Beed Lok Sabha Chunav 2024: बीजेपी के इस दिग्गज नेता की बेटी के चुनाव में दूर हुए गिले-शिकवे, साथ आए भाई-बहन
चुनाव की वजह से परिवारों में दरार आने की बात तो आपने खूब सुनी होगी लेकिन महाराष्ट्र में एक ऐसा परिवार है जो चुनाव आने पर न सिर्फ एक हो गया है बल्कि इसने अपने पुराने गिले-शिकवों को भी भुला दिया है।
यहां बात हो रही है महाराष्ट्र की बीड़ लोकसभा सीट की। यहां से भाजपा ने मौजूदा लोकसभा सांसद प्रीतम मुंडे का टिकट काटकर उनकी बहन पंकजा मुंडे को मैदान में उतारा है।
परली में धनंजय ने हराया था पंकजा को
पंकजा को टिकट मिलने के बाद से ही उनके चचेरे भाई धनंजय मुंडे प्रचार में उनके लिए पसीना बहा रहे हैं। जबकि भाई-बहन के बीच लंबे वक्त तक अनबन रही थी। दोनों के बीच यह दरार तब पड़ी जब 2019 के लोकसभा चुनाव में पंकजा मुंडे को परली विधानसभा सीट पर धनंजय मुंडे ने हरा दिया था। इस हार से पंकजा को गहरा धक्का लगा था। धनंजय मुंडे अब एनसीपी के अजित पवार गुट के साथ हैं। धनंजय महाराष्ट्र की शिवसेना-भाजपा-एनसीपी सरकार में राज्य मंत्री हैं।
पंकजा मुंडे भाजपा के दिग्गज नेता दिवंगत गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं और धनंजय उनके चचेरे भाई हैं। गोपीनाथ ने अपने भतीजे धनंजय को राजनीति का ककहरा सिखाया था। फिर 2009 में जब भाजपा ने गोपीनाथ मुंडे को लोकसभा चुनाव का टिकट दिया तो उन्होंने राज्य की राजनीति में धनंजय की जगह उनसे चार साल छोटी अपनी बेटी पंकजा मुंडे को आगे बढ़ाया।
पंकजा को परली विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का टिकट मिल गया जिससे धनंजय को बुरा लगा। हालांकि, धनंजय को खुश करने के लिए गोपीनाथ मुंडे ने उन्हें भाजपा से विधान परिषद की सदस्यता दिलवा दी लेकिन धनंजय को लग गया कि यह सिर्फ उनका दिल रखने के लिए किया गया है। धनंजय मुंडे को लग रहा था कि विधान परिषद में रहने से वह जनता के दिलों में जगह नहीं बना सकते। उनके पिता को भी लगा कि बेटे के साथ अन्याय हुआ है।
बीजेपी छोड़ एनसीपी में शामिल हो गए धनंजय
धनंजय तो भाजपा में रहे लेकिन उनके पिता पंडितराव मुंडे ने भाजपा छोड़कर शरद पवार की पार्टी एनसीपी की सदस्यता ले ली। धनंजय ने भी 2013 में भाजपा की विधान परिषद सदस्यता से त्यागपत्र देकर एनसीपी की सदस्यता ले ली। 2014 के लोस चुनाव में उन्होंने खुलकर गोपीनाथ के विरुद्ध काम करना शुरू कर दिया। चुनाव के कुछ दिनों के बाद ही गोपीनाथ मुंडे की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई। धनंजय अपने चाचा के अंतिम संस्कार में तो गए लेकिन पंकजा के साथ उनके मतभेद कम नहीं हुए।
मुंडे परिवार 2009 से बीड़ में लोकसभा चुनाव जीत रहा है। आखिरी बार एनसीपी ने 2004 में बीड़ लोकसभा सीट जीती थी। तब से स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे ने 2009 और 2014 में दो बार जीत हासिल की। उनकी आकस्मिक मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव और बाद में 2019 में भी प्रीतम मुंडे ने यहां से जीत हासिल की। बीड़ निर्वाचन क्षेत्र में साढ़े तीन लाख से अधिक वंजारी वोटर्स मुंडे परिवार के वफादार वोट बैंक माने जाते हैं। हालांकि, शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने वोटों को विभाजित करने के लिए शक्तिशाली वंजारी नेता बबन गिते को लाया है।
चिक्की घोटाले की आंच ने बढ़ाई भाई-बहन के बीच की खाई
भाजपा मंत्री पंकजा मुंडे से जुड़े कथित 206 करोड़ रुपये के चिक्की घोटाले के सामने आने के बाद पता चला था कि पूरा मामला किसी और ने नहीं बल्कि उनके चचेरे भाई और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी धनंजय मुंडे ने उठाया था। साल 2015 में फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार पर 'घोटाले' का पहला बड़ा आरोप तब लगा था जब कांग्रेस ने पंकजा पर 24 सरकारी प्रस्तावों के माध्यम से 206 करोड़ रुपये की खरीद को मंजूरी देने का आरोप लगाया था। पंकजा की अध्यक्षता में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा एकीकृत बाल विकास सेवाओं के तहत बच्चों के लिए नाश्ता, चटाई, व्यंजन, पानी फिल्टर, दवाएं और किताबें सहित कई चीजें खरीदी गईं। इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने एसीबी में शिकायत दर्ज कराई थी।
पंकजा का आरोप- धनंजय उनसे बदला ले रहे हैं
उस दौरान पंकजा ने कहा था कि वह किसी भी जांच के लिए तैयार हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक बयान में पंकजा ने अपने चचेरे भाई धनंजय पर निशाना साधते हुए कहा था कि जो लोग उनके पिता दिवंगत गोपीनाथ मुंडे को उनके जीवनकाल में हरा नहीं सके और राजनीति में सफल नहीं हो सके, वे उनसे बदला ले रहे हैं। वे मेरे ख़िलाफ़ तो नहीं लड़ सके लेकिन मुझे मानसिक यातना देने में कामयाब हो गए।
वहीं, पंकजा के खेमे के भाजपा नेताओं को यकीन था कि कथित 'घोटाले' को धनंजय ने उठाया और जनता के सामने लाया है। उस दौरान कई भाजपा नेताओं ने कहा था कि यह बिल्कुल धनंजय मुंडे द्वारा किया गया है। यह उसके लिए अस्तित्व का सवाल है। पंकजा के आगे बढ़ने से राजनीति में उनकी संभावनाएं कम हो जाएंगी।
कौन-कौन है बीड़ के चुनाव मैदान में?
शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (शरदचंद्र) ने बीड़ से बजरंग सोनावणे को मैदान में उतारा है, जो एक मराठा नेता हैं। सोनावणे ने 2019 का आम चुनाव प्रीतम मुंडे के खिलाफ लड़ा था और उन्हें पांच लाख से अधिक वोट मिले थे। दिवंगत मराठा नेता विनायक मेटे की पत्नी ज्योति मेटे भी चुनाव लड़ने में रुचि रखती थीं और यहां तक कि शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी में भी शामिल हो गई थीं।
बहन प्रीतम की जगह पंकजा मुंडे को टिकट
भाजपा की बीड लोकसभा उम्मीदवार पंकजा मुंडे ने हाल ही में कहा था कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहती थीं और महाराष्ट्र में काम करना चाहती थीं। बीड़ धामनगांव में उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने सोचा कि 2019 में परली से विधानसभा चुनाव में हार के बाद मेरी दुकान बंद हो जाएगी लेकिन यह इस तरह से खत्म नहीं होगा।
पंकजा मुंडे ने कहा कि मैंने काम करते समय कभी लोगों की जाति नहीं देखी। मैंने उन गांवों को भी करोड़ों का फंड दिया, जहां मेरे लिए वोट नगण्य थे। हालांकि, पंकजा मुंडे का मानना है कि मतदाताओं से जुड़ाव और पांच साल का काम मायने रखता है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि उम्मीदवार कौन है, हर चुनाव को गंभीरता से लड़ना चाहिए। मुझे लगता है कि चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जाना चाहिए।
बीड़ में मराठा-ओबीसी खींचतान
मराठा आरक्षण आंदोलन की पृष्ठभूमि में इस बार बीड़ में आम चुनाव को मराठा और ओबीसी मतदाताओं के बीच की राजनीतिक लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। मनोज जारांगे के नेतृत्व में बीड़ सहित मराठवाड़ा क्षेत्र में मराठा समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत मराठों के लिए कोटा पर जोर दे रहा है। पिछले साल मराठा आंदोलन के मद्देनजर बीड़ जिले में हिंसा देखी गई थी। विपक्षी एनसीपी विधायक संदीप क्षीरसागर के घर पर हमला हुआ और सत्ताधारी एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंखे के घर पर भी हमला हुआ। ओबीसी नेता और मंत्री छगन भुजबल के एक कार्यकर्ता के स्वामित्व वाले होटल को भीड़ ने आग लगा दी। हालांकि, राजनीतिक दलों ने दावा किया था कि यह असामाजिक तत्वों द्वारा किया गया कृत्य था।
बीड़ लोकसभा क्षेत्र
बीड़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र महाराष्ट्र के 48 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह सामान्य श्रेणी की सीट है और इसमें पूरा बीड़ जिला शामिल है। बीड़ लोकसभा सीट के अंतर्गत छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें से फिलहाल तीन (माजलगांव, आष्टी और परली) पर एनसीपी के अजित पवार गुट का कब्जा है, वहीं बीड़ विधानसभा सीट पर शरद पवार गुट का कब्जा है। भाजपा के पास दो (जियोराई और कैज-एससी) हैं। बीड़ निर्वाचन क्षेत्र में 13 मई, 2024 को लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में मतदान होगा।
बीड़ में पिछले चुनाव के परिणाम
पिछले आम चुनाव में बीड़ लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की प्रीतम मुंडे ने जीत हासिल की थी। उन्होंने एनसीपी के बजरंग मनोहर को हराया था। प्रीतम को 6.75 लाख (50.15%) और बजरंग को 5.09 लाख (37.70%) वोट मिले थे। वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की प्रीतम मुंडे ने जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के अशोकराव शंकरराव पाटिल को हराया था। प्रीतम को 9.22 लाख (70.25%) और अशोकराव को 2.26 लाख (17.22%) वोट मिले थे।