चुनावी किस्सा: जब संजय गांधी ने भरे सदन में अटल बिहारी पर किए थे ताबड़तोड़ हमले, वाजपेयी ने भरपूर तारीफ से दिया था जवाब
साल 1980 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए नई खुशियां लेकर आया था। क्योंकि पार्टी इस साल हुए संसदीय चुनाव में सत्ता में लौटी थी। इससे पहले 1977 के लोकसभा चुनाव में उसे शिकस्त का सामना करना पड़ा था और जनता पार्टी ने केंद्र में सरकार बनाई थी। साल 1975 में लगे आपातकाल की वजह से भी कांग्रेस आलोचनाओं से जूझ रही थी और राजनीतिक रूप से माहौल उसके लिए बहुत अच्छा नहीं था।
लेकिन बावजूद इसके साल 1980 के चुनाव में सत्ता में वापसी करने से उसके कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा हुआ था और इंदिरा गांधी एक बार फिर देश की प्रधानमंत्री बनी थीं। 1980 में 3 व 6 जनवरी को लोकसभा के चुनाव हुए थे।
Azaad an autobiography में गुलाम नबी आजाद ने बयां की दास्तान
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे गुलाम नबी आजाद अपनी ऑटोबायोग्राफी Azaad an autobiography में लिखते हैं कि साल 1980 के चुनाव में वह महाराष्ट्र की वाशिम लोकसभा सीट से चुने गए थे। इस साल के अंत में ही उन्हें प्रमोशन देकर भारतीय युवक कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था।
1980 Parliamentary Elections में इंदिरा और संजय को मिली जीत
आजाद लिखते हैं कि उन्हें इस बात की ज्यादा खुशी थी कि लोगों ने इंदिरा गांधी और संजय गांधी पर थोपी गई उनकी नकारात्मक छवि को नकार दिया था और दोनों नेता क्रमशः रायबरेली और अमेठी संसदीय सीट से चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। आजाद इस बात से भी खुश थे कि 1980 के संसदीय चुनाव में युवक कांग्रेस के 30-40 नेता लोकसभा पहुंचे थे।
आजाद बताते हैं कि उस साल संसद का सत्र फरवरी के आखिरी दिनों में बुलाया गया था। यह सत्र राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ था और इसके बाद धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस होनी था जिसमें सत्ता व विपक्ष के सदस्य अपनी बात रख सकते थे।
आजाद अपनी ऑटोबायोग्राफी में लिखते हैं कि युवक कांग्रेस के जितने भी नेता सांसद बने थे उन्हें लोकसभा हॉल के बीच वाली सीटें आवंटित की गई थी जबकि स्पीकर के दाईं ओर प्रधानमंत्री, मंत्री और सत्ता पक्ष के सांसद थे और बाईं ओर विपक्ष के सदस्य थे। इनमें जनता पार्टी की सरकार में मंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे।
Sanjay Gandhi Speech 1980: कम बोलते थे संजय गांधी
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके आजाद लिखते हैं, कांग्रेस पार्टी की बैठक में यह फैसला किया गया था कि संजय गांधी अटल बिहारी वाजपेयी से पहले सदन में अपनी बात रखेंगे क्योंकि इससे संजय के भाषण को मीडिया में ज्यादा प्रचार और हाउस के अंदर भी ज्यादा अटेंशन मिल सकता था।
इंदिरा और राजीव गांधी के साथ भी काम कर चुके आजाद बताते हैं कि संजय गांधी कम बोलते थे। अपनी चुनावी रैलियों में भी वह 5 से 10 मिनट ही बोलते थे हालांकि इसमें ही वह अपनी सारी जरूरी बातों को जनता के सामने रख देते थे। देखेंगे और सोचेंगे जैसे शब्द संजय गांधी के लिए नहीं बने थे।
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गुलाम नबी आजाद बताते हैं कि उस दिन जब संजय गांधी संसद में अपनी बात कहने के लिए उठे तो हमें ऐसा अनुमान था कि वह 5 मिनट के अंदर ही अपनी बात समाप्त कर देंगे।
Sanjay Gandhi Attacks Atal Bihari Vajpayee: संजय ने बीजेपी पर हमला बोला
संजय गांधी ने विपक्ष पर तीखे हमले के साथ अपना संबोधन शुरू किया और इसके बाद वह सीधे वाजपेयी पर आ गए। संजय गांधी उस दिन 5 या 10 मिनट नहीं बोले बल्कि वह बोलते चले गए। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी पर ताबड़तोड़ हमले किए। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सदस्यों ने उन्हें बहुत ध्यान से सुना। संजय ने अपने भाषण में बीजेपी और उसके नेताओं के द्वारा कांग्रेस पार्टी और इंदिरा की आलोचना के मुद्दे को उठाया।
15 मिनट से ज्यादा बोले संजय गांधी
आजाद लिखते हैं कि उन्होंने संजय गांधी के कुर्ते को खींच कर उन्हें अपना संबोधन समाप्त करने का संकेत भी दिया। लेकिन संजय गांधी नहीं रुके और उस दिन वह 15 मिनट से ज्यादा बोले। आजाद बताते हैं कि संजय ने बहुत अच्छा भाषण दिया लेकिन उन्हें इस बात का डर था कि अगर वह वाजपेयी के खिलाफ और ज्यादा बोलेंगे तो इससे वाजपेयी जैसे कुशल वक्ता को उन पर हमले का मौका मिल जाएगा।
लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि यह संजय गांधी का संसद में आखिरी भाषण साबित हुआ। 23 जून, 1980 को हुए एक हेलिकॉप्टर हादसे में संजय गांधी की मौत हो गई थी।
संजय के बाद बोलने की बारी अटल बिहारी वाजपेयी की थी। आजाद लिखते हैं कि उन्हें डर था कि वाजपेयी संजय के हमलों का जवाब किस तरह देंगे।
Atal Bihari vajpayee: संजय के खिलाफ नहीं बोले अटल
वाजपेयी ने जब बोलना शुरू किया तो कहा कि वह पहली बार संसद पहुंचे संजय गांधी के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोलेंगे। वाजपेयी ने इंदिरा गांधी की ओर देखा और कहा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत संजय गांधी और उनकी टीम की वजह से मिली है। अगर संजय गांधी 1977 में कांग्रेस को मिली हार के लिए जिम्मेदार हैं तो उन्हें 1980 में पार्टी को मिली जीत का श्रेय दिया जाना चाहिए।
अटल बोले- नेता बनकर उभरे हैं संजय गांधी
वाजपेयी ने कहा कि संजय गांधी और युवक कांग्रेस की उनकी टीम ने पिछले कुछ सालों में विपक्ष से मुकाबला करते हुए बहादुरी से लड़ाई लड़ी है और संजय अपने आप में एक नेता बनकर उभरे हैं। उन्होंने इंदिरा गांधी को याद दिलाया कि कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने 1977 के चुनाव से पहले और 1978 में पार्टी में हुई टूट के बाद कांग्रेस को छोड़ दिया। लेकिन संजय और उनके साथियों ने चुनौतियों का मुकाबला किया और जीत हासिल की।
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आजाद लिखते हैं कि वाजपेयी ने इस भाषण के जरिये संजय गांधी के नेतृत्व और 1977 से 1980 तक युवक कांग्रेस की राजनीतिक भूमिका का जोरदार समर्थन किया था।