Delhi Excise Case: हाई कोर्ट में बेल पर चल रही थी सुनवाई, केजरीवाल के वकील सिंघवी का कट गया इंटरनेट कनेक्शन
दिल्ली में हुए कथित आबकारी घोटाले मामले में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अभी जेल में ही हैं। शुक्रवार को जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी तो उनकी पैरवी कर रहे जाने-माने वकील अभिषेक मनु सिंघवी का इंटरनेट कनेक्शन अचानक से कट गया।
वर्चुअल हेयरिंग के दौरान काफी लोगों के जुड़ने की वजह से चीजें काफी मुश्किल हो गईं।
सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी इन दिनों विदेश में हैं। कथित आबकारी घोटाला मामले में जब केजरीवाल की जमानत के मुद्दे पर बहस चल रही थी तो बहस के दौरान इंटरनेट कनेक्शन कट जाने की वजह से सिंघवी डिस्कनेक्ट हो गए।
वर्चुअल हेयरिंग से बड़ी संख्या में लोग जुड़े हुए थे इसलिए भीड़ ज्यादा होने की वजह से सिंघवी तुरंत लॉग इन भी नहीं हो सके। यह वर्चुअल हेयरिंग ऑनलाइन मीटिंग प्लेटफार्म Webex के जरिए हो रही थी। हालांकि जैसे ही अभिषेक मनु सिंघवी के डिस्कनेक्ट होने की बात कोर्ट के स्टाफ के संज्ञान में आई तो उन्होंने तकनीकी चीजों को दुरुस्त किया और सिंघवी फिर से वर्चुअल हेयरिंग से जुड़े और उन्होंने अपनी बात रखी।
ट्रायल कोर्ट ने दी थी जमानत
बताना होगा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गुरुवार को दिल्ली की एक ट्रायल कोर्ट ने कथित आबकारी घोटाला मामले में जमानत दे दी थी लेकिन ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ जांच एजेंसी ईडी ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था और अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। बताया जा रहा है कि दिल्ली हाई कोर्ट 25 जून तक इस मामले में अपना फैसला सुना सकती है लेकिन तब तक अरविंद केजरीवाल को न्यायिक हिरासत में ही रहना होगा।
अदालत के आदेश के मुताबिक, 2 जून को केजरीवाल ने आत्मसमर्पण कर दिया था।
ईडी ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी थी कि ट्रायल कोर्ट ने जमानत देते वक्त पीएमएलए के अंदर आने वाले ट्विन टेस्ट को लागू नहीं किया था। आइए जानते हैं कि ट्विट टेस्ट क्या होता है।
क्या होता है ट्विन टेस्ट?
पीएमएलए का सेक्शन 45 जमानत से संबंधित है। इसके मुताबिक कोई भी अदालत इस कानून के तहत जमानत नहीं दे सकती है हालांकि इसमें कुछ अपवाद भी हैं। लेकिन इस कानून के प्रावधानों से पता चलता है कि पीएमएलए के तहत जमानत नियम नहीं बल्कि अपवाद है।
यह प्रावधान इस बात को जरूरी बनाता है कि जमानत याचिकाओं के मामले में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को सुना जाना चाहिए और जब प्रॉसिक्यूटर जमानत का विरोध करता है तो अदालत को ट्विन टेस्ट कराना जरूरी होता है।
इसमें दो शर्ते हैं। पहली यह कि क्या यह मानने के लिए पर्याप्त आधार है कि अभियुक्त ऐसे अपराध में दोषी नहीं है और दूसरी यह कि जब वह जमानत पर होगा तो वह किसी तरह का अपराध नहीं करेगा।
ट्विन टेस्ट की संवैधानिक वैधता को पहला झटका 2017 के निकेश ताराचंद शाह बनाम भारत संघ के मामले में आए फैसले में लगा था। जस्टिस आर. नरीमन और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने जमानत के प्रावधान को इस आधार पर असंवैधानिक करार दिया था कि कठिन शर्तें सही वर्गीकरण नहीं हैं। अदालत का कहना था कि सही वर्गीकरण समानता के अधिकार का एक हिस्सा है और यह एक मौलिक अधिकार है।
केजरीवाल के खिलाफ क्या हैं आरोप?
आरोप है कि दिल्ली सरकार के द्वारा पहले लाई गई और बाद में रद्द की गई आबकारी नीति को बनाने में सीधे तौर पर अरविंद केजरीवाल शामिल थे। ईडी ने आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार की आबकारी नीति को बनाते वक्त ‘साउथ ग्रुप’ को दिए जाने वाले फायदे को ध्यान में रखा गया था। ईडी ने कहा था कि ‘साउथ ग्रुप’ को कई तरह के फायदे पहुंचाए गए और इसके बदले में आम आदमी पार्टी के नेताओं को 100 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया।
ईडी ने दावा किया है कि ‘साउथ ग्रुप’ द्वारा एक समझौते के तहत विजय नायर के माध्यम से आप नेताओं को यह रकम दी गई थी।
क्या है साउथ ग्रुप?
ईडी ने आरोप लगाया था कि आंध्र प्रदेश के ओंगोल से वाईएसआरसीपी के लोकसभा सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी और एमएलसी कल्वाकुंतला कविता ‘साउथ ग्रुप’ के प्रमुख सदस्य हैं।
‘साउथ ग्रुप’ के अन्य लोगों में सांसद के बेटे राघव मगुंटा और हैदराबाद स्थित अरबिंदो फार्मा के संस्थापक पी वी रामप्रसाद रेड्डी के बेटे पी सरथ चंद्र रेड्डी शामिल हैं।
जमानत मिलने पर किया था चुनाव प्रचार
इस साल 21 मार्च को ईडी ने कथित आबकारी घोटाला मामले में मनी लांड्रिंग के आरोपों को लेकर अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले में सीबीआई भी जांच कर रही है। केजरीवाल तिहाड़ जेल में हैं। बीते महीने उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी। इसके बाद केजरीवाल ने दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों के लिए जमकर चुनाव प्रचार किया था।
दिल्ली में जीरो पर रही आप, पंजाब में 3 सीटें जीती
दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने के बावजूद आम आदमी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी थी जबकि पंजाब में भी उसे उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिली थी। पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से आम आदमी पार्टी सिर्फ तीन सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी।
दिल्ली में जल्द होने हैं विधानसभा चुनाव
दिल्ली में 2025 के जनवरी में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इस लिहाज से सिर्फ 6 महीने का वक्त ही बचा है। आम आदमी पार्टी 2013, 2015 और 2020 में दिल्ली में सरकार बना चुकी है। 2013 में उसने कांग्रेस के साथ गठबंधन में सरकार बनाई थी जबकि 2015 और 2020 में बड़ा जनादेश हासिल किया था।
साल | आप को मिली सीटें | बीजेपी को मिली सीटें | कांग्रेस को मिली सीटें |
2013 | 28 | 31 | 8 |
2015 | 67 | 3 | 0 |
2020 | 62 | 8 | 0 |
बीजेपी लगातार अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को मुद्दा बना रही है। बीजेपी का कहना है कि अरविंद केजरीवाल ही इस कथित घोटाले के मास्टरमाइंड हैं। पार्टी को ऐसी उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे के जरिए वह बीजेपी को घेर सकती है और दिल्ली में सरकार बना सकती है।