बढ़ती गर्मी के बीच खतरे की घंटी बजी, पड़ोस से लेनी पड़ रही बिजली
देश के उत्तरी और मध्य भाग में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है। ज़्यादातर हिस्सों में तापमान सामान्य से कई डिग्री ऊपर चल रहा है। दिल्ली में भी गर्मी और पानी की कमी से हाहाकार मचा हुआ है। राजधानी में मंगलवार सुबह न्यूनतम तापमान 33.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो इस मौसम के सामान्य तापमान से छह डिग्री सेल्सियस अधिक है। मौसम विभाग ने बताया कि अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने दिल्ली के लिए ‘रेड अलर्ट’ जारी किया है। बिजली मंत्रालय के एक प्रवक्ता का कहना है कि मांग को पूरा करने के लिए, उत्तरी क्षेत्र अपनी बिजली आवश्यकता का 25-30 प्रतिशत पड़ोसी क्षेत्रों से आयात कर रहा है।
प्रचंड गर्मी और जून के अंत तक खेती के चलते पावर लोड में बढ़ोत्तरी के बीच पंजाब के पावर इंजीनियरों ने सोमवार को राज्य में ग्रिड आउटेज की संभावना जताई, जिसके चलते देशभर के पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। साथ ही उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि मांग में अचानक उछाल से पावर सप्लाई को मैनेज करना मुश्किल हो सकता है।
गर्मी के कारण बिजली की रिकॉर्ड मांग
पिछले एक महीने से उत्तरी क्षेत्र में भीषण गर्मी की स्थिति के कारण बिजली की रिकॉर्ड मांग देखी जा रही है। सोमवार को 89 गीगा वॉट (1 गीगा वॉट यानी 1,000 मेगा वॉट) की मांग रही जो अब तक की सबसे ऊंची डिमांड थी। इतनी अधिक मांग के कारण लखनऊ और मेरठ में बिजली आपूर्ति में कटौती हुई है और 765 केवी लाइन की ट्रिपिंग के कारण ग्रिड में वोल्टेज स्पाइक के बाद सोमवार दोपहर दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यात्री सेवाओं पर भी असर पड़ा।
घरेलू खपत में वृद्धि
देश के उत्तरी भागों में घरेलू खपत में वृद्धि इस कमी के पीछे का मुख्य कारण है। बिजली मंत्रालय के प्रवक्ता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "मांग को पूरा करने के लिए, उत्तरी क्षेत्र अपनी बिजली आवश्यकता का 25-30 प्रतिशत पड़ोसी क्षेत्रों से आयात कर रहा है।"
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मार्च 2020 से देश में लगभग 11,990 मेगावाट थर्मल पावर बढ़ी है जबकि रिन्यूएबल कैपेसिटी में 56,000 मेगावाट से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है। पीक शॉर्टेज 2018-19 में 1.39 गीगावॉट से बढ़कर 2022-23 में 8.65 गीगावॉट हो गई। 2023-24 में यह घटकर 3.34 गीगावॉट रह गई थी।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को लिखे पत्र में एआईपीईएफ के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने कहा, “ बिजली की उपलब्धता और आपूर्ति की स्थिति दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है पर न तो भारत सरकार और न ही किसी राज्य सरकार ने बिजली की मांग को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए हैं। ऐसी स्थिति जारी रही तो ग्रिड फॉल्ट की पूरी संभावना है।"
हरियाणा में बिजली का मासिक न्यूनतम शुल्क समाप्त करने की घोषणा
इन सबके बीच एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बिजली का मासिक न्यूनतम शुल्क समाप्त करने की घोषणा की। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, "अब से राज्य के निवासियों को केवल उपभोग की गई बिजली की यूनिट्स के आधार पर बिल मिलेंगे, जिससे बिजली उपभोक्ताओं को बहुत राहत मिलेगी।"
कब मिलेगा लू से छुटकारा?
वहीं, दूसरी ओर भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सोमवार को कहा कि उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत में लू की स्थिति गुरुवार तक कम हो सकती है। इस सप्ताह के मध्य तक बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, जम्मू, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़ और महाराष्ट्र के विदर्भ में लू की स्थिति जारी रहेगी। इसके बाद, मंगलवार से गुरुवार तक प्रभावी पश्चिमी विक्षोभ के कारण दिन के तापमान में मामूली गिरावट देखी जा सकती है।
कई शहरों में तापमान 45 डिग्री से ऊपर
रविवार को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली के आसपास के कई स्थानों पर अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया। नई दिल्ली (46.3), प्रयागराज (47.6), वाराणसी (46.8), सुल्तानपुर (46.4), बाराबंकी और फुर्सतगंज (46), ऊना (44.6), और उत्तर प्रदेश में बलिया (44) सबसे गर्म रहे। आईएमडी ने कहा कि हिल स्टेशन शिमला में दिन का तापमान 35.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
दिल्ली में आने वाले दिनों में तापमान
तारीख | तापमान (डिग्री सेल्सियस) |
19 जून | 41 |
20 जून | 40 |
21 जून | 42 |
22 जून | 43 |
23 जून | 44 |
24 जून | 43 |
हीटवेव पर क्या बोले WMO के महासचिव
वहीं, दूसरी ओर विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के महासचिव प्रोफेसर सेलेस्टे सॉलो ने हाल ही में कहा कि हीटवेव से होने वाले जान-माल के नुकसान को आमतौर पर कम करके आंका जाता है। द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में सौलो ने कहा, “पानी से संबंधित खतरे एशिया में जान-माल के नुकसान का मुख्य कारण हैं। हालांकि, हीटवेव से होने वाली मौतें और आर्थिक नुकसान को कम रिपोर्ट किया जाता है। ”
भारत में इस साल हीटवेव की स्थिति पर साउलो ने कहा, "भारत में हाल की हीटवेव्स का न केवल मानव स्वास्थ्य पर बल्कि शिक्षा, जल संसाधनों, कृषि, ऊर्जा और श्रम उत्पादकता पर भी बड़ा प्रभाव पड़ा है।"
50 डिग्री के भी पार पहुंचा तापमान
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा रखे गए हीटवेव से प्रभावित दिनों की संख्या के आंकड़ों से पता चलता है कि ओडिशा में मार्च-9 जून के दौरान उत्तर प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना और तमिलनाडु को सबसे अधिक हीटवेव वाले दिनों का सामना करना पड़ा। उत्तर-पश्चिम और उत्तरी भारत के इलाकों ने न केवल पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए बल्कि नए इलाकों में कई मौकों पर 50 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया।
वहीं, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को कहा कि भारतीय शहर अपने असंतुलित विकास के कारण जल निकायों की कमी और ग्रीनहाउस उत्सर्जन में वृद्धि के कारण "हीट ट्रैप" बन गए हैं। राजधानी दिल्ली में अधिकतम दैनिक तापमान 12 मई से 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना हुआ है और 26 जून के बाद ही नीचे गिरने का अनुमान है।
26 जून के बाद आ सकती है तापमान में गिरावट
पिछले महीने प्रकाशित सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) के एक अध्ययन के अनुसार, 2001 से 2010 के दौरान गर्मियों में दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई जैसे शहरों में रात के दौरान सरफेस टेम्परेचर दोपहर के मुक़ाबले 13.2 डिग्री तक गिर जाता था। 2014 से 2023 के बीच वे केवल 11.5 डिग्री तक ही कम हो रहा।
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अधिसूचित आपदाओं में हीटवेव को शामिल करने की मांग
देश के कई हिस्सों में चल रही अत्यधिक गर्मी ने एक बार फिर से आपदा प्रबंधन (DM) अधिनियम, 2005 के तहत अधिसूचित आपदाओं में से एक के रूप में हीटवेव को शामिल करने पर चर्चा फिर से शुरू कर दी है। अगर ऐसा होता है तो राज्यों को मुआवजा और राहत प्रदान करने के लिए अपने आपदा प्रतिक्रिया कोष का उपयोग करने और हीटवेव मैनेजमेंट के लिए अन्य गतिविधियां करने की अनुमति दी जाएगी। वर्तमान में राज्य इन गतिविधियों के लिए अपने धन का उपयोग करते हैं।
इस प्रावधान के तहत राज्यों को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) और राज्य स्तर पर राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) दोनों से फंड निकालने की अनुमति मिल जाएगी। राज्य पहले एसडीआरएफ में उपलब्ध धन का उपयोग करते हैं और अगर आपदा ज्यादा भयावह होती है तो राज्य एनडीआरएफ से धन की मांग करते हैं।
लू को अधिसूचित आपदाओं में क्यों शामिल नहीं किया गया?
भारत में लू चलना कोई नई बात नहीं है और उत्तरी, पूर्वी और मध्य भारत के बड़े हिस्सों में गर्मी से संबंधित बीमारियाँ और मौतें आम हैं, लेकिन 2005 में आपदा अधिनियम के अस्तित्व में आने पर इन्हें आपदा के रूप में नहीं देखा गया था। ऐसा इसलिए था क्योंकि गर्मियों के दौरान लू चलना एक सामान्य घटना थी न कि कोई असामान्य मौसमी घटना।
हालांकि, पिछले 15 सालों में हीटवेव की गंभीरता में वृद्धि हुई है। 23 राज्य ऐसे हैं जो लू की चपेट में हैं। इन राज्यों ने अब अत्यधिक गर्मी के प्रभावों से निपटने के लिए हीट एक्शन प्लान (HAP) तैयार किया है। जिसके तहत छायादार स्थानों का निर्माण, सार्वजनिक स्थानों पर ठंडे पानी की उपलब्धता, स्कूलों, कॉलेजों और ऑफिस के वर्किंग आवर्स को शेड्यूल करना जैसी गतिविधियां शामिल हैं।
इन उपायों के लिए खर्च की आवश्यकता होती है लेकिन राज्य सरकारें इनके लिए एसडीआरएफ का उपयोग करने में सक्षम नहीं हैं। डीएम एक्ट में हीटवेव को अधिसूचित आपदा के रूप में शामिल करने की मांग का यही कारण है।