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Punjab Lok Sabha Chunav 2024: कितना मुश्किल है चरणजीत सिंह चन्नी के लिए जालंधर में लोकसभा का चुनाव जीतना?

2019 में जालंधर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते संतोख सिंह चौधरी की पत्नी करमजीत कौर को यहां 2023 के उपचुनाव में हार मिली थी।
Written by: अंजू अग्निहोत्री छाबा
नई दिल्ली | Updated: May 29, 2024 16:38 IST
punjab lok sabha chunav 2024  कितना मुश्किल है चरणजीत सिंह चन्नी के लिए जालंधर में लोकसभा का चुनाव जीतना
पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी। (Source- mlachanni/FB)
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जालंधर लोकसभा सीट हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रही है। 1952 के बाद से अब तक यहां पर 20 बार चुनाव (तीन उपचुनाव मिलाकर) हो चुके हैं और इसमें कांग्रेस 15 बार जीती है। लेकिन 2023 में हुए उपचुनाव में हालात बदल गए जब कांग्रेस की उम्मीदवार करमजीत कौर को आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सुशील रिंकू ने हरा दिया था। सुशील रिंकू कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे लेकिन उपचुनाव से पहले वह आम आदमी पार्टी में चले गए थे और पार्टी ने उन्हें टिकट दिया था।

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1 जून को होने वाली वोटिंग में सुशील रिंकू इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। इस आरक्षित सीट से कांग्रेस ने अपने पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को उम्मीदवार बनाया है। चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब में अकेले ऐसे दलित नेता हैं जो मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं।

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Karamjit Kaur: बीजेपी के साथ हैं करमजीत कौर

2019 में जालंधर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते संतोख सिंह चौधरी की पत्नी करमजीत कौर को यहां 2023 के उपचुनाव में हार मिली थी। करमजीत कौर को जब इस बार कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वह बीजेपी में शामिल हो गईं। संतोख सिंह चौधरी के निधन के बाद करमजीत को कांग्रेस ने उपचुनाव में जालंधर से उम्मीदवार बनाया था।

चौधरी परिवार कांग्रेस में कई दशकों से सक्रिय है। जालंधर लोकसभा क्षेत्र में दलित मतदाताओं की संख्या 39% है। जालंधर में कुछ दलित नेता इस बात को मानते हैं कि उन्हें चौधरी परिवार की वजह से यहां से टिकट नहीं मिल सका।

Charanjit Singh Channi
पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी। (Source-mlachanni/FB)

Charanjit Singh Channi: चन्नी को उतारने का हुआ था विरोध

चरणजीत सिंह चन्नी मूल रूप से रोपड़ जिले के रहने वाले हैं। जब कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें जालंधर से चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया तो करमजीत कौर चौधरी के बेटे विक्रमजीत सिंह चौधरी के अलावा किसी अन्य स्थानीय नेता ने इस फैसले का विरोध नहीं किया।

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विक्रमजीत सिंह चौधरी यहां से अपनी मां या परिवार के किसी अन्य सदस्य या कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रधान मोहिंदर सिंह केपी के लिए टिकट मांग रहे थे। मोहिंदर सिंह केपी टिकट न मिलने की वजह से शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए और अब यहां से चुनाव लड़ रहे हैं।

बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल के अलावा चरणजीत सिंह चन्नी को यहां पर आम आदमी पार्टी और बसपा के उम्मीदवारों से भी कड़ी चुनौती मिल रही है।

Bhagwant Mann
चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान। (Source-FB/BhagwantMann1)

Punjab drugs Issue: ड्रग्स खत्म करने का वादा

चरणजीत सिंह चन्नी ने अपने चुनाव प्रचार में विकास और ड्रग्स से लड़ाई को मुद्दा बनाया है। चुनाव प्रचार के दौरान वह कहते हैं कि जालंधर में ड्रग्स का धंधा हमारी पार्टी के जिन नेताओं के रहते हुए फला-फूला, वे अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं। जब से मैंने इस मुद्दे को उठाया है लगातार नशा पकड़ा जा रहा है। इस मामले में निष्पक्ष जांच से ही पता चल सकता है कि यह अवैध कारोबार यहां पर कैसे चल रहा है।

चन्नी इसे खत्म करने का वादा भी लोगों से करते हैं और कहते हैं कि वह जालंधर को मेडिकल हब बनाना और वाघा बॉर्डर को खोलना चाहते हैं जिससे पाकिस्तान के लोग भी यहां पर इलाज के लिए आ सकें।

चन्नी इस बात को भी कहते हैं कि 2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की जबरदस्त जीत के बाद भी जालंधर लोकसभा सीट में आने वाली 9 विधानसभा सीटों में से पांच सीटें कांग्रेस ने जीती थी।

2023 के उपचुनाव में जब कांग्रेस को यहां हार मिली थी तो यह कहा गया था कि यह हार कांग्रेस के दिवंगत सांसद संतोख सिंह चौधरी के प्रति मतदाताओं की नाराजगी की वजह से हुई है। संतोख सिंह चौधरी पर आरोप था कि उन्होंने अपना पूरा ध्यान फिल्लौर विधानसभा सीट पर लगा दिया था क्योंकि वहां से उनके बेटे विक्रमजीत सिंह चौधरी विधायक हैं। विक्रमजीत सिंह चौधरी को कांग्रेस निलंबित कर चुकी है।

farmers protest Shambhu railway station
बीते शुक्रवार को शंभू रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन करते किसान। (Express Photo)

AAP Pawan Kumar Tinu: टीनू करते हैं विकास का वादा

आम आदमी पार्टी ने यहां से पवन कुमार टीनू को उम्मीदवार बनाया है। टीनू शिरोमणि अकाली दल के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। टीनू चुनाव प्रचार के दौरान कहते हैं कि आम आदमी पार्टी ने पंजाब में सही मायनों में विकास किया है। वह पंजाब में और ज्यादा मोहल्ला क्लीनिक बनाने, हजारों नौकरियां देने और मुफ्त बिजली का वादा करते हैं। टीनू कहते हैं कि पंजाब में अभी भी 83% लोग ऐसे हैं जो जिनका बिजली का बिल जीरो आ रहा है।

बीजेपी के उम्मीदवार सुशील रिंकू को शहरी इलाकों में बीजेपी के अच्छे प्रदर्शन का भरोसा है। शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन में रहते हुए बीजेपी का फोकस शहरी इलाकों पर ही था। सुशील रिंकू कहते हैं कि वह जालंधर का विकास उसी तरह करना चाहते हैं जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में भारत का अभूतपूर्व विकास हुआ है।

बार-बार पार्टी बदलने के सवाल पर सुशील रिंकू कहते हैं कि वह जालंधर में सड़क, कूड़े आदि की समस्याओं को हल करने के वादे के साथ कांग्रेस से आम आदमी पार्टी में आये थे लेकिन फिर बीजेपी में इसलिए आ गये क्योंकि आम आदमी पार्टी की सरकार ऐसा करने में फेल साबित हुई।

Sukhbir Singh Badal
अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल। (Source- SukhbirSinghBadal/FB)

जालंधर लोकसभा सीट पर बसपा को भी चुनावी लड़ाई से बाहर नहीं माना जा सकता क्योंकि यहां पर बसपा का अपना कैडर वोट है। हालांकि पिछले कुछ सालों में बसपा का कैडर वोट माने जाने वाले दलित मतदाता दूसरे राजनीतिक दलों के पास जाते हुए दिखाई दिए हैं।

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