हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से आदिवासी बेल्ट में इंडिया गठबंधन के लिए सहानुभूति, लेकिन बीजेपी को रोकने के लिए कुछ 'एक्स्ट्रा' की जरूरत
झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में 4 सीट पर आम चुनाव के चौथे चरण में 13 मई को मतदान होगा। झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को इस चुनाव में एक बड़े मुद्दे के रूप में देखा गया जिसके इर्द-गिर्द विपक्षी INDIA गठबंधन एकजुट है। हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन पार्टी में अपने पति की भूमिका में अनौपचारिक रूप से शामिल हो गईं हैं। इन सबके बीच आइये देखते हैं क्या हैं झारखंड के बड़े मुद्दे और क्या INDIA गठबंधन को सच में सोरेन की गिरफ्तारी से कोई फायदा होगा?
झारखंड में INDIA गठबंधन में कांग्रेस शामिल है, जो कुल 14 में से सात लोकसभा सीटों पर लड़ रही है। वहीं, झामुमो पांच, राजद और सीपीआई-एमएल एक-एक सीट पर चुनाव मैदान में उतरेंगे। पिछली बार कांग्रेस और जेएमएम ने 1-1 सीट जीती थी जबकि बीजेपी ने 12 सीटें जीती थीं।
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी पर आदिवासियों के बीच नाराजगी
इंडिया गठबंधन को उम्मीद है कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी पर आदिवासियों के बीच नाराजगी की वजह से उसका पलड़ा भारी है। हालांकि, गठबंधन भ्रष्टाचार, आंतरिक विद्रोह, नामों को अंतिम रूप देने में देरी और वादों और जमीनी हकीकत के बीच अंतर जैसे बड़े मसलों से जूझ रहा है। सोरेन 31 जनवरी से ईडी की न्यायिक हिरासत में हैं और उनकी जमानत पर सुनवाई रुकी हुई है। झामुमो जिन पांच सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उनमें से राजमहल, दुमका और सिंहभूम एसटी-आरक्षित सीटें हैं; अन्य दो जमशेदपुर और गिरिडीह हैं।
राजमहल सीट पर किसका पलड़ा भारी?
राजमहल सीट पर पिछली दो बार झामुमो के विजय हंसदक ने जीत दर्ज की है लेकिन इस बार राजमहल सीट केअंतर्गत आने वाले साहेबगंज इलाके में हेमंत के पूर्व सहयोगी पंकज मिश्रा पर अवैध खदान अधिग्रहण का आरोप है। हालांकि, हेमंत सोरेन की दुमका लोकसभा सीट झामुमो के खाते में जा सकती है। पार्टी ने यहां इसे पारिवारिक मुकाबला बनाने की भाजपा की उम्मीदों को चकमा दे दिया। झामुमो के सह-संस्थापक शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन को यहां से भाजपा का टिकट मिलने के बाद झामुमो ने पांच बार के अनुभवी विधायक नलिन सोरेन को उतारा है।
सिंहभूम में दिलचस्प है मुकाबला
झामुमो एक और आदिवासी सीट सिंहभूम से चुनाव लड़ रही है। वहां इस चुनाव का सबसे दिलचस्प मुकाबला होने की उम्मीद है। 2019 में, इस सीट पर कांग्रेस की गीता कोड़ा ने अपनी और अपने पति मधु कोड़ा की लोकप्रियता का फायदा उठाते हुए जीत दर्ज की थी, वो भी तब जब 'मोदी लहर' अपने चरम पर थी। झामुमो ने कैबिनेट मंत्री और मनोहरपुर से विधायक जोभा मांझी को गीता कोड़ा के खिलाफ मैदान में उतारा है, जो संथाली आदिवासी हैं और अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं।
गिरिडीह में मुकाबला त्रिकोणीय
वहीं, जमशेदपुर में झामुमो ने बहरागोड़ा से विधायक समीर मोहंती को मैदान में उतारा है। पार्टी को उम्मीद है कि समीर को क्षेत्र में बंगाली वोट मिलेंगे। गिरिडीह में मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है। जहां एनडीए सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के मौजूदा सांसद चंद्र प्रकाश महतो, जेएमएम के मथुरा प्रसाद महतो (टुंडी सीट से विधायक) और झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के जयराम महतो के बीच है। हालांकि, जयराम राजनीति में नए हैं, लेकिन अधिवास नीति के कार्यान्वयन के लिए क्षेत्र में पिछले दो वर्षों में उनके विरोध प्रदर्शन ने ध्यान आकर्षित किया है। झामुमो के एक विधायक ने कहा कि यह देखना दिलचस्प होगा कि जयराम किसका वोट काटते हैं।
निर्दलीय उम्मीदवार से कांग्रेस-भाजपा को चुनौती
एसटी-आरक्षित लोहरदगा सीट पर जो पिछली बार भाजपा ने 10,000 से भी कम वोटों से जीती थी, कांग्रेस उम्मीदवार सुखदेव भगत झामुमो के बागी चमरा लिंडा से जूझ रहे हैं। बिष्णुपुर (जो लोहरदगा लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है) से तीन बार की विधायक लिंडा ने 2019 विधानसभा चुनाव में 17000 से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की। लिंडा निर्दलीय के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए गठबंधन के एक नेता ने कहा, “भाजपा ने अपने तीन बार के मौजूदा सांसद सुदर्शन भगत को हटा दिया है जिससे सुखदेव भगत को मौका मिला है। हालांकि, अगर लिंडा पूरी ताकत लगाती हैं तो यह कांग्रेस के लिए कठिन हो सकता है।
भाजपा के निशिकांत दुबे के खिलाफ कांग्रेस की मजबूत दावेदार
वहीं, दूसरी ओर गोड्डा लोकसभा सीट पर, पार्टी को प्रदीप यादव के लिए महगामा से विधायक दीपिका पांडे सिंह को हटाने के अपने फैसले को सही ठहराने में मुश्किल हो रही है। जहां दीपिका को भाजपा के निशिकांत दुबे के खिलाफ एक मजबूत दावेदार के रूप में देखा जा रहा था। प्रदीप यादव हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए थे। वह झारखंड विकास मोर्चा (प्रजनतांत्रिक) पार्टी के नेता हुआ करते थे, जिसका भाजपा में विलय हो गया है। 2019 में, प्रदीप यादव गोड्डा सीट से निशिकांत दुबे से 1.8 लाख वोटों से हार गए थे।
दीपिका की उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस को अपने ही खेमे से विरोध का सामना करना पड़ा था लेकिन उनकी पार्टी के एक नेता ने कहा कि यह बदलाव जाति संबंधी विचारों के कारण था। कांग्रेस नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “हमारी रांची सीट ऊंची जाति के सुबोधकांत सहाय की बेटी को मिली और शेष छह सीटों पर हमारे पास केवल एक ओबीसी उम्मीदवार था। प्रदीप इस कमी को पूरा करते हैं।”
हज़ारीबाग में कांग्रेस ने जय प्रकाशभाई पटेल पर लगाया दांव
हज़ारीबाग में कांग्रेस ने जय प्रकाशभाई पटेल को उतारा है जो एक कुड़मी और झामुमो के सह-संस्थापक टेक लाल महतो के बेटे हैं। सीट के रामगढ़ और मांडू विधानसभा क्षेत्रों में कुड़मियों का दबदबा है। कांग्रेस नेता ने कहा, "पटेल को हज़ारीबाग में कायस्थ समुदाय के वोट भी मिल सकते हैं क्योंकि भाजपा ने उनके समुदाय के नेता यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा को टिकट देने से इनकार कर दिया है।" उनकी जगह बीजेपी ने मनीष जयसवाल को मैदान में उतारा है।
खूंटी सीट पर मुंडा बनाम मुंडा की लड़ाई
एसटी-आरक्षित सीट खूंटी से कांग्रेस लड़ रही है। यहां मुकाबला कांग्रेस के कालीचरण मुंडा बनाम भाजपा के अर्जुन मुंडा है। पिछली बार अर्जुन मुंडा 1445 वोटों से जीते थे। कालीचरण भाजपा के खूंटी विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा के भाई हैं। रांची के एक कांग्रेस नेता ने कहा कि वे इस मुकाबले को हल्के में नहीं ले रहे हैं। अर्जुन मुंडा 2019 के चुनावों से पहले कुछ नहीं थे लेकिन अब वह केंद्रीय मंत्री हैं। हालांकि, हेमंत सोरेन के जेल में होने से आदिवासी समुदाय के भीतर गुस्सा है।”
धनबाद में कांग्रेस ने दिवंगत दिग्गज नेता राजेंद्र सिंह की बहू अनुपमा सिंह को उतारा है। उनके पति कुमार जयमंगल बेरमो से विधायक हैं। लोकसभा क्षेत्र में मौजूदा बीजेपी सांसद ढुल्लू महतो के खिलाफ कुछ गुस्सा है लेकिन कांग्रेस नेताओं को भी यकीन नहीं है कि इसका मतलब जमीनी स्तर पर बदलाव होगा या नहीं।
इस क्षेत्रों पर कांग्रेस को देना होगा खास ध्यान
चतरा संसदीय क्षेत्र में भी कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर नहीं है। पार्टी के उम्मीदवारों के चयन में समस्याओं के बारे में पूछे जाने पर, झारखंड कांग्रेस प्रमुख राजेश ठाकुर ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हम मोदी के खराब प्रदर्शन, नौकरियों की कमी और जीवन स्तर में गिरावट पर वोट मांगेंगे। झारखंड एक औद्योगिक क्षेत्र है और हमारा घोषणापत्र वेतन समानता और बेहतर कामकाजी परिस्थितियों का वादा करता है।"
कोडरमा में, सीपीआई (एमएल) लिबरेशन ने बगोदर से अपने विधायक विनोद सिंह को मैदान में उतारा है। विनोद सिंह को केंद्रीय मंत्री और भाजपा उम्मीदवार अन्नपूर्णा देवी से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, उनके लिए सबसे बड़ा प्लस पॉइंट यह है कि कल्पना सोरेन जिस विधानसभा सीट, गांडेय से 20 मई को उपचुनाव लड़ रही हैं वह कोडरमा में आती है।
कल्पना सोरेन से कितना फायदा?
कल्पना अपने निर्वाचन क्षेत्र का नियमित दौरा कर रही हैं और मतदाताओं, विशेषकर महिलाओं से जुड़ने में सक्षम हैं। झारखंड के गिरिडीह के गांडेय से जेएमएम उम्मीदवार के तौर पर हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने अपना नामांकन भरा है। इस मुकाबले को अपने जेल में बंद पति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच का मुकाबला बताते हुए उन्होंने हाल ही में पोस्ट किया था, “बहादुर सोरेन सभी के दिलों में रहते हैं। उनका हर काम लोगों के दिलों तक पहुंचा है। आप उन्हें लोगों के दिलों से कैसे निकाल सकते हैं?”