Haryana Congress: कुमारी सैलजा ने टिकट बंटवारे पर उठाए सवाल, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खेल बिगाड़ेगी गुटबाजी?
लोकसभा चुनाव 2024 में हरियाणा में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की नजर अब जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव पर है। कांग्रेस नेतृत्व को भरोसा है कि पार्टी हरियाणा में सरकार बना सकती है। हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं और इस लिहाज से काफी कम वक्त बचा है। लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का यह सपना पूरा होने में राज्य के कांग्रेसी नेता ही सबसे बड़ा रोड़ा हैं। क्योंकि राज्य कांग्रेस के अंदर जबरदस्त गुटबाजी है और चुनाव नतीजों के बाद यह खुलकर सामने आ गई है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और हरियाणा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा है कि अगर पार्टी में टिकटों का बंटवारा सही ढंग से हुआ होता तो हरियाणा में कांग्रेस सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज कर सकती थी।
बताना होगा कि पार्टी को हरियाणा में 5 सीटों पर जीत मिली है लेकिन उसका यह प्रदर्शन 2019 के मुकाबले काफी अच्छा है जब वह राज्य में कोई भी सीट नहीं जीत पाई थी।
कुमारी सैलजा इस बार सिरसा लोकसभा सीट से चुनाव जीती हैं और निश्चित रूप से मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भी हैं।
![Bhupinder Singh Hooda Nayab Saini](https://www.jansatta.com/wp-content/uploads/2024/06/Bhupinder-Singh-Hooda-5.jpg?w=850)
बीजेपी और कांग्रेस में होगी जंग
90 सीटों वाले हरियाणा में 46 सीटों पर इंडिया गठबंधन और 44 सीटों पर बीजेपी आगे रही है। इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस ने एक लोकसभा सीट आम आदमी पार्टी को दी थी लेकिन चूंकि आम आदमी पार्टी का हरियाणा में कोई विशेष जनाधार नहीं है इसलिए लोकसभा चुनाव के नतीजे स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं कि हरियाणा के विधानसभा चुनाव में सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होगा।
हुड्डा के सामने है एसआरके गुट
हरियाणा कांग्रेस में एक बात साफ है कि दो खेमे साफ तौर पर एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। एक खेमा पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयभान सिंह का है तो दूसरा खेमा कुमारी सैलजा, राज्यसभा सदस्य रणदीप सुरजेवाला, पूर्व मंत्री किरण चौधरी का है। किरण चौधरी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की बहू हैं।
कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी की तिकड़ी को हरियाणा में एसआरके गुट भी कहा जाता है। कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व कई बार हरियाणा में इन नेताओं के बीच सुलह की कोशिश कर चुका है लेकिन उसे इसमें अब तक कामयाबी नहीं मिली है।
लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और एसआरके गुट के नेता कहीं भी एक साथ मंच पर नहीं दिखाई दिए। हरियाणा की राजनीति में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस का सबसे ताकतवर नेता माना जाता है। लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के दौरान भी यह साफ तौर पर दिखाई दिया था।
![Bhupinder Singh Hooda](https://www.jansatta.com/wp-content/uploads/2024/06/Bhupinder-Singh-Hooda-6.jpg?w=850)
हुड्डा ने दिखाया दम-खम
हरियाणा में कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और इसमें से 7 सीटों पर कांग्रेस हाईकमान ने हुड्डा की सिफारिश पर ही उम्मीदवारों के नाम फाइनल किए थे। हालांकि हुड्डा हाईकमान के भरोसे पर खरे उतरे और रोहतक, सोनीपत, हिसार और अंबाला सीट पर उन्होंने पार्टी को जीत दिलाकर दिखाया कि 76 साल की उम्र में भी जनता में उनकी पकड़ मजबूत है।
किरण चौधरी बोलीं- हम सैलजा के साथ
एसआरके गुट किसी भी सूरत में अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री नहीं बनने देना चाहता। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हरियाणा में मुख्यमंत्री पद की लड़ाई खुले तौर पर दिखने भी लगी है। पूर्व मंत्री किरण चौधरी ने कहा है कि अगर कुमारी सैलजा मुख्यमंत्री की दावेदारी प्रस्तुत कर रही हैं तो हम पूरी तरह उनके साथ हैं।
कुमारी सैलजा ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से श्रुति चौधरी को टिकट न दिए जाने का मुद्दा उठाया। बताना होगा कि श्रुति चौधरी किरण चौधरी की बेटी हैं और जब उनका टिकट काटा गया था और यहां से राव दान सिंह को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया था तो यह स्पष्ट था कि कांग्रेस हाईकमान ने हुड्डा की सिफारिश पर ही राव दान सिंह को टिकट दिया है।
कुमारी सैलजा ने करनाल सीट का उदाहरण देते हुए कहा कि हाईकमान को इस मामले में गुमराह किया गया और सही समय पर उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि अगर श्रुति चौधरी को भिवानी-महेंद्रगढ़ से टिकट दिया होता तो हम यह सीट जीत सकते थे।
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हुड्डा पर साधा निशाना
कुमारी सैलजा ने बिना नाम लिए हुड्डा पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी के नेताओं को सिर्फ अपने परिवार को आगे बढ़ाने के बजाय पार्टी के लिए काम करना चाहिए और मुझे और मेरी वाली राजनीति अब खत्म होनी चाहिए।
सैलजा ने इस बात को स्वीकार किया कि हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी है और सभी कार्यकर्ता अपने नेताओं को बड़े पदों पर देखना चाहते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वह हरियाणा में कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार होंगी, सैलजा ने कहा कि हाईकमान इस मामले में फैसला करेगा और वह भी इस पद की दौड़ में शामिल हैं।
सैलजा ने कहा कि बाहर से आए हुए दो लोगों को टिकट दे दिया गया। कुमारी सैलजा का इशारा सोनीपत लोकसभा सीट से चुनाव जीते सतपाल ब्रह्मचारी और गुड़गांव से हारे राज बब्बर की ओर था। दोनों को ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सिफारिश पर ही टिकट दिया गया था। कुमारी सैलजा ने हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पार्टी के प्रभारी का दायित्व होता है कि वह सभी को एक साथ लेकर चले और एक पुल के रूप में काम करें। उन्होंने कहा कि पार्टी के प्रभारी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विधानसभा चुनाव में टिकटों का बंटवारा योग्यता के आधार पर हो।
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उदयभान बोले- वरिष्ठ नेताओं से अपनी बात कहें सैलजा
कुमारी सैलजा के इन बयानों को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने सवाल उठाए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान ने कहा है कि कुमारी सैलजा को जो भी कहना है वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से कह सकती हैं। उन्होंने कहा कि टिकटों का बंटवारा बेहतर हुआ तभी हरियाणा में कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा और पांच सीटें भी आईं। उदयभान ने कहा कि कुमारी सैलजा को इस तरीके से जनता में या फिर मीडिया में बयान नहीं देना चाहिए।
पिछले विधानसभा चुनाव के आंकड़ों और इस लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखें तो यह साफ दिखाई देता है कि कांग्रेस राज्य में मजबूत स्थिति में है। लेकिन विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही जिस तरह वरिष्ठ नेता आपस में एक-दूसरे से उलझते हुए दिखाई दे रहे हैं और खुलकर एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं, यह पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर खराब असर डाल सकता है।
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गेंद अब कांग्रेस हाईकमान के पाले में है और देखना होगा कि क्या वह सभी वरिष्ठ नेताओं को सख्त निर्देश देकर उन्हें चुनाव के दौरान एक मंच पर लाने में कामयाब होगा? अगर वह ऐसा कर पाया तो हरियाणा में कांग्रेस-बीजेपी के बीच जोरदार टक्कर तय है वरना पार्टी का रास्ता मुश्किलों भरा है।