मोदी 3.0: पहला हफ्ता ही रहा चुनौतियों से भरा, विदेश से आईं मुश्किलें, अपनों ने भी बोला हमला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जून को लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। मोदी 3.0 का पहला हफ्ता काफी चुनौतियों से भरा रहा। एक सप्ताह के भीतर देश-विदेश में ऐसी कई घटनाएं हुईं, जिनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की छवि पर खराब असर पड़ा। यहां तक कि सरकार को भ्रष्टाचार के मामले पर भी बैकफुट पर आना पड़ा।
अपनों के हमले
इन घटनाओं पर बात करने से पहले बात होगी चुनाव नतीजों की। चुनाव नतीजे आने के बाद से ही मोदी सरकार और बीजेपी पर न सिर्फ विपक्षी दलों ने बल्कि बीजेपी के मातृ संगठन माने जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी सवाल उठाए। आरएसएस के नेता रतन शारदा ने कहा कि इन चुनाव नतीजों ने अति आत्मविश्वास में बैठे बीजेपी के नेताओं को आइना दिखा दिया है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान हमारे मूल्यों को बनाए रखा जाना चाहिए था, चुनाव प्रचार में गरिमा नहीं दिखी और उसने माहौल को जहरीला बना दिया।
![Narendra Modi rahul gandhi](https://www.jansatta.com/wp-content/uploads/2024/06/Narendra-Modi-20.jpg?w=850)
भागवत के बयान को भाजपा नेताओं विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों से जोड़कर देखा गया। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में मंगलसूत्र छीने जाने और ज्यादा बच्चे पैदा करने की बात कहकर अपरोक्ष रूप से मुस्लिम समुदाय पर कटाक्ष किया था। मोहन भागवत ने यह भी कहा कि मणिपुर पिछले एक साल से शांति की राह देख रहा है।
मणिपुर में हालात सामान्य न होने को लेकर भी मोदी सरकार विपक्षी दलों और आलोचकों के हमले झेल रही है। संघ के बड़े चेहरे इंद्रेश कुमार ने एक कार्यक्रम में स्पष्ट रूप से कहा कि जिन लोगों में अहंकार आ गया था उन्हें इस चुनाव में बहुमत नहीं मिला।
विपक्षी दलों ने कहा कि यह जनादेश पूरी तरह मोदी सरकार के खिलाफ है।
जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले
अब आते हैं घटनाओं पर। जम्मू और कश्मीर में पिछले कुछ दिनों में लगातार एक के बाद एक आतंकी हमले हुए हैं। इनमें सबसे बड़ा हमला हिंदू श्रद्धालुओं की बस पर रियासी में हुआ जिसमें कई लोगों की जान चली गई। इसे लेकर जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था पर विपक्ष ने गंभीर सवाल उठाए हैं।
9 जून के बाद से ही रियासी, कठुआ और डोडा में आतंकी हमले हो चुके हैं। इसमें आम लोगों के साथ ही सुरक्षाकर्मियों को भी जान गंवानी पड़ी है। 2021 के बाद से जम्मू में 29 आतंकी हमले हो चुके हैं जबकि यह माना जाता है कि जम्मू से आतंकियों का लगभग सफाया हो चुका है।
![Yogi Adityanath Akhilesh Yadav](https://www.jansatta.com/wp-content/uploads/2024/06/Yogi-Adityanath-6-1.jpg?w=850)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त किया था उसके बाद से ही इस बात का दावा किया गया था कि घाटी में आतंकवाद की कमर तोड़ दी जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और कश्मीर में लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं। इसे लेकर सरकार कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों के हमलों का सामना कर रही है।
NEET परीक्षा में धांधली की बात शिक्षा मंत्री ने पहले नकारी, बाद में मानी
मोदी सरकार को एक और मुद्दे पर देश भर में विपक्षी दलों के साथ ही छात्रों के भी पुरजोर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। यह मुद्दा NEET की परीक्षा में गड़बड़ियों के आरोप को लेकर है। NEET के नतीजे आने के बाद पेपर लीक होने के आरोप लगे और यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा है। जब नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) पर विपक्षी दलों ने हमला किया तो सरकार ने कहा कि पेपर लीक नहीं हुआ है और एनटीए में भी भ्रष्टाचार की कोई बात सामने नहीं आई है। लेकिन भारत के तमाम शहरों में परीक्षा के नतीजों के खिलाफ छात्र-छात्राएं जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पहले तो NEET परीक्षा में गड़बड़ियों की बात को नकारा लेकिन अब उन्होंने माना है कि कुछ जगहों पर गड़बड़ियां हुई हैं। उन्होंने छात्रों को आश्वासन दिया है कि दोषी पाए जाने पर किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
मोदी सरकार के लिए छात्रों के इस विरोध को शांत कर पाना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है। कांग्रेस ने इस मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है। सरकार पर आरोप लग रहा है कि वह एनटीए का बचाव कर रही है।
![bjp vote| muslim vote](https://www.jansatta.com/wp-content/uploads/2024/06/bjp-vote.jpg?w=850)
G7 समिट को लेकर बीजेपी नेता ने मोदी को कहा नौसिखिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार सरकार बनाने के बाद जब अपने पहले विदेश दौरे पर G7 समिट में गए तो कांग्रेस ने यह सवाल उठाया कि वह अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि को बचाने के लिए G7 समिट में जा रहे हैं।
पूर्व कैबिनेट मंत्री और कई बार सांसद रहे बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा कि विदेश नीति में मोदी नौसिखिया हैं। दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने और सबसे प्राचीन सभ्यता होने के बाद भी भारत G7 का सदस्य नहीं है और सिर्फ विजिटर है।
कुवैत में भारतीयों की मौत, पलायन का मुद्दा उठा
कुछ दिन पहले कुवैत की एक इमारत में आग लग गई और इसमें 49 लोगों की जलकर मौत हो गई। इसमें से 45 लोग भारत के थे। जब इन लोगों के शव भारत पहुंचे तो इसे लेकर लोग काफी भावुक हो गए। कुछ लोगों ने इसे इस बात से जोड़ा कि ये लोग अपने मुल्क से दूर दूसरे मुल्क में अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए गए हुए थे। अगर इन्हें हिंदुस्तान में ही अच्छा रोजगार मिल जाता तो यह कभी भी दूसरे मुल्क जाने को मजबूर नहीं होते।
चुनाव प्रचार के दौरान भी विपक्षी दलों ने बेरोजगारी और पलायन को बड़ा मुद्दा बनाया था और कहा था कि मोदी सरकार ने 2014 के चुनाव से पहले हर साल 2 करोड़ रोजगार देने की बात कही थी लेकिन मोदी सरकार के 10 साल के शासन में देश में बेरोजगारी लगातार बढ़ी है और इस वजह से लोग रोजी-रोटी कमाने के लिए पलायन करने को मजबूर हुए हैं।
इस मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि मिडिल-ईस्ट में हमारे श्रमिकों की स्थिति चिंतित करने वाली है। भारत सरकार को हमारे नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए और उनका जीवन स्तर सम्मानजनक हो, यह सुनिश्चित करना चाहिए।
![bhupendra patel ratan sharda](https://www.jansatta.com/wp-content/uploads/2024/06/bhupendra-patel.jpg?w=850)
सहयोगी दलों के नेताओं के बयानों से मुश्किल
बीजेपी को चूंकि इस बार अपने दम पर स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है इसलिए वह सहयोगी दलों के सामने झुकने के लिए मजबूर है। सरकार के बनते ही सहयोगी दलों के नेताओं के बयानों से भी वह मुश्किल में है। एनडीए सरकार में शामिल जेडीएस के नेता और केंद्रीय स्टील मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने गुजरात सरकार द्वारा एक अमेरिकी फर्म को दी जा रही सब्सिडी पर सवाल उठाया और जब इसे लेकर विवाद हुआ तो उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया।
इसी तरह उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर का भी एक बयान चर्चा में है जिसमें उन्होंने कहा कि सहयोगी दल नहीं जानते कि गठबंधन को किस तरह निभाया जाए और जनता ने मोदी जी और योगी जी को खारिज कर दिया है। बीजेपी ने इस बयान के लिए ओम प्रकाश राजभर को चेताया है और कहा है कि वह अपने शब्दों का ध्यान रखें हालांकि राजभर ने कहा है कि उनके वीडियो को एडिट किया गया है।
![Giriraj Singh](https://www.jansatta.com/wp-content/uploads/2024/06/Giriraj-Singh-5.jpg?w=850)
बीजेपी के मुद्दों पर सहयोगी पार्टियों का रुख अलग
नई सरकार बनते ही सहयोगी पार्टियों ने उन मुद्दों पर अलग रुख साफ कर दिया, जिन पर बीजेपी पिछले कार्यकाल में अडिग थी। अग्निपथ योजना हो या यूसीसी, जदयू ने साफ कहा कि अग्निपथ योजना की समीक्षा हो और यूसीसी लागू करने के लिए आम सहमति बनानी होगी।
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अकेले दम पर बहुमत मिला था इसलिए वह सहयोगी दलों के सामने झुकने के लिए मजबूर नहीं थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं है और वह बहुमत के आंकड़े 272 से काफी दूर है। ऐसे में यह साफ है कि बीजेपी के लिए इस बार गठबंधन की सरकार चलाना आसान नहीं होगा और उसे सहयोगी दलों के सामने झुकना भी पड़ सकता है।