महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले चीनी मिलों के लिए 1898 करोड़ का लोन, इनमें से 19 एनसीपी व भाजपा नेताओं की
महाराष्ट्र में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसकी घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी। इससे पहले राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) ने महाराष्ट्र सरकार को 1,898 करोड़ रुपये का वर्किंग कैपिटल लोन मंजूर किया है। यह धनराशि 13 चीनी मिलों की हालत सुधारने के लिए इस्तेमाल की जाएगी।
इन शुगर मिलों में से पांच एनसीपी नेताओं की हैं और बाकी भाजपा पदाधिकारियों वे उनके सहयोगियों की हैं। बता दें कि लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू होने से ऐन पहले भी 21 चीनी मिलों के लिए लोन गारंटी मंजूर की गई थी। ये मिलें भी ज्यादातर सत्ताधारी दल के नेताओं से ही जुड़ी हैं।
लोन की राशि फ्लोटिंग ब्याज दर के आधार पर स्वीकृत की जाती है। अभी जिन 13 मिलों के लिए लोन अप्रूव किया गया है वे चीनी मिलें वर्किंग कैपिटल जुटाने में असमर्थ हैं। यह लोन आठ साल के लिए है जिसमें मूल राशि के पुनर्भुगतान पर दो साल की छूट है। हालांकि, ब्याज के भुगतान पर कोई छूट नहीं है। यह लोन महाराष्ट्र सरकार की गारंटी के साथ अप्रूव किया गया है।
इस शुगर मिल को मिला सबसे ज्यादा लोन
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, सतारा की किसानवीर सतारा को-ऑपेरेटिव फैक्ट्री लिमिटेड बुइंज और श्री तात्यासाहेब कोरे वारणा सहकारी चीनी फैक्ट्री लिमिटेड वारणानगर के लिए सबसे अधिक 350 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। सतारा फैक्ट्री का संबंध एक एनसीपी नेता और कोल्हापुर मिल का संबंध भाजपा विधायक के एक सहयोगी से है।
चुनाव से पहले शुगर मिलों के लिए लोन अप्रूवल
लोकसभा चुनाव से पहले और अब राज्य विधान सभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में खस्ताहाल मिलों के लिए इसी तरह के लोन स्वीकृत किए गए थे। जुलाई 2024 में 13 मिलों के लिए लोन अप्रूव करने से पहले मार्च 2024 में कैबिनेट पैनल ने लोन के लिए स्टेट गारंटी अप्रूव की थी।
उससे पहले अक्टूबर 2023 में राज्य सरकार ने MSCB से 631 करोड़ के लोन के लिए गारंटी अप्रूव की थी। जिन 5 मिलों के लिए यह लोन थे वह एनसीपी और कांग्रेस नेताओं से संबंधित थीं। जुलाई 2023 में भी बीजेपी नेताओं से संबंधित मिलों के लिए 549 करोड़ के लोन की गारंटी दी गयी थी।
लोकसभा चुनाव से पहले लोन के लिए नामों की सिफारिश
वहीं, लोकसभा चुनाव 2024 के लिए आदर्श आचार संहिता (MCC) लागू होने से कुछ दिन पहले, महाराष्ट्र सरकार ने मार्च के पहले सप्ताह में 21 सहकारी चीनी मिलों के लिए गारंटर बनने पर सहमति जताई थी और सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) से लोन के लिए उनके नामों की सिफारिश की थी।
15 मिलों का प्रबंधन सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं द्वारा
21 मिलों में से 15 मिलों का प्रबंधन सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं या उन लोगों द्वारा किया जाता है जो पाला बदल कर सत्ताधारी खेमे में आए हैं। दो मिलों को उन नेताओं द्वारा मैनेज किया जाता है जो एकनाथ शिंदे के साथ थे, पांच अजीत पवार से संबंधित थीं और एक को कांग्रेस नेता द्वारा प्रबंधित किया जा रहा था जो चुनाव से पहले भाजपा में चले गए थे।
सोलापुर में एक और मिल का प्रबंधन दिवंगत भरत भालके के बेटे द्वारा किया जाता है जो एनसीपी (अविभाजित) विधायक थे। उपचुनाव में हार के बाद वह भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) में शामिल हो गए थे। वहीं, सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं द्वारा प्रबंधित नहीं की जाने वाली छह मिलों में से कुछ एनसीपी (शरद पवार) से संबद्ध है, एक कांग्रेस नेता से और दो निर्दलीय से संबंधित हैं।
अधिकांश मिलों का राजनीतिक दलों के साथ संबंध
महाराष्ट्र में सहकारी चीनी मिलें और राजनीति साथ-साथ चलती हैं और कई चीनी व्यापारी विधायक, सांसद और मंत्री बन जाते हैं। हालांकि, अधिकांश मिलों का राजनीतिक दलों के साथ कुछ संबंध है लेकिन उनमें से सभी को ऋण के लिए राज्य सरकार की गारंटी नहीं मिलती है। सितंबर 2023 में 34 में से केवल पांच मिलों ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी (एमएससी) बैंक से 178.28 करोड़ रुपये जुटाने की गारंटी प्राप्त की थी।
2022-23 सीज़न के लिए, बैंक ने 34 मिलों को 897.65 करोड़ रुपये का फाइनेंस किया था जिसमें से छह मिलों को 178.28 करोड़ रुपये राज्य की गारंटी के आधार पर थे। उद्योग से जुड़े सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि सहकारी मिलें हर सीजन में लोन के माध्यम से लगभग 10,000 करोड़ रुपये जुटाती हैं।
इन मिलों के लिए की गयी थी लोन की सिफ़ारिश
राज्य ने जिन मिलों को एनसीडीसी से ऋण देने की सिफारिश की थी, उनमें विनय कोरे (निर्दलीय विधायक) द्वारा प्रबंधित कोल्हापुर-बीआरडी तात्यासाहेब कोरे सहकारी चीनी मिल, प्रकाश सोलंके (एनसीपी-अजीत पवार) द्वारा प्रबंधित बीड-बीआरडी लोकनेते सुंदरराव सोलंके सहकारी चीनी मिल और शामिल हैं। छत्रपति संभाजीनगर में श्री रेणुका शरद सहकारी चीनी मिल का प्रबंधन मंत्री संदीपन भुमरे (शिवसेना-एकनाथ शिंदे) द्वारा किया जाता है।
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, धाराशिव आधारित श्री विट्ठलसाई सहकारी साखर कारखाना (एसएसके) के अध्यक्ष बसवराज पाटिल ने एनसीडीसी लोन देने में किसी भी राजनीतिक संबंध से इनकार किया था। पाटिल उस वक्त से कुछ पहले ही कांग्रेस से भाजपा में आये थे। उन्होंने कहा था, “राज्य में सहकारी संरचना के महत्व” को देखते हुए राज्य ने यह निर्णय लिया। यह ग्रामीण औद्योगीकरण का एकमात्र तरीका है। 21 मिलों की सूची में कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं द्वारा संचालित मिलें भी शामिल हैं।"
6 मिलें जो सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं द्वारा प्रबंधित नहीं
सरकार की सूची में छह मिलें ऐसी थीं जो सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं द्वारा प्रबंधित नहीं हैं। ये हैं पुणे आधारित रावसाहबदादा पवार घोडगंगा एसएसके लिमिटेड, जिसका प्रबंधन अशोक पवार (एनसीपी-शरद पवार विधायक) द्वारा किया जाता है, सहकार महर्षि शिवाजीराव नागावाडे एसएसके, जिसका प्रबंधन राजेंद्र नागावाडे द्वारा किया जाता है।
इसके अलावा पुणे की रायगढ़ सहकारी चीनी मिल का प्रबंधन संग्राम थोपटे (भोर कांग्रेस विधायक) द्वारा किया जाता है, सोलापुर के श्री सिद्धेश्वर एसएसके का प्रबंधन धर्मराज कडाडी (जो किसी भी पार्टी से नहीं है) द्वारा किया जाता है। विश्वासराव नाइक एसएसके मिल का प्रबंधन मानसिंगराव फत्तेसिंगराव नाइक ( एनसीपी-शरद पवार) द्वारा किया जाता है और मुला एसएसके का प्रबंधन यशवंत गडक द्वारा किया जाता है, जो पहले शिवसेना (उद्धव बाल ठाकरे) के साथ थे, लेकिन अब बहुत सक्रिय नहीं हैं।