खुश हो रहा था। लोग भी 99 सुन कर उसका हौंसला बढ़ाते। लेकिन, जब शिक्षक आया तो उसने बताया कि ये 99 मार्क्स सौ में से नहीं आए हैं, बल्कि 543 में से आए हैं।
फिर उन्होंने शोले के डायलॉग के जरिए भी मजाकिया अंदाज में कांग्रेस के खराब चुनावी प्रदर्शन का जिक्र कर राहुल गांधी के संख्या बल संबंधी दावे की धज्जियां उड़ाईं। हालांकि, उन्होंने इस बात को पूरी गंभीरता से कहा कि कल जो सदन में हुआ उसे बालक बुद्धि का परिणाम मान कर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसके पीछे के इरादे नेक नहीं हैं। इसलिए अध्यक्ष को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
प्रधानमंत्री के पूरे भाषण के दौरान मणिपुर पर विपक्ष के नारे तो लगते ही रहे, लेकिन हंगामे के चलते कई बार प्रधानमंत्री को रुकना भी पड़ा। पहली बार भाषण के पांच मिनट बाद ही उन्हें रुकना पड़ा। तब ओम बिरला पूरे आक्रोश में दिखे और कहा कि आपको यह शोभा नहीं देता कि सदस्यों को वेल में आने के लिए उकसा रहे हैं।
40वें मिनट में फिर हंगामा बढ़ गया। प्रधानमंत्री को एक बार फिर रुकना पड़ा। विपक्षी सदस्य वेल में आ गए। स्पीकर ओम बिरला ने एक बार फिर काफी सख्त अंदाज में उनसे ऐसा नहीं करने को कहा।प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान ज्यादातर समय तक ओम बिरला के चेहरे पर हंसी देखने को मिली। एक दिन पहले राहुल के भाषण के दौरान ऐसा बहुत कम देखने को मिला था।
आखिरी सवा घंटे में प्रधानमंत्री अपनी रौ में आए और विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों पर जवाब दिया। आरक्षण, दलित, अग्निवीर, सेना, नीट आदि मुद्दों पर प्रधानमंत्री ने अपनी बात रखी। जब उनका भाषण खत्म होने वाला था, तब भी विपक्ष ने आवाज उठाई कि मणिपुर पर भी बोल दीजिए, लेकिन प्रधानमंत्री ने अपना भाषण खत्म कर दिया।
प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर इसलिए नहीं बोला, क्योंकि यह राजनीतिक रूप से उनके खिलाफ जाता। फिर, राष्ट्रपति के अभिभाषण में भी इसका जिक्र नहीं था।