बीजेपी को अपनों ने दिए लगातार तीन झटके- यूपी, बिहार से राजस्थान तक मुसीबत
लोकसभा चुनाव 2024 में बहुमत नहीं ला सकने के बाद भाजपा को विरोधियों के साथ-साथ अपनों के हमले भी खूब झेलने पड़ रहे हैं। महाराष्ट्र, यूपी के बाद ताजा झटका राजस्थान और बिहार से आया है।
राजस्थान में जहां किरोड़ी लाल मीणा ने भाजपा सरकार से इस्तीफा दे दिया है, वहीं बिहार में सहयोगी नीतीश कुमार के मंत्री ने कहा है कि जदयू का साथ नहीं होता तो बिहार में भाजपा लोकसभा चुनाव में एक सीट भी नहीं जीत पाती।
बिहार के बड़े भाजपा नेता अश्विनी चौबे ने हाल में कहा था कि उनका सपना है कि बिहार में अकेले भाजपा के बहुमत से एनडीए की सरकार बने। उन्होंने कहा कि यह इच्छा उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व के सामने भी जाहिर की है।
भाजपा पर क्या बोले नीतीश के मंत्री
नीतीश सरकार में मद्य निषेध उत्पादन व निबंधन विभाग के मंत्री रत्नेश सदा ने 3 जुलाई को जमुई में कहा है कि अगर भाजपा अकेले लोकसभा चुनाव लड़ी होती तो एक भी सीट नहीं जीत पाती। और, चौबे जो कह रहे हैं वह उनका बड़बोलापन है। उनके इसी बड़बोलेपन की वजह से उन्हें भाजपा ने किनारे किया है।
बता दें कि चौबे 2024 चुनाव से पहले मोदी सरकार में मंत्री थे, पर इस बार उन्हें लोकसभा का टिकट नहीं दिया गया।
किरोड़ीलाल मीणा ने की मंत्री पद छोड़ने की घोषणा
उधर, राजस्थान में छह बार विधायक और दो बार मंत्री रहे किरोड़ीलाल मीणा ने चार जुलाई को मंत्री पद छोड़ने की घोषणा की है। वह राज्य की भाजपा सरकार में कृषि एवं आपदा राहत मंत्री थे। उनका कहना है कि वह किसी से नाराजगी के चलते इस्तीफा नहीं दे रहे, बस अपना वादा निभा रहे हैं।
मीणा ने कहा था कि उन्हें लोकसभा चुनाव में राजस्थान की जिन सीटों की जिम्मेदारी मिली है, वहां भाजपा नहीं जीत पाएगी तो वह मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे।
भाजपा सरकार के लिए परेशानी खड़े करते रहे हैं मीणा
चार जून को मतगणना के वक्त जब रुझानों में भी बीजेपी 11 लोकसभा सीटों पर हारती दिखी थी, तभी मीणा ने सोशल मीडिया पर लिखा था- रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाई पर वचन न जाई। ठीक एक महीना बाद इस्तीफे की खबर सार्वजनिक करने के बाद भी उन्होंने यही बात अपने एक्स अकाउंट पर लिखी।
इससे पहले और बाद में भी मीणा लगातार अपनी ही भाजपा सरकार के लिए परेशानी खड़े करते रहे हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया और अफसरों के तबादलों को लेकर भी सहयोगी मंत्री से विवाद खड़ा किया था।
लोकसभा चुनाव में भाजपा की 63 सीटें कम आने के बाद जगह-जगह से नेताओं ने भीतरघात के आरोप लगाए और नेतृत्व के फैसलों पर सवाल उठाया। सबसे ज्यादा सीटें खोने वाले राज्य उत्तर प्रदेश में कई नेताओं ने खुलेआम भीतरघात का आरोप लगाया।
उत्तर प्रदेश में भाजपा की सहयोगी अनुप्रिया पटेल (अपना दल नेता और केंद्रीय मंत्री) ने एक सप्ताह के भीतर दो बार राज्य की योगी सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने राज्य सरकार पर आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को नौकरी से बाहर रखने का आरोप लगाया। साथ ही, दो जुलाई को साफ कहा कि उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षकों की नियुक्ति राज्य सरकार की वजह से नहीं हो पा रही है।
महाराष्ट्र में भी बीजेपी के एक नेता ने एनसीपी से गठबंधन का विरोध किया।