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Lok Sabha Chunav Meerut Candidate Arun Govil: खुले आम राम के नाम पर लोगों को ललकार कर वोट मांग रहे अरुण गोविल

ग्राउंड रिपोर्ट्स बताते हैं कि अरुण गोविल का चुनाव प्रचार 'राममय' है। उन्हें चुनाव प्रचार के दौरान राम की तस्वीर लेकर घूमते देखा जा चुका है। इसके अलावा वह वोट मांगते हुए खुद की तुलना राम से कर चुके हैं। वह मतदाताओं को चेतावनी दे रहे हैं कि उनकी हार राम की हार होगी।
Written by: Ankit Raj
नई दिल्ली | Updated: April 24, 2024 15:35 IST
lok sabha chunav meerut candidate arun govil  खुले आम राम के नाम पर लोगों को ललकार कर वोट मांग रहे अरुण गोविल
मेरठ के भाजपा प्रत्याशी अरुण गोविल (PC- X/@arungovil12)
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चुनाव में धर्म-जाति के नाम पर वोट मांगना गैरकानूनी है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बड़े-बड़े नेता लगातार चुनावी मंचों से अयोध्या के राम मंदिर के नाम पर वोट मांग रहे हैं।

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मंगलवार (23 अप्रैल) को देश के प्रधानमंत्री और भाजपा नेता नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ की एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा, "अयोध्या के जिस मंदिर की उम्मीद देश छोड़ चुका था। उस उम्मीद को पूरा करने का काम भाजपा ने किया है। कांग्रेस के लोग हम पर तंज करते थे, हर चुनाव में हमसे पूछा जाता था कि मंदिर कब बनेगा? हमने उन्हें तारीख भी बताई, समय भी बताया, निमंत्रण भी भेजा, लेकिन उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का निमंत्रण ठुकरा दिया।" नरेंद्र मोदी के इस चुनावी भाषण के दौरान मंच पर रामनामी संप्रदाय के वरिष्ठ सदस्य मौजूद थे।

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पार्टी के अन्‍य नेता भी खुले आम राम के नाम पर वोट मांग रहे हैं। यही हाल मेरठ (उत्तर प्रदेश) के भाजपा उम्मीदवार अरुण गोविल का है।

रामानंद सागर द्वारा बनाई रामायण धारावाहिक में राम का किरदार निभा चुके अरुण गोविल को भाजपा ने मेरठ से अपना उम्मीदवार बनाया है। ग्राउंड रिपोर्ट्स बताते हैं कि गोविल का चुनाव प्रचार 'राममय' है। उन्हें चुनाव प्रचार के दौरान राम की तस्वीर लेकर घूमते देखा जा चुका है। इसके अलावा वह वोट मांगते हुए खुद की तुलना राम से कर चुके हैं। वह मतदाताओं को चेतावनी दे रहे हैं कि उनकी हार राम की हार होगी।

गोविल ने अपने नामांकन सभा को संबोधित करते हुए कहा था,

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"ये सवाल पूछा जाएगा कि राम को राम के घर से खड़ा किया गया, तो कितने वोट मिले, कितने मार्जिन से जीते आप और कितनी रिकॉर्ड जीत हासिल हुई। अगर ये काम हुआ (हार) तो जवाब देना होगा आप सबको। आपसे पूछा जाएगा, क्यों... क्या हमारी श्रीराम में आस्था में कोई कमी थी?"  

भाषण का वीडियो देखें-

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राम की तस्वीर लेकर चुनाव प्रचार करने के लिए मेरठ डीएम ने भाजपा को नेटिस जारी किया था। इसकी जानकारी खुद मेठर के डीएम ने एक्स पर दी थी।

अरुण गोविल खुद मानते हैं कि उन्हें मेरठ के मुद्दों का पता नहीं है लेकिन उन्हें अपनी जीत पर भरोसा है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि वह सिर्फ राम के भरोसे नहीं हैं, उन्हें नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता से भी उम्मीद है।

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PC- IE

कैसा चल रहा है अरुण गोविल का कैंपेन?

द इंडियन एक्सप्रेस के अमित शर्मा ने मेरठ से ग्राउंड रिपोर्ट की है। जिससे पता चलता है कि गोविल का कैंपेन में "जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे " और "जय श्री राम" के नारे खूब गूंज रहे हैं। काफिले में ऑटो-रिक्शा सहित वाहनों पर पोस्टर लगे हुए हैं, जिन पर लिखा है, "इस पर सवार, मोदी का परिवार"।

BJP election campaign
अरुण गोविल के प्रचार में दीपिका चिखलिया और सुनील लहरी (PC- X)

गोविल के लिए रामायण में सीता की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री दीपिका चिखलिया और लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले सुनील लहरी भी प्रचार कर रहे हैं। गोविल के लिए प्रचार करते हुए चिखलिया ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा, "भगवान राम देश की सेवा के लिए आए हैं और हम उनका साथ दे रहे हैं। मैं लोगों से अरुण जी को वोट देने का आग्रह करती हूं।"

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए  लहरी कहते हैं, "जब भाजपा ने मेरठ से उनके नाम की घोषणा की, तो हम तीनों अयोध्या में थे, और हमने गोविल के लिए प्रचार करने का फैसला किया क्योंकि सच्चाई उनके साथ है। और सच्चाई यह है कि मोदी जी तीसरी बार पीएम बनने के लिए तैयार हैं।" 1991 में चिखलिया को भी भाजपा गुजरात के बड़ौदा से लोकसभा चुनाव लड़ा चुकी है, उन्हें जीत मिली थी।

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भाजपा सांसद बनने के बाद दीपिका चिखलिया (Express archive photo)

मोदी और आदित्यनाथ दोनों ने मेरठ में चुनाव प्रचार किया है। दरअसल, मोदी ने आधिकारिक तौर पर 31 मार्च को मेरठ से ही अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की थी, जहां उन्होंने लोगों से गोविल के लिए वोट करने की अपील की थी। मेरठ में 26 अप्रैल को मतदान है।

धर्म के आधार पर वोट मांगना भ्रष्ट आचरण

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (The Representation of People’s Act, 1951 ) की धारा 123 (3) के तहत धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय, भाषा के आधार पर वोट मांगने या धार्मिक प्रतीकों के आधार पर वोट मांगे जाने को 'भ्रष्ट आचरण' माना गया है।

यदि ये साबित हो जाता है कि कोई उम्मीदवार 'भ्रष्ट आचरण' कर रहा था, तो उक्त अधिनियम की धारा 100 के अंतर्गत उस उम्मीदवार की चुनावी योग्यता को निरस्त किया जा सकता है।

साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चुनावी प्रक्रिया में धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। यदि इन आधारों पर वोट मांगा जाता है तो उम्मीदवार का चुनाव रद्द कर दिया जाएगा।

हालांकि, चुनाव में खुलेआम धर्म के नाम पर वोट मांगने के लिए अरुण गोविल पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई है। चुनावी कैंपेन में जय श्रीराम का नारा लगाने को गोविल 'वे ऑफ लाइफ' बताते हैं।

गोविल के लिए क्या है चुनौती?

पहली बार किसी भी मुख्य राजनीतिक दल ने मेरठ से किसी मुस्लिम को मैदान में नहीं उतारा है। इस सीट पर मुस्लिम समुदाय की अच्छी खासी आबादी है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी स्वीकार करते हैं, "जिस निर्वाचन क्षेत्र में उनकी (मुसलमानों) संख्या 36% है, वहां मुस्लिम उम्मीदवार की अनुपस्थिति ने अंतिम समय में धार्मिक ध्रुवीकरण की संभावना को खत्म कर दिया है। 2009 से भाजपा को धार्मिक ध्रुविकरण का फायदा हुआ था… इसके अलावा, गोविल के पर 'बाहरी' होने का भी टैग है।"

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की संयुक्त उम्मीदवार सुनीता वर्मा, दलित समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। वह बसपा की पूर्व मेरठ मेयर भी हैं। जहां तक बसपा की बात है तो उसने ब्राह्मण समुदाय से आने वाले देवव्रत त्यागी को मैदान में उतारा है। बपसा इसे अपनी सोशल इंजीनियरिंग का हिस्सा मान रही है। अब सवाल उठता है कि अगर इस सीट पर इतनी चुनौती है तो भाजपा ने अपने तीन बार के सीटिंग सांसद राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काटकर, अरुण गोविल जैसे राजनीतिक रूप से अनुभवहीन व्यक्ति को मैदान में क्यों उतारा है? जानने के लिए फोटो पर क्लिक करें:

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टीवी सीरियल रामायण का एक पोस्टर (Express archive photo)

कांग्रेस के लिए प्रचार कर चुके हैं टीवी के राम?

रामायण धारावाहिक के लोकप्रिय होने से अरुण गोविल भी खूब प्रसिद्ध हुए। उन्हें घर-घर पूजा जाने लगा। गोविल की लोकप्रियता को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें कांग्रेस में शामिल होने के लिए कहा। गोविल आधिकारिक रूप से कांग्रेस में तो शामिल नहीं हुए लेकिन कई मौकों पर राजीव गांधी के साथ चुनाव प्रचार करते नजर आए। विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें:

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टीवी सीरियल रामायण का एक पोस्टर (Express archive photo)

'अय्याश' और 'बिस्तर' जैसी फिल्मों में भी काम कर चुके हैं गोविल

अरुण गोविल ने सिर्फ राम का किरदार ही नहीं निभाया, वह अय्याश और बिस्तर जैसी फिल्मों में भी काम कर चुके हैं। गोविल के दोस्तों और रिश्तेदारों ने तो उन्हें धार्मिक शो में काम न करने की सलाह दी थी। पहली बार में रामानंद सारग ने गोविल को राम के किरदार के लिए फिट नहीं पाया था और रिजेक्ट भी कर दिया था।

रामानंद सागर को रामायण बनाने का आइडिया विदेश में वाइन पीते हुए आया था। रामायण बनने और प्रसारित होने की पूरी कहानी जानने के लिए फोटो पर क्लिक करें:

Ramayan, रामायण
बाएं से- राम की भूमिका में अरुण गोविल और सीता की भूमिका में दीपिका चिखलिया
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