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Haryana Sonipat Lok Sabha Election: इस हर‍ियाणवी संत ने कभी बचाई थी हुड्डा की जान, क्‍या सोनीपत के लोग चुकाएंगे अहसान?

कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी का मुकाबला भाजपा के मोहन लाल बडोली से है। सतपाल और मोहन लाल दोनों ब्राह्मण समुदाय से हैं।
Written by: वरिंदर भाटिया | Edited By: shruti srivastava
नई दिल्ली | Updated: May 21, 2024 13:24 IST
haryana sonipat lok sabha election  इस हर‍ियाणवी संत ने कभी बचाई थी हुड्डा की जान  क्‍या सोनीपत के लोग चुकाएंगे अहसान
सोनीपत से कांग्रेस उम्मीदवार सतपाल ब्रह्मचारी (Source- facebook)
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हरियाणा की सोनीपत लोकसभा सीट पर इस बार मुक़ाबला बीजेपी के मोहनलाल बडोली और कांग्रेस उम्मीदवार सतपाल ब्रह्मचारी के बीच है। पिछली बार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इस सीट से डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से हारने के बाद इस बार खुद हुड्डा ने ब्रह्मचारी के नाम के लिए फील्डिंग की है। जाट बहुल इस सीट पर इस बार कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने जाट उम्मीदवार नहीं उतारा है।

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अपने चुनावी हलफनामे में सतपाल ब्रह्मचारी ने खुद को 'आध्यात्मिक गुरु' बताया है। उन्हें 'कांग्रेस के योगी' के रूप में जाना जाता है और सार्वजनिक बैठकों के दौरान उन्हें 'महाराज जी' कह कर संबोधित किया जाता है।

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हरियाणा कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने जाट बहुल निर्वाचन क्षेत्र से ब्रह्मचारी को मैदान में उतारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ब्रह्मचारी का हुड्डा के साथ जुड़ाव 2003 से है, जब हुड्डा उत्तराखंड में एक दुर्घटना का शिकार हो गए थे। जिस गाड़ी में वह अपने भाई राजिंदर और पूर्व पत्रकार योगिंदर गुप्ता के साथ सवार थे, वह नदी में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हादसे में राजिंदर की मौत हो गई जबकि हुडा और गुप्ता नदी में बहने से बचने के लिए रात भर पेड़ों से चिपके रहे। वह ब्रह्मचारी ही थे जिन्होंने हुड्डा को बचाने वाली टीम का नेतृत्व किया था।

खुद को 'आध्यात्मिक गुरु' बताते हैं ब्रह्मचारी

ब्रह्मचारी जींद के रहने वाले हैं। कांग्रेस कैंडिडेट अपने क्षेत्र में ज़ोर-शोर से प्रचार अभियान में जुटे हैं। सोनीपत लोकसभा क्षेत्र के महमूदपुर गांव में उनकी सभा से पहले हरियाणवी गाना, "बनेगी इक तरफा सरकार, जीतके आवे ब्रह्मचारी" बजाए जा रहे हैं।

सभा को संबोधित करते हुए ब्रह्मचारी कहते हैं, ''25 मई को अपने नजदीकी मतदान केंद्र पर जाएं और कांग्रेस और सतपाल ब्रह्मचारी को गौरवान्वित करें।''

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उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मैं अपनी धार्मिक शिक्षाओं के लिए हरिद्वार चला गया। चूंकि, मेरे दादाजी भी एक आध्यात्मिक गुरु थे इसलिए मैंने उनकी आध्यात्मिक शिक्षाओं की विरासत को आगे बढ़ाया। सोनीपत के कई इलाकों में हमारे आश्रम हैं।”

हुड्डा को मार्गदर्शक कहते हैं सतपाल

सतपाल ब्रह्मचारी आगे कहते हैं, "मेरा जन्म सोनीपत में हुआ इसलिए मेरे मन में ख्याल आया कि मुझे अपनी जन्मभूमि के लिए कुछ करना चाहिए। इस तरह मैं लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए हरिद्वार से यहां लौटा। चौधरी भूपिंदर सिंह हुड्डा बहुत पुराने सहयोगी रहे हैं जिन्होंने हमेशा मेरी मदद की है और मेरे जीवन और राजनीतिक यात्रा में मेरा मार्गदर्शन किया है। उन्होंने सोनीपत सीट से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने के लिए मेरे नाम पर विचार किया।''

बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने नहीं उतारे जाट उम्मीदवार

ब्रह्मचारी का मुकाबला भाजपा के मोहन लाल बडोली से है। सतपाल और मोहन लाल दोनों ब्राह्मण समुदाय से हैं, जो सोनीपत निर्वाचन क्षेत्र की लगभग 9-10% आबादी है। सोनीपत में जाट और दलित की क्रमशः 31% और 19% आबादी है। जेजेपी ने यहां भूपेंदर मलिक को मैदान में उतारा है जबकि इनेलो ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अनूप दहिया को उम्मीदवार बनाया है, दोनों जाट समुदाय से हैं।

बीजेपी उम्मीदवार से अच्छे संबंध- कांग्रेस कैंडिडेट

अपने बीजेपी प्रतिद्वंद्वी के बारे में इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए ब्रह्मचारी कहते हैं, ''मोहन लाल जी से भी मेरे अच्छे संबंध हैं। किसी की बुराई करना मेरा स्वभाव नहीं है। मैं कांग्रेस की विचारधारा लेकर लोगों तक पहुंच रहा हूं और भाजपा की विफलताओं को उजागर कर रहा हूं। लोगों को एहसास हो गया है कि भाजपा सरकार सिर्फ जुमलों पर कायम है जो इस बार काम नहीं आने वाला। आज किसान हो, मजदूर हो, नौजवान हो, कामगार हो, गरीब हो हर कोई भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण परेशान है। लोग बदलाव चाहते हैं।”

धार्मिक गुरु मेरे साथ- सतपाल

ब्रह्मचारी अपनी रैलियों में अक्सर संस्कृत में श्लोक पढ़ते हैं, जिसे वह भीड़ को हिंदी में समझाते भी हैं। उनके जैसे 'आध्यात्मिक नेता' को कांग्रेस का टिकट मिलने पर ब्रह्मचारी कहते हैं, "यह कहना गलत है कि धार्मिक गुरु हमारे खिलाफ हैं। मेरे नामांकन कार्यक्रम में 200 संतों ने भाग लिया। हरियाणा के सभी संत हमारे साथ हैं। यहां तक ​​कि बाबा रामदेव ने भी मुझे चुनाव के लिए शुभकामनाएं दीं।"

ब्रह्मचारी कई सालों से कांग्रेस में रहे हैं। 2003 में हरिद्वार नगर निगम के मेयर के रूप में चुने गए। उन्होंने 2012 और 2022 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों बार भाजपा के मदन कौशिक के हाथों हार गए। उन्हें मार्च 2023 में हरिद्वार कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।

किसान कर रहे भाजपा उम्मीदवार का विरोध

वहीं, अपने चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी उम्मीदवार मोहन लाल को सोनीपत के कई गांवों में नाराज किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा। विभिन्न मुद्दों पर भाजपा से नाराज पंजाब और हरियाणा में किसानों का एक वर्ग अपने गांवों में पार्टी उम्मीदवारों का बहिष्कार कर रहा है।

ब्रह्मचारी कहते हैं, “भाजपा को अंततः अपने तीन काले कृषि कानून वापस लेने पड़े। इससे पता चला कि बिलों के खिलाफ किसानों का आंदोलन सही था। अगर बीजेपी ने सही समय पर कानून वापस ले लिए होते तो 700-750 किसानों की जान बचाई जा सकती थी। किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिलना चाहिए।''

जीत के बाद सोनीपत के लिए क्या करेंगे ब्रह्मचारी?

अपनी जीत के बारे में आश्वस्त होकर ब्रह्मचारी सोनीपत के लिए अपनी प्राथमिकताओं को सूचीबद्ध करते हुए कहते हैं, “सोनीपत से हजारों लोग काम के लिए दिल्ली जाते हैं लेकिन इसके लिए एक मजबूत ट्रेन सेवा मौजूद नहीं है। मेरी पहली प्राथमिकता दिल्ली से सोनीपत के लिए दो ट्रेनें शुरू करना है। दूसरे, दिल्ली मेट्रो का विस्तार गाजियाबाद और मेरठ और यहां तक ​​कि रोहतक तक भी है। सोनीपत को क्यों छोड़ दिया गया?”

सोनीपत लोकसभा क्षेत्र

सोनीपत सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां 15 लाख मतदाता हैं। जिसमें से 5.5 लाख से अधिक जाट, 1.9 लाख ब्राह्मण, 1.1 लाख पंजाबी और लगभग 80,000 मतदाता बनिया समुदाय से हैं। 1996, 2014 और 2019 के अलावा हमेशा से ही सोनीपत में जाट उम्मीदवार जीत हासिल करते आए हैं। वर्तमान में सोनीपत के नौ विधानसभा क्षेत्रों में से पांच- खरखौदा, सोनीपत, गोहाना, बड़ौदा और सफीदों पर कांग्रेस का कब्जा है जबकि तीन- राई, गन्नौर और जींद पर भाजपा का कब्जा है। जुलाना निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व जेजेपी के पास है।

सोनीपत लोकसभा चुनाव परिणाम

पिछले आम चुनाव में सोनीपत से बीजेपी के रमेश चंद्र कौशिक ने जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा को लगभग 1.5 लाख वोटों से हराया था। रमेश चंद्र को 5.87 लाख और हुड्डा को 4.22 लाख वोट मिले थे। वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में भी रमेश चंद्र ने कांग्रेस के जगबीर सिंह मालिक को हराया था। रमेश को 3.47 लाख और जगबीर को 2.69 लाख वोट मिले थे।

पार्टीप्रत्याशीवोट प्रतिशत
बीजेपीरमेश चंद्र कौशिक52.03
कांग्रेसभूपिंदर सिंह हुड्डा37.43
जेजेपीदिग्विजय सिंह चौटाला4.53
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