Fact Check: महाराष्ट्र में अतिक्रमण हटाओ अभियान का पुराना वीडियो अयोध्या का बताकर वायरल
लाइटहाउस जर्नलिज्म को कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अतिक्रमण अभियान का एक वीडियो मिला। यूजर्स दावा कर रहे थे कि यह वीडियो अयोध्या का है और यूजर्स इस पोस्ट को फैजाबाद में बीजेपी की हालिया हार से जोड़ रहे थे, जहां राम मंदिर है। जांच के दौरान हमने पाया कि यह वीडियो पुराना है और अयोध्या का नहीं बल्कि महाराष्ट्र का है।
क्या है दावा?
X यूजर Hansraj Meena ने वीडियो अपने प्रोफ़ाइल पर साझा किया.
इस पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें।
अन्य उपयोगकर्ता भी इसी दावे के साथ पोस्ट को शेयर कर रहे हैं।
जांच पड़ताल:
हमने अपनी जांच की शुरुआत वीडियो को InVid टूल में अपलोड करके और कई कीफ्रेम प्राप्त करके की। फिर हमने कीफ्रेम पर गूगल रिवर्स इमेज सर्च चलाया।
इससे हमें 26 फरवरी, 2024 को X पर की गई एक पोस्ट मिली।
इससे हमें पता चला कि ये वीडियो पुराना है.
जिस वीडियो को अयोध्या का बताकर गलत तरीके से शेयर किया गया, उसमें 'जयहिंदशकीलखान' नाम का वॉटरमार्क लगा हुआ था।
हमें इस यूजर की प्रोफ़ाइल इंस्टाग्राम पर मिली। हमने पाया कि यूजर लोकमत ग्रुप में फोटो जर्नलिस्ट है। उसकी प्रोफ़ाइल देखने पर हमें इंस्टाग्राम पर पोस्ट की गई रील मिली।
ऐसी ही अन्य रीलें इस प्रोफ़ाइल पर थीं।
यूजर की प्रोफाइल पर पोस्ट की गई एक खबर में बताया गया है कि यह अतिक्रमण अभियान मुकुंदवाड़ी रेलवे स्टेशन के पास छत्रपति संभाजी नगर (पहले का औरंगाबाद) से विश्रांति नगर में चलाया गया था। यह खबर इस साल 22 फरवरी को पोस्ट की गई थी।
हमें इस घटना के बारे में समाचार रिपोर्टें भी मिलीं।
जांच के अगले चरण में हमने शकील खान से संपर्क किया, जिन्होंने ये वीडियो अपने प्रोफ़ाइल पर पोस्ट किया था. उन्होंने हमें बताया कि उन्होंने 22 फरवरी को छत्रपति संभाजी नगर में अतिक्रमण अभियान का वीडियो बनाया था।
निष्कर्ष: महाराष्ट्र का पुराना वीडियो, चुनाव नतीजों के बाद अयोध्या का बताकर वायरल हो रहा है। वायरल दावा भ्रामक है।