लगातार उत्पादन बढ़ने के बावजूद क्यों महंगा हो रहा दूध?
पिछले महीने ही मदर डेयरी ने दिल्ली-एनसीआर में अपने ब्रांड के दूध की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी। कीमतों में यह बढ़ोतरी दिल्ली-एनसीआर के साथ-साथ अन्य बाजारों में भी लागू है। जिसके बाद अमूल ने भी दूध की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की। यह पिछले 15 महीनों में दूध की कीमतों में पहली बढ़ोत्तरी थी।
इसके कुछ दिनों बाद ही दक्षिण के राज्यों में एक पॉपुलर ब्रांड कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ने भी अपने नंदिनी ब्रांड के दूध की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की घोषणा की थी। इन सबके बीच सवाल यह उठता है कि आखिर पर्याप्त उत्पादन होने के बावजूद कंपनियां दूध की कीमतों में बढ़ोत्तरी क्यों कर रही हैं?
बढ़ती उत्पादन लागत जिम्मेदार?
मदर डेयरी ने पिछले साल बढ़ती उत्पादन लागत को इसकी कीमत में बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार ठहराया। कंपनी ने कहा, "उपभोक्ता मूल्य में वृद्धि मुख्य रूप से उत्पादकों को बढ़ी हुई उत्पादन लागत की भरपाई के लिए है, जो एक साल से अधिक समय से बढ़ रही है।"
एक तरफ जहां प्राइवेट कंपनियों ने दूध की कीमतें बढ़ा दी हैं, सहकारी समितियां और राज्य समर्थित उद्यम स्थिर कीमतें बनाए रखने में कामयाब रहे थे। दिलचस्प बात यह है कि दक्षिण भारत में कुछ डेयरियों ने अपनी खुदरा दरें कम कर दी हैं।
भारत में दूध का प्रोडक्शन
साल | मिल्क प्रोडक्शन (मिलियन टन) |
2018-19 | 187.7 |
2019-20 | 198.4 |
2020-21 | 210.0 |
2021-22 | 221.1 |
2022-23 | 230.6 |
लगातार बढ़ रही दूध की कीमतें
दूध की कीमतों में पिछले कुछ समय से लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। अगर 2023 की कीमतों से नई कीमतों की तुलना की जाए तो मदर डेयरी का फुल क्रीम और अमूल का फुल क्रीम दूध (गोल्ड) अब 68 रुपये का मिलता है। वहीं, एक साल पहले दोनों के ही फुल क्रीम मिल्क 66 रुपये प्रति लीटर मिलते थे।
पिछले दो सालों में, अमूल और मदर डेयरी जैसे प्रमुख दूध आपूर्तिकर्ताओं ने किसानों से दूध की बढ़ती खरीद लागत का हवाला देते हुए दूध की कीमतों में कई बार बढ़ोतरी की है। उदाहरण के लिए, मदर डेयरी ने मार्च और दिसंबर 2022 के बीच दूध की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। 2022 में, अमूल ने अपनी कीमतों में तीन बार बढ़ोतरी की, जबकि मदर डेयरी ने कई बार कीमतों में संशोधन किया।
2022 में अमूल द्वारा आखिरी बढ़ोतरी अक्टूबर में की गई थी जब उसने अपनी कीमतों में 2 रुपये की बढ़ोतरी की थी जबकि मदर डेयरी के मामले में आखिरी बढ़ोतरी दिसंबर में 2 रुपये की थी।
भारत में दूध की आपूर्ति स्थिर
हालिया मूल्य वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब भारत में दूध की आपूर्ति स्थिर है। मार्च 2024 में समाप्त हुआ फ्लश सीज़न हाल के दिनों में सर्वश्रेष्ठ में से एक था। भारत में 2022-23 में लगभग 231 मिलियन टन दूध का उत्पादन होने का अनुमान रहा है, जो उससे पिछले साल की तुलना में 221 मिलियन टन अधिक है। अनुमानित 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ 2023-24 में उत्पादन लगभग 241-242 मिलियन टन होने का अनुमान है।
पशु चारे की कीमतें भी अपेक्षाकृत स्थिर बनी हुई हैं, जो क्षेत्र के हिसाब से 23-27 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच बदलती रहती हैं। एक साल पहले ये 23-24 रुपये प्रति किलो के आसपास थे।
मानसून का दूध की कीमतों पर असर
मानसून का असर भी दूध के उत्पादन पर पड़ता है। मानसून की शुरुआत के साथ दूध की आपूर्ति में सुधार हो सकता है, बशर्ते बारिश अत्यधिक न हो। बहुत अधिक बारिश दूध की आपूर्ति को नुकसान पहुंचा सकती है, लेकिन बूंदाबांदी दूध उत्पादन के लिए अच्छी है। मॉनसून के दौरान डेयरी पशुओं को वायरस, बैक्टीरिया और संक्रमण के संपर्क में आने का अधिक खतरा होता है।
विशेषज्ञ भारत की वार्षिक दूध उत्पादन दर को बढ़ाने की सलाह देते हैं जो हाल ही में स्थिर हो गई है। पहले के अनुमानों में जहां उत्पादन में 7-8 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के साथ 2028 तक 300 मिलियन टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, हाल में यह वृद्धि प्रति वर्ष 4-5 प्रतिशत के बीच रही है। चारे की बढ़ती दरों और रुके हुए निर्यात के कारण दूध उत्पादन और कीमतों में अस्थिरता आई है, जिससे आपूर्ति में और कमी आई है।
गर्मी से दूध का उत्पादन प्रभावित
देश के कई हिस्सों में लू की स्थिति से देश में दूध उत्पादन पर और असर पड़ने की आशंका है। मदर डेयरी का कहना है, "हाल के महीनों में दूध खरीद की ऊंची लागत के बावजूद कंज़्यूमर प्राइस स्थिर रहे लेकिन देश भर में भयंकर गर्मी के कारण दूध उत्पादन पर और असर पड़ने की आशंका है।" पूर्व, उत्तर और दक्षिणी क्षेत्रों के विभिन्न राज्यों में हीटवेव की स्थिति चल रही है, कुछ क्षेत्रों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक है।
भारत में डेयरी उद्योग का अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत का योगदान
भारत में डेयरी उद्योग राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत का योगदान देता है और 8 करोड़ से अधिक किसानों को सीधे रोजगार देता है। भारत दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है जो दुनिया के कुल दूध उत्पादन में 25 प्रतिशत का योगदान देता है। FY23 में, देश ने लगभग 231 मिलियन टन दूध का उत्पादन किया जो पिछले दशक में 6% CAGR की वृद्धि दर थी।
नीति आयोग की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि देश का दूध उत्पादन 2030 तक लगभग 300 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा। इंटरनेशनल मार्केट एनालिसिस रिसर्च एंड कंसल्टिंग ग्रुप (IMARC) के एक अध्ययन के अनुसार, 2021 में भारत में डेयरी बाजार का मूल्य 13 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया था। पिछले 15 सालों में, बाजार ने लगभग 15% सीएजीआर की स्थिर वृद्धि दर दिखाई है और आईएमआरसी के अनुसार 2027 तक लगभग 31 लाख करोड़ होने का अनुमान है। इस प्रकार, भारत विश्व स्तर पर डेयरी उत्पादों के शीर्ष उत्पादक और उपभोक्ता दोनों में से एक है।
भारतीय डेयरी उद्योग
भारत में, उत्पादित दूध का लगभग 46% स्थानीय स्तर पर उपभोग किया जाता है या ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-उत्पादकों को बेचा जाता है, जबकि शेष 54% संगठित और असंगठित क्षेत्रों को बिक्री के लिए आवंटित किया जाता है।
भारतीय डेयरी उद्योग में बड़े पैमाने पर असंगठित क्षेत्र का वर्चस्व रहा है, जिसने दूध बाजार में 60% हिस्सेदारी रखी है। वहीं, संगठित क्षेत्र की पिछले तीन वर्षों में इसकी हिस्सेदारी 32% से बढ़कर 40% हो गई है। पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) का अनुमान है कि 2026 तक संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़कर 54% हो जाएगी।
दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स में रिटेल इन्फ्लेशन
जनवरी 2024 (%) | मई 2024 (%) | |
मिल्क | 4.64 | 2.56 |
पाउडर मिल्क | 6.36 | 3.39 |
दही | 4.13 | 2.52 |
अन्य दूध उत्पाद | 5.17 | 4.39 |