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नड्डा से मिले लोकसभा चुनाव में हार से भड़के पुडुचेरी के विधायक, रखी CM बदलने की मांग

पुडुचेरी में अगर भाजपा के तीन विधायकों और निर्दलीय विधायकों ने अलग होने का फैसला किया, तो सरकार के साथ-साथ गठबंधन भी खतरे में पड़ सकता है।
Written by: shrutisrivastva
नई दिल्ली | Updated: July 05, 2024 10:30 IST
पुडुचेरी के मुख्यमंत्री एन रंगासामी (Source- Facebook)
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लोकसभा चुनाव 2024 में मनमुताबिक नतीजे न मिलने के बाद कई राज्यों में बीजेपी में बगावत के सुर उठने लगे हैं। पुडुचेरी की भाजपा और अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस (AINRC) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में कुछ समय से चल रहा संकट एक बार फिर बढ़ गया है। चुनाव में हार के बाद भड़के 7 विधायकों का एक समूह मुख्यमंत्री बदलने की मांग लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने दिल्ली पहुंचा है।

तीन भाजपा विधायकों, एक नामांकित भाजपा विधायक और तीन निर्दलीय विधायकों सहित सात विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्र शासित प्रदेश सरकार में तत्काल बदलाव की मांग के साथ नई दिल्ली पहुंचा है। प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की और कैबिनेट में फेरबदल करने और भ्रष्टाचार और कुशासन के मुद्दों को उठाने का आग्रह किया।

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हार से भड़के पुडुचेरी के विधायक

इन मांगों के लिए पीछे पुडुचेरी के गृहमंत्री ए नमसिवायम की हालिया हार है, जिन्हें भाजपा ने लोकसभा चुनाव में मैदान में उतारा था। मुख्यमंत्री और एआईएनआरसी नेता एन रंगासामी के भतीजे नमसिवायम कांग्रेस के वी वैथिलिंगम से 1.36 लाख से अधिक वोटों से हार गए। विधायकों ने आलाकमान से कहा है कि यह हार रंगासामी के नेतृत्व वाली तीन साल पुरानी सरकार के खराब प्रशासन और अप्रभावी नेतृत्व का नतीजा है।

ऐसे में अगर भाजपा के तीन विधायकों और निर्दलीय विधायकों ने अलग होने का फैसला किया, तो सरकार के साथ-साथ गठबंधन भी खतरे में पड़ सकता है।

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बीजेपी को पार्टी की समस्याओं का समाधान ढूंढने दें- सीएम रंगासामी

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सीएम रंगासामी ने कहा कि इस स्थिति में वह कुछ नहीं कर सकते। उन्हें (भाजपा को) इसे हल करने दीजिए। खराब शासन व्यवस्था सहित उनकी सरकार के खिलाफ भाजपा विधायकों के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर, रंगासामी ने हंसते हुए कहा, "सरकार ठीक से काम कर रही है, यहां कोई शिकायत नहीं है। उन्हें अपनी पार्टी के भीतर समस्याओं का समाधान ढूंढने दें।" जो विधायक दिल्ली में हैं उनमें भाजपा के पी एम एल कल्याणसुंदरम, ए जॉन कुमार और कुमार के बेटे रिचर्ड, निर्दलीय एम शिवशंकरन, पंगालन और गोलापल्ली श्रीनिवास अशोक शामिल हैं।

नमसिवायम को मंत्री पद से हटाने की मांग

बीजेपी के एक विधायक ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनकी एक मांग यह थी कि नमसिवायम को मंत्री पद से हटा दिया जाए। वे यह भी चाहते हैं कि भाजपा सरकार से हट जाए और उसे केवल बाहर से समर्थन दे। विधायक ने कहा, ''हम 2026 के विधानसभा चुनाव में अपना प्रदर्शन खराब नहीं करना चाहते।''

इन मुद्दों पर खफा हैं विधायक

सात विधायकों द्वारा उठाए गए अन्य मुद्दों में एआईएनआरसी-भाजपा सरकार में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और प्रशासन की निर्वाचन क्षेत्रों के मुद्दों को संबोधित करने में असफलता शामिल है। उन्होंने कहा कि स्कूलों और धार्मिक संस्थानों के पास रेस्टो-बार का प्रसार और भर्ती प्रक्रियाओं में रिश्वतखोरी जैसे स्थानीय मुद्दे लोकसभा चुनाव में हार के पीछे प्रमुख मुद्दों में से थे।

पुडुचेरी की 30 सदस्यीय विधानसभा में, एआईएनआरसी के पास 10 सीटें हैं और भाजपा के पास छह सीटें हैं। हालाँकि, गठबंधन को छह निर्दलीय और तीन नामांकित विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जिससे यह अभी तक सत्ता में है। विपक्ष में डीएमके और कांग्रेस के पास आठ विधायकों की संयुक्त ताकत है।

बीजेपी ने 2021 विधानसभा चुनाव से पहले किया था तख्तापलट

भाजपा ने 2021 के विधानसभा चुनावों से ठीक दो महीने पहले पिछली कांग्रेस सरकार को नमसिवायम सहित कांग्रेस के प्रमुख नेताओं के सहयोग से गिरा दिया था। 2021 में ए नमसिवायम ने कुछ समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए थे। जिसके बाद चुनावों में, AINRC-BJP पुडुचेरी में सत्ता में आई। 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद एआईएनआरसी और भाजपा गठबंधन के सत्ता में आने के बाद नमसिवायम को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की उम्मीद थी। हालांकि उन्हें मुख्यमंत्री एन रंगासामी की अध्यक्षता वाले मंत्रिमंडल में गृह विभाग दिया गया।

पुडुचेरी बीजेपी प्रमुख एस सेल्वगणपति पर सवाल

पुडुचेरी में कई भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे को सही से न हैंडल करने के लिए पार्टी नेतृत्व को दोषी ठहराया। कई लोगों ने पुडुचेरी बीजेपी प्रमुख एस सेल्वगणपति पर उंगली उठाई। एक बीजेपी नेता ने कहा, "उन्हें आरएसएस ने लाया है और उन्होंने पार्टी समीकरण को गड़बड़ कर दिया है। न तो वह वरिष्ठ स्थानीय नेताओं से सलाह लेते हैं और न ही सोच-समझकर निर्णय लेते हैं, जिससे वर्तमान संकट पैदा हुआ है। दिल्ली में बैठे लोग, जो पुडुचेरी की राजनीति को नहीं समझते हैं, वे इस संकट का सामना करने में विफल हो सकते हैं।''

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