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Kanchanjunga Train Accident: हर साल हो रहे 40 रेल हादसे, कब तक मिलेगा ट्रेनों को 'कवच', कंचनजंघा हादसे के बाद उठ रहे सवाल

2022-23 में, जहां 48 रेल दुर्घटनाओं में से 6 का कारण टकराव था, वहीं 36 दुर्घटनाओं का कारण ट्रेन का पटरी से उतरना था।
Written by: shrutisrivastva
नई दिल्ली | Updated: June 18, 2024 11:43 IST
kanchanjunga train accident  हर साल हो रहे 40 रेल हादसे  कब तक मिलेगा ट्रेनों को  कवच   कंचनजंघा हादसे के बाद उठ रहे सवाल
कंचनजंघा ट्रेन हादसा (Source- PTI)
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पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में सोमवार सुबह एक मालगाड़ी के पीछे से टक्कर मारने के कारण सियालदह जाने वाली कंचनजंघा एक्सप्रेस के चार डिब्बे पटरी से उतर गए। इस हादसे में कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई और 41 घायल हुए हैं। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मृतकों में मालगाड़ी के दोनों चालक और एक्सप्रेस ट्रेन का गार्ड शामिल है। हादसे के बाद से रेल मंत्री और रेलवे की सुरक्षा प्रणाली पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, साथ ही लगातार बढ़ते ट्रेन हादसों पर चिंता जताई जा रही है।

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आंकड़ों की बात की जाये तो पिछले पांच सालों में (2022-23 की अवधि तक) हर साल औसतन 44 ट्रेन दुर्घटनाएं हुई हैं। भारतीय रेलवे के अनुसार, कॉन्सिक्वेश्नल ट्रेन एक्सिडेंट में गंभीर चोटें, जान-माल की हानि, रेल यातायात में व्यवधान और रेलवे संपत्ति को नुकसान शामिल है। हाल के वर्षों में ऐसी दुर्घटनाओं की संख्या में गिरावट आई है। हालांकि, ट्रेन टकराव की घटनाएं हर 3-4 महीने में एक होती हैं।

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2000-01 में 470 से अधिक ऐसी रेल दुर्घटनाएँ दर्ज की गईं। दो दशकों से अधिक समय के बाद, परिणामी ट्रेन दुर्घटनाओं में (Consequential Train Accidents) लगभग 90 प्रतिशत की कमी आई है। हालांकि, कोविड महामारी के दौरान यात्री ट्रेनों में कमी के बावजूद 2020-21 में 22 रेल दुर्घटनाएं और 2021-22 में 35 रेल दुर्घटनाएं हुईं।

अधिकांश दुर्घटनाओं के पीछे ट्रेन का पटरी से उतरना प्रमुख कारण

इनमें से अधिकांश दुर्घटनाओं के पीछे ट्रेन का पटरी से उतरना प्रमुख कारण रहा है। 2018-19 में 59 दुर्घटनाओं में से 46 दुर्घटनाएँ ट्रेन के पटरी से उतरने के कारण हुईं। ट्रेनों में आग लगने की 6 घटनाएं हुईं। वहीं, 2022-23 में, जहां 48 रेल दुर्घटनाओं में से 6 का कारण टकराव था, वहीं 36 दुर्घटनाओं का कारण ट्रेन का पटरी से उतरना था। पिछले साल संसद में दिये गए एक जवाब से पता चलता है कि साल 2023-24 में जुलाई तक ट्रेन टकराव की 4 घटनाएं हुई हैं।

2022-23 में मध्य क्षेत्र में सबसे अधिक दुर्घटनाएं

लोकसभा में दिये गए आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में मध्य क्षेत्र में सबसे अधिक दुर्घटनाएँ हुई हैं। 2022-23 में 48 रेल दुर्घटनाओं में से 17 प्रतिशत मध्य क्षेत्र में हुईं। इसमें मुंबई, नागपुर, भुसावल, पुणे और शोलापुर डिवीजन शामिल हैं। देश के 18 रेलवे ज़ोन में से छह ज़ोन में कोई दुर्घटना नहीं हुई। इसमें पूर्वोत्तर, दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र, दक्षिणी, पश्चिम मध्य, कोंकण और मेट्रो रेलवे शामिल हैं।

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क्षेत्रदुर्घटनाओं की संख्या (%)
सेंट्रल रेलवे16.7
ईस्ट-सेंट्रल12.5
नॉर्थ रेलवे12.5
ईस्ट कोस्ट10.4
साउथ ईस्ट सेंट्रल10.4
नॉर्थ सेंट्रल8.3
साउथ सेंट्रल6.3
साउथ ईस्टर्न6.3
वेस्टर्न6.3
ईस्टर्न4.2
नॉर्थ वेस्टर्न4.2
नॉर्थ ईस्टर्न2.1

देशभर में पिछले कुछ सालों में हुए बड़े ट्रेन हादसे

शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और मालगाड़ी की टक्कर (2023)

यह भारत में हुई सबसे भीषण रेल दुर्घटनाओं में से एक थी। 2 जून, 2023 को हुए इस हादसे में कम से कम 293 लोगों की मौत हो गई थी। दुर्घटना तब हुई जब चेन्नई जाने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन में घुस गई और ओडिशा के बालासोर में एक खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी। जिसके बाद हावड़ा की ओर जा रही यशवंतपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे बगल की पटरी पर बिखरे हुए कोरोमंडल एक्सप्रेस के पलटे हुए डिब्बों से टकराने के बाद पटरी से उतर गए थे।

बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस हादसा (2022)

13 जनवरी 2022 को पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के दोमोहानी इलाके में बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस के 12 डिब्बे पटरी से उतर जाने से 10 यात्रियों की मौत हो गई और 40 से अधिक घायल हो गए थे।

औरंगाबाद के पास मालगाड़ी की चपेट में आने से 16 प्रवासी श्रमिकों की मौत (2020)

8 मई, 2020 को हैदराबाद के पास चेरलापल्ली स्टेशन से नासिक के पनेवाडी स्टेशन की ओर जा रही एक खाली मालगाड़ी ने गलती से 16 श्रमिकों को कुचल दिया था। यह सभी ट्रेन की पटरियों पर सो रहे थे। लोको पायलट ने श्रमिकों को देखा था लेकिन समय पर ट्रेन को रोकने में विफल रहा। मध्य प्रदेश के ये प्रवासी श्रमिक कोरोनो महामारी के बीच घर वापस जाने का प्रयास कर रहे थे। वे संभवतः थकावट के कारण गिर गए थे और रेल की पटरियों पर सो गए थे।

जालंधर-अमृतसर डीएमयू, अमृतसर-हावड़ा एक्सप्रेस हादसा (2018)

19 अक्टूबर, 2018 को अमृतसर के पास दशहरा उत्सव देखने के लिए रेलवे ट्रैक पर खड़े लोगों को दो ट्रेनों ने कुचल दिया था, जिससे लगभग 60 लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे। जब जालंधर-अमृतसर डीएमयू ट्रैक पर आई तो उस वक़्त आतिशबाजी देखने के लिए करीब 300 लोगों की भीड़ ट्रैक पर जमा थी। कुछ लोग बगल की पटरियों पर खड़े हो गए तभी अमृतसर-हावड़ा एक्सप्रेस पहुंची और भीड़ को कुचलते हुए गुजर गई।

हीराखंड एक्सप्रेस हादसा (2017)

21 जनवरी 2017 को आंध्र प्रदेश के कुनेरू स्टेशन पर जगदलपुर-भुवनेश्वर हीराखंड एक्सप्रेस पटरी से उतर गई। इस ट्रेन दुर्घटना में 40 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए थे।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का पुराना वीडियो वायरल

सोमवार को हुए कंचनजंघा रेल हादसे के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का कवच प्रणाली को समझाते हुए एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है। अधिकारियों ने कहा कि सिस्टम को अभी भी अधिकांश रेल नेटवर्क में स्थापित किया जाना बाकी है।

रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने एनडीटीवी को बताया था, "रेलवे अगले साल तक 6,000 किमी से अधिक ट्रैक को कवर करने के अपने लक्ष्य के तहत दिल्ली-गुवाहाटी मार्ग पर सुरक्षा प्रणाली तैनात करने की योजना बना रहा है। बंगाल इस साल कवच द्वारा संरक्षित किए जाने वाले 3,000 किमी ट्रैक के भीतर आता है। यह प्रणाली दिल्ली-हावड़ा मार्ग पर लागू की जाएगी।"

कवच सिस्टम 1500 किमी से अधिक ट्रैक पर मौजूद

वर्तमान में, कवच 1500 किमी से अधिक ट्रैक पर मौजूद है। केंद्र ने 2022-23 के दौरान कवच के तहत 2,000 किलोमीटर रेल नेटवर्क कवर करने की योजना बनाई थी और लगभग 34,000 किलोमीटर रेल नेटवर्क को कवर करने का लक्ष्य है। वहीं, इंडियन रेलवे सिस्टम 1 लाख किलोमीटर से लंबा है।

कवच, विशेष रूप से ट्रेनों के टकराव को रोकने के लिए डिज़ाइन की गई और भारत में निर्मित प्रणाली है। यह अभी तक दार्जिलिंग में ट्रेन पटरियों पर स्थापित नहीं की गई है, जहां कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना हुई थी।

क्या है कवच प्रणाली?

टक्कर से बचाव के लिए तैयार की गयी कवच ​​प्रणाली एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली है, जिसे भारत में अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RSCO) और अन्य भारतीय फर्मों द्वारा विकसित किया गया था। अगर ड्राइवर समय पर ब्रेक लगाने में फेल होता है तो कवच ट्रेन की गति को नियंत्रित करता है।

कवच प्रणाली लोकोमोटिव ड्राइवरों को पटरियों पर खतरे के संकेतों की पहचान करने में सहायता करती है और उन्हें कम विजिबिलिटी वाले क्षेत्रों में ट्रेन चलाने में भी मदद करती है। यह सिस्टम मुख्य रूप से पटरियों और स्टेशन यार्डों पर लगाए गए आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) टैग की मदद से काम करती है, जो ट्रेनों और उनकी दिशाओं का पता लगा सकती है।

वर्तमान में, कवच के कॉन्ट्रैक्ट दिल्ली-मुंबई (अहमदाबाद-वडोदरा सेक्शन सहित) और दिल्ली-हावड़ा (लखनऊ-कानपुर सेक्शन सहित) लगभग 3000 रूट किमी के लिए पूर्वी रेलवे, पूर्व मध्य रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे, उत्तर रेलवे, पश्चिम-मध्य रेलवे और पश्चिम रेलवे को कवर करने के लिए दिए गए हैं।

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