Lok Sabha Results 2024: जिस जगह रेल पटरी पार करते हुए बाल-बाल बचे थे नीतीश, रेल मंत्री बनने पर वहां बनवाया था फुट ओवरब्रिज
लोकसभा चुनाव 2024 के बाद एनडीए की तीसरी सरकार के लिए जो दो बड़े नेता 'किंगमेकर' बन कर उभरे हैं, उनमें एक नीतीश कुमार (चंद्र बाबू नायडू के बाद) भी हैं। एक दशक से भी ज्यादा अंतराल के बाद नीतीश केंद्र की राजनीति में इतने अहम साबित हुए हैं।
नीतीश कुमार राजनीति में शुरू से जागरूक रहे हैं और अवसर को पहचान कर कदम उठाने वाले नेता भी रहे हैं।
नीतीश की छवि एक ईमानदार नेता की रही है। लेकिन, बीते कुछ वर्षों में उनकी छवि कभी भी निष्ठा बदल देने वाले नेता के रूप में मजबूत हुई है। इसकी वजह बार-बार एक-दूसरे के धुर विरोधी लालू और मोदी के पाले में उनका जाना और लौटना रहा है।
हालांकि, एनडीए की तीसरी बार की सरकार बनने से पहले उन्होंने पाला नहीं बदलने का भरोसा दिलाया और एनडीए संसदीय दल की बैठक में नरेंद्र मोदी के पांव तक छूने की कोशिश करते दिखे।
कोई लड़की दिख जाए, तो टीचर लोग भी देखने लगते थे...
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इंजीनियरिंंग के छात्र रहे हैं और राजनीति में सोशल इंजीनियरिंग के माहिर नेता माने जाते हैं। नीतीश कुमार ने पटना इंजीनियरिंग कॉलेज (अब एनआईटी पटना) से शिक्षा प्राप्त की।
4 फरवरी, 2018 को एनआईटी पटना के अल्यूमनी मीट में पहुँचे नीतीश कुमार ने हंसी-मजाक के माहौल में अपने पुराने दिनों को याद किया था। उन्होंने कहा, "उन दिनों यहां सिर्फ़ लड़के पढ़ते थे, लड़कियां नहीं। अगर किसी कारण से कोई लड़की दिख जाए, तो स्टूडेंट्स तो छोड़िए, टीचर लोग भी उसको देखने लगते थे।" उन्होंने आगे कहा कि इस कॉलेज में जब लड़कियों का एडमिशन शुरू हुआ था, तब उन्हें बड़ी खुशी हुई थी। उन्होंने बताया कि कॉलेज में इलेक्ट्रॉनिक्स और आर्किटेक्चर की पढ़ाई शुरू होने के साथ ही लड़कियों का दाखिला शुरू हुआ और कुछ ही सालों में लड़कियों की संख्या काफी बढ़ गई।
मुन्ना है नीतीश का घरेलू नाम
नीतीश कुमार का जन्म पटना से 50 किलोमीटर दूर बख्तियारपुर में 1 मार्च 1951 को हुआ था। उनके पिता रामलखन सिंह वैद्य स्वतंत्रता सेनानी थे। गांधी जी के विचारों की छाप उनके पिता पर गहरी थी और बिहार के बड़े नेता अनुग्रह नारायण सिंह के करीबी भी थे। नीतीश कुमार का घरेलू नाम मुन्ना है। श्रीगणेश उच्च विद्यालय बख्तियारपुर से दसवीं तक की पढ़ाई करने वाले नीतीश कुमार बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे, यह बात उनके शिक्षक बताते हैं।
दसवीं की बोर्ड परीक्षा के दौरान इनवेजिलेटर ने समय खत्म होने पर गणित की कॉपी छीन ली थी, जिसके कारण नीतीश कुमार को गणित में 100 में से 100 नंबर नहीं मिल सके थे। बाद में बिहार के मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने राज्यभर में बोर्ड परीक्षा में परीक्षार्थियों को 15 मिनट का अतिरिक्त समय देने का आदेश दिया ताकि किसी को भी अधिक अंक लाने में परेशानी ना हो।
एक शिक्षक के अनुसार, जब देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का निधन ताशकंद में हुआ था, तो रेडियो पर समाचार सुनने के बाद रात के तीन बजे जाकर उन्हें यह खबर सुनाई थी।
रेलवे लाइन पार करते वक्त चल पड़ी माल गाड़ी
अपने स्कूल से घर पैदल आने-जाने वाले नीतीश कुमार के रास्ते में रेलवे लाइन पड़ती थी, जहां घंटों माल गाड़ी खड़ी रहती थी। एक बार नीतीश कुमार अपने दोस्तों के साथ माल गाड़ी के नीचे से रेलवे लाइन पार कर रहे थे तभी माल गाड़ी चल पड़ी। इस घटना में बाल-बाल बचने वाले नीतीश घबरा गए थे। उनके दोस्त सरोज कुमार ने इंडिया टीवी को बताया था कि जब नीतीश रेल मंत्री बने तो उन्होंने उसी जगह पर फुट ओवर ब्रिज बनवाया ताकि किसी को भी रेलवे लाइन पार करने में परेशानी ना हो।
नीतीश कुमार के बचपन के दोस्त रामनमूना सिंह ने इंडिया टीवी को बताया था कि बचपन में नीतीश अपने पैतृक गांव कल्याण बिगहा आया करते थे और खूब गिल्ली-डंडा खेलते थे। दोस्तों में खेल-खेल में झगड़ा होने पर नीतीश बगीचे में एक पेड़ के नीचे सभी दोस्तों को बैठाकर पंचायत करते थे। पंच की भूमिका निभाते हुए सभी दोस्तों में मेल-मिलाप कराते थे।
दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद नीतीश कुमार ने पटना साइंस कॉलेज में एडमिशन लिया और यहां से आईएससी किया। स्कूल-कॉलेज के दिनों में नीतीश कुमार को फिल्मों में भी बहुत रूचि थी। राजकपूर की फिल्में देखा करते थे। उनके दोस्त ने इंडिया टीवी को बताया कि उन्हें बैजंती माला अभिनेत्रियों में पसंद थीं और रोमांटिक हीरो के तौर पर राजेन्द्र कुमार और देवानंद को पसंद करते थे।
इंटर पास करने के बाद नीतीश कुमार का दाखिला बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज (अब एनआईटी) में हुआ। उनके दोस्त बताते हैं कि इंजीनियरिंग हॉस्टल में रहने के बावजूद नीतीश कुमार ने कभी शराब या सिगरेट का सेवन नहीं किया। 1967 बैच में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के उनके दोस्त और सवर्ण आयोग के अध्यक्ष रहे नरेंद्र कुमार सिंह ने एक टीवी चैनल को बताया था कि इंजीनियरिंग कॉलेज में थ्री इडियट्स की तरह उनके भी तीन दोस्त थे।
नीतीश ने दहेज के पैसे लौटा दिए थे
इंजीनियरिंग की पढ़ाई 1972 में पूरी करने के बाद उन्होंने बिहार राज्य विद्युत बोर्ड में नौकरी की। 22 फरवरी 1973 को नीतीश कुमार की शादी मंजू कुमारी सिन्हा से हुई, जो एक शिक्षिका थीं और जिनका 2007 में असामयिक निधन हो गया। इस दंपती का एक बेटा निशांत है जो इंजीनियर है।
नीतीश कुमार ने शादी में स्वेच्छा से दहेज के तौर पर मिल रहे बाइस हजार रुपये ससुराल वालों को लौटा दिए थे। धूमधाम से शादी करने की बजाय उन्होंने कोर्ट मैरिज की थी।
पत्रकार संकर्षण ठाकुर की किताब ‘सिंगल मैन: द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ नीतीश कुमार ऑफ बिहार’ के मुताबिक नीतीश कुमार ने बिहार राज्य विद्युत बोर्ड में नौकरी छोड़कर राजनीति की राह पकड़ ली। 1974 में जयप्रकाश नारायण से जुड़ने के बाद नीतीश कुमार ने जेपी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1974 से 1977 के बीच वो उस समय के कद्दावर नेता सत्येन्द्र नारायण सिंह के काफी करीब आ गए। 1985 में नीतीश कुमार ने पहली बार बिहार विधानसभा का चुनाव हरनौत सीट से जीता।
वीपी सिंह सरकार में पहली बार मंत्री बने नीतीश
नीतीश कुमार के राजनीतिक दोस्तों ने बताया कि 1985 में पहली बार विधायक बनने से पहले नीतीश कुमार का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है। धनाढ्य परिवार से नहीं होने की वजह से उन्हें आर्थिक परेशानियां भी उठानी पड़ीं। हालांकि, तब उनके कई दोस्तों ने उन्हें कई तरह से मदद की थी।
1989 में केंद्रीय राजनीति में सक्रिय हुए नीतीश कुमार कांग्रेस के खिलाफ जनता दल के गठन में शामिल थे और उस समय जनता दल के महासचिव बनाए गए। उसी साल नौवीं लोकसभा के चुनाव में नीतीश कुमार बाढ़ से लोकसभा सांसद चुने गए और वीपी सिंह की सरकार में केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री भी बने।
1991 में चंद्रशेखर की सरकार गिरने के बाद दसवीं लोकसभा के चुनाव में भी नीतीश कुमार बाढ़ से सांसद चुने गए। 2004 तक उन्होंने बाढ़ से सांसद रहते हुए एनडीए के शासनकाल में अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल के सदस्य रहते हुए भूतल परिवहन मंत्री, कृषि मंत्री और रेल मंत्री का पद भी संभाला।
पहले थे लालू के दोस्त, बाद में बढ़ी दूरियां
1998 से 1999 तक रेल मंत्री रहते हुए पश्चिम बंगाल के गैसल में हुई रेल दुर्घटना पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। बाद में 2001 से 2004 तक वाजपेयी सरकार में दोबारा रेल मंत्री बने। बीच में 2000 में कुछ दिनों के लिए नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री भी बने।
1990 में लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने थे, तब नीतीश कुमार से उनकी दोस्ती बहुत गाढ़ी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह रामसुंदर दास को सीएम बनवाना चाहते थे तब शरद यादव और नीतीश कुमार ने उप प्रधानमंत्री देवीलाल से मिलकर लालू यादव को मुख्यमंत्री बनवाया था। बाद में इन नेताओं के बीच रिश्तों में खटास आ गई।
नीतीश कुमार ने 1994 में जॉर्ज फर्नांडीस के साथ मिलकर समता पार्टी बना ली थी। लालू यादव ने 1997 में राष्ट्रीय जनता दल बना लिया। शरद यादव जनता दल में ही रहे। बाद में 2003 में समता पार्टी का विलय जनता दल में हो गया और पार्टी का नाम जनता दल यूनाइटेड हो गया।