scorecardresearch
For the best experience, open
https://m.jansatta.com
on your mobile browser.

Jharkhand Politics: 29 व‍िधानसभा सीटें कवर करने वाली पांचों आरक्षित लोकसभा सीटों पर हार से मुश्किल होगी बीजेपी की राह?

बीजेपी ने झारखंड को बेहद गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री और पार्टी के अनुभवी नेता शिवराज सिंह चौहान को यहां का प्रभारी बनाया है।
Written by: Pawan Upreti
नई दिल्ली | Updated: July 06, 2024 15:56 IST
jharkhand politics  29 व‍िधानसभा सीटें कवर करने वाली पांचों आरक्षित लोकसभा सीटों पर हार से मुश्किल होगी बीजेपी की राह
आदिवासी वोटों पर कब्जे की है लड़ाई। (Source-FB)
Advertisement

झारखंड में जल्द ही विधानसभा के चुनाव होने हैं और इससे पहले आए लोकसभा चुनाव के नतीजों की वजह से बीजेपी परेशान है। झारखंड में 26 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है और लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सभी सीटों पर हार मिली है।

Advertisement

इस हार से झारखंड बीजेपी का नेतृत्व कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के कामकाज पर भी सवाल उठे हैं। साथ ही, आने वाले व‍िधानसभा चुनाव के ल‍िए श‍िवराज स‍िंंह चौहान और ह‍िमंता ब‍िस्‍वा सरमा की चुनौती बढ़ने वाली है।

Advertisement

अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित जिन पांच सीटों पर बीजेपी को हार मिली है, ये सीटें- खूंटी, सिंहभूम, लोहरदगा, दुमका और राजमहल हैं।

2019 के लोकसभा चुनाव में इसमें से सिर्फ 2 सीटों (राजमहल और सिंहभूम) पर इंडिया गठबंधन में शाम‍िल दलों को जीत मिली थी लेकिन इस बार उसने सभी पांचों सीटें जीत ली हैं।

लोकसभा सीट का नामआने वाली विधानसभा सीटें
खूंटीखरसावां (एसटी), तमाड़ (एसटी), तोरपा (एसटी), खूंटी (एसटी), सिमडेगा (एसटी), कोलेबिरा (एसटी)
सिंहभूमसरायकेला (एसटी), चाईबासा (एसटी), मझगांव (एसटी), जगनाथपुर (एसटी), मनोहरपुर (एसटी), चक्रधरपुर (एसटी)
लोहरदगामांडर (एसटी), सिसई (एसटी), गुमला (एसटी), बिशुनपुर (एसटी), लोहरदगा (एसटी)
दुमकाशिकारीपाड़ा (एसटी), नाला, जामताड़ा, दुमका (एसटी), जामा (एसटी), सारठ
राजमहलबोरियो (एसटी), राजमहल, बरहेट (एसटी), लिट्टीपाड़ा (एसटी), पाकुड़, महेशपुर (एसटी)

झारखंड व‍िधानसभा चुनाव 2024: बीजेपी ने शिवराज, हिमंता को दी जिम्मेदारी

बीजेपी ने झारखंड को बेहद गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री और पार्टी के अनुभवी नेता शिवराज सिंह चौहान को यहां का प्रभारी बनाया है। हिंदुत्व की राजनीति के लिए पहचाने जाने वाले और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को सह प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है। शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा के सामने पार्टी के वोट शेयर को बढ़ाने की चुनौती है।

Advertisement

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी का वोट शेयर गिरा, झामुमो और कांग्रेस का बढ़ा

राजनीतिक दल2019 लोकसभा चुनाव में मिले वोट (प्रतिशत में)2024 लोकसभा चुनाव में मिले वोट (प्रतिशत में)
बीजेपी50.9644.60
कांग्रेस15.6319.19
झामुमो11.5114.60

इंडिया और एनडीए गठबंधन में शामिल दल

झारखंड में इंडिया गठबंधन में कांग्रेस, आरजेडी, एनसीपी और सीपीआई (एमएल) शामिल हैं। जबकि एनडीए में बीजेपी और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन(आजसू) हैं।

Advertisement

झारखंड लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे (कुल सीटें-14)

राजनीतिक दलमिली सीटें
बीजेपी8
कांग्रेस2
झामुमो3
आजसू1

निश्चित रूप से लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद झारखंड के विधानसभा चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच जोरदार मुकाबला दिखाई देगा।

Mohan Bhagwat on BJP, Organiser Ratan Sharda article, Indresh Kumar on BJP Narendra Modi
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का ताजा बयान 2004 में बीजेपी की हार के बाद आए संघ प्रमुख के बयान के सामने कुछ भी नहीं है।

चार सीटों पर मिली बड़े अंतर से हार

बीजेपी के लिए चिंता की बात यह भी है कि अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इन पांच लोकसभा सीटों में से चार सीटों पर उसकी हार का अंतर 1.2 लाख वोटों से ज्यादा का रहा है। केवल दुमका सीट पर वह 23 हजार वोटों से हारी है। बीजेपी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव 1.39 लाख वोटों से लोहारदगा सीट से चुनाव हार गए। निश्चित रूप से यह पार्टी की बड़ी हार है।

आदिवासियों तक पहुंचने की कोशिश रही बेनतीजा?

बीजेपी का खराब प्रदर्शन इसलिए भी पार्टी के लिए चिंताजनक है क्योंकि मोदी सरकार ने बीते सालों में आदिवासियों तक पहुंचने की काफी कोशिश की है। पार्टी ने आदिवासियों के भगवान कहे जाने वाले बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिरसा मुंडा के जन्म स्थान खूंटी में स्थित उलिहातू पहुंचे। उन्होंने विकसित भारत यात्रा को भी यहीं से शुरू किया था।

social monk| spiritual influencers
(बाएं से दाएं) जग्‍गी वसुदेव, गौर गोपाल दास, जया क‍िशोरी (Source- Express)

एससी-एसटी मतदाता बनाते हैं सरकार

झारखंड में विधानसभा की 81 सीटें हैं और इसमें से 28 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। 9 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। ऐसे में लगभग आधी सीटों पर एससी और एसटी मतदाता किसी भी पार्टी की सरकार बनाने में बेहद अहम साबित होते हैं। झारखंड में एसटी मतदाताओं की आबादी 26%, एससी की आबादी करीब 12%है।

हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के मुद्दे ने दिखाया असर

झारखंड की राजनीति में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन को सबसे बड़ा नेता माना जाता है। शिबू सोरेन आठ बार लोकसभा के सांसद रहे हैं। वर्तमान में झामुमो की कमान उनके बेटे और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों में है लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जब सोरेन को भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने गिरफ्तार कर लिया तो झामुमो ने इसे आदिवासियों का अपमान बताया और चुनाव प्रचार के दौरान इसे बड़ा मुद्दा भी बनाया।

चुनाव के नतीजों में और विशेषकर आदिवासी बेल्ट वाली सीटों पर हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का असर दिखाई दिया है।

bihar| andhra pradesh| special status
(बाएं से दाएं) चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार (Source- PTI)

कल्पना सोरेन ने दिखाया दम

हेमंत सोरेन के जेल में होने और शिबू सोरेन के राजनीति में बहुत ज्यादा सक्रिय न होने की वजह से चुनाव प्रचार की कमान हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने संभाली और झामुमो के साथ ही इंडिया गठबंधन को भी इसका फायदा हुआ है। कल्पना सोरेन ने खुद गांडेय विधानसभा सीट से 27000 वोटों के अंतर से चुनाव जीता है।

लोकसभा चुनाव की कामयाबी से उत्साहित होकर झामुमो, कांग्रेस और वाम दल पूरी ताकत के साथ विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।

बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले शिबू सोरेन के परिवार में सेंध लगाई और उनकी बहू सीता सोरेन को दुमका सीट से लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार घोषित किया। लेकिन पार्टी को इसका कोई फायदा नहीं हुआ और दुमका सीट पर झामुमो के उम्मीदवार नलिन सोरेन को जीत मिली जबकि पिछली बार यहां बीजेपी जीती थी और शिबू सोरेन हारे थे।

बीजेपी के ये बड़े आदिवासी नेता हारे

नेता का नामकिस सीट से हारे
अर्जुन मुंडाखूंटी
सीता सोरेनदुमका
गीता कोड़ासिंहभूम

बाबूलाल मरांडी का आदिवासी कार्ड रहा फेल?

बीजेपी ने आदिवासी मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को फिर से पार्टी में शामिल किया और उन्हें प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया। बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे हैं। कुछ साल पहले नाराज होकर उन्होंने बीजेपी छोड़ दी थी और अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) बनाई थी लेकिन 2020 में मरांडी बीजेपी में आ गए।

लोकसभा चुनाव के नतीजों ने दिखाया है कि आदिवासी वोटो पर झामुमो और कांग्रेस की ज्यादा पकड़ है और यह निश्चित रूप से मरांडी और बीजेपी के लिए चिंता की वजह है।

पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे (कुल सीटें-81)

राजनीतिक दलमिली सीटेंवोट शेयर (प्रतिशत में)
बीजेपी2533.37
कांग्रेस3013.88
झामुमो1618.72
आजसू2-
झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक)35.45

हेमंत सोरेन की गैर हाजिरी में मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन सरकार चला रहे हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद इंडिया गठबंधन जहां अपनी सरकार बरकरार रखने की लड़ाई जोर-शोर से लड़ रहा है, वहीं बीजेपी का राज्य और शीर्ष नेतृत्व झारखंड को इंडिया गठबंधन से छीन कर अपने पास लाना चाहता है। लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि ऐसा करना एनडीए के लिए आसान नहीं है।

इन नतीजों के बाद भाजपा को राज्य में अपने सहयोगी दल आजसू की शर्तों को भी मानना होगा। बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा जैसे बड़े नेताओं को झारखंड का प्रभारी बनाकर राज्य का विधानसभा चुनाव पूरी ताकत से लड़ने का संदेश दिया है लेकिन लोकसभा चुनाव में आदिवासी मतदाताओं का रुख इंडिया गठबंधन में शामिल दलों की ओर दिखाई दिया है।

ऐसे में विधानसभा चुनाव में एक-एक वोट और एक-एक सीट के लिए कड़ा चुनावी मुकाबला दिखाई देगा।

Advertisement
Tags :
Advertisement
Jansatta.com पर पढ़े ताज़ा एजुकेशन समाचार (Education News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए जनसत्ता की हिंदी समाचार ऐप डाउनलोड करके अपने समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं ।
×
tlbr_img1 Shorts tlbr_img2 खेल tlbr_img3 LIVE TV tlbr_img4 फ़ोटो tlbr_img5 वीडियो