CSDS-Lokniti Post Poll Survey: जानिए यूपी में किस जाति का किसे मिला कितना साथ
लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश के नतीजों ने निश्चित रूप से राजनीतिक विश्लेषकों को हैरान किया है। उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटें जीतने का दावा करने वाली बीजेपी को इन चुनाव नतीजों से जबरदस्त झटका लगा है।
इंडिया गठबंधन ने इस चुनाव में 43 सीटों पर जीत दर्ज की है। इसमें समाजवादी पार्टी की 37 और कांग्रेस की 6 सीटें शामिल हैं। जबकि 75 सीटों पर चुनाव लड़कर बीजेपी 33 सीटें ही जीत सकी है। एनडीए गठबंधन को यूपी में 37 सीटों पर जीत मिली है। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अकेले दम पर 62 सीटें जीती थी और एनडीए गठबंधन 64 सीटें जीता था।
लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के तहत सपा ने 62 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि कांग्रेस ने 17 सीटों पर। राहुल गांधी और अखिलेश यादव के संयुक्त नेतृत्व में इंडिया गठबंधन ने चुनाव प्रचार किया और चुनाव नतीजों से साफ है कि दोनों दलों को इसका फायदा हुआ है।
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक सीट मिली थी और राहुल गांधी अमेठी सीट से भी चुनाव हार गए थे जबकि इस बार कांग्रेस ने अमेठी सीट बीजेपी से छीन ली है। यहां से कांग्रेस उम्मीदवार केएल शर्मा ने बीजेपी की उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को 1.67 लाख वोटों से हराया है।
सीएसडीएस-लोकनीति के पोस्ट पोल सर्वे के आंकड़ों से सामने आया है कि उत्तर प्रदेश में किस जाति के मतदाताओं ने किस राजनीतिक दल को कितने प्रतिशत वोट दिए हैं।
समुदाय का नाम | इंडिया | एनडीए | बीएसपी | अन्य |
सवर्ण | 16 | 79 | 1 | 4 |
यादव | 82 | 15 | 2 | 2 |
कुर्मी-कोइरी | 34 | 61 | 2 | 3 |
अन्य ओबीसी | 34 | 59 | 3 | 4 |
जाटव | 25 | 24 | 44 | 7 |
गैर-जाटव | 56 | 29 | 15 | 1 |
मुस्लिम | 92 | 2 | 5 | 1 |
एनडीए ने चुनाव में 400 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था लेकिन वह 293 सीटों पर आकर रुक गया जबकि इंडिया गठबंधन को 233 सीटों पर जीत मिली है।
गैर जाटव इंडिया गठबंधन के साथ
सीएसडीएस-लोकनीति के आंकड़ों से पता चलता है कि बसपा का राजनीतिक आधार सभी सामाजिक वर्गों के बीच कम हुआ है। इसमें बसपा का कोर वोट बैंक माने जाने वाला जाटव समुदाय भी शामिल है। बसपा को जो नुकसान हुआ है, उसका फायदा इंडिया गठबंधन को हुआ है क्योंकि बसपा का वोट इंडिया गठबंधन में शामिल दलों की ओर शिफ्ट हुआ है।
राहुल के पक्ष में 36%, मोदी के पक्ष में 32% मतदाता
सीएसडीएस-लोकनीति के सर्वे में जब उत्तर प्रदेश में लोगों से यह पूछा गया कि वे लोकसभा चुनाव के बाद किसे प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं तो 36% मतदाताओं ने कहा कि वे राहुल गांधी के पक्ष में हैं जबकि 32% मतदाताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री पद के लिए उनकी पसंद नरेंद्र मोदी हैं।
अखिलेश यादव के पीडीए फार्मूले ने दिखाया दम
लोकसभा के चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने पीडीए का जो समीकरण बनाया था, वह कारगर साबित हुआ है। पीडीए का मतलब है पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक। अखिलेश ने अपने मुस्लिम-यादव समीकरण से बाहर निकलते हुए इस बार यादव समुदाय में सिर्फ पांच लोगों को टिकट दिया और ओबीसी की अन्य जातियों के नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा।
यहां तक कि सामान्य वर्ग की सीटों- मेरठ और अयोध्या में दलित नेताओं को चुनाव लड़ाया। इनमें से अयोध्या में सपा के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद को जीत मिली है। एसपी ने 32 ओबीसी, 16 दलित, 10 सवर्ण और चार मुस्लिमों को टिकट दिया था।
सपा के 86% सांसद पीडीए से आए
समुदाय | कितने सांसद जीते |
ओबीसी | 20 |
दलित | 8 |
मुस्लिम | 4 |
सामान्य | 5 |
सीएसडीएस-लोकनीति के मुताबिक उत्तर प्रदेश भाजपा के कई नेताओं ने इस बात को स्वीकार किया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में जीते बीजेपी के कई सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं के संपर्क में नहीं रहे। इसके बाद भी पार्टी ने उन्हें चुनाव मैदान में उतारा। इस वजह से पिछली बार जीते 26 सांसद इस बार चुनाव हारे हैं।
संविधान बदलने का डर
चुनाव के दौरान एक अहम फैक्टर यह भी रहा कि पिछड़े और दलित मतदाताओं को इस बात का डर था कि अगर बीजेपी फिर से सत्ता में आएगी तो वह संविधान बदल देगी। इसे लेकर भाजपा के कुछ नेताओं के बयान भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए थे जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें संविधान में बदलाव के लिए 400 सीटें चाहिए।
इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस, सपा, राजद व अन्य दलों ने बीजेपी पर चुनाव प्रचार के दौरान संविधान बदलने की मंशा रखने और आरक्षण व्यवस्था को कमजोर करने का आरोप लगाया था। बीजेपी विपक्ष के द्वारा किए गए इस प्रचार का जवाब नहीं दे सकी।
बीजेपी ने इस मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की कोशिश की लेकिन वह इसमें कामयाब नहीं हुई क्योंकि मतदाताओं ने इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया या कह सकते हैं कि मतदाता इससे प्रभावित नहीं हुए।
चुनाव नतीजों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। उनका शपथ ग्रहण समारोह रविवार शाम को होगा। नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे।
इस बार बीजेपी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है इसलिए वह सहयोगी दलों के भरोसे ही केंद्र में सरकार चला सकती है। ऐसे में टीडीपी, जेडीयू, लोक जनशक्ति (रामविलास), राष्ट्रीय लोकदल और अन्य सहयोगी दलों को अच्छी संख्या में मंत्री पद और अहम विभाग मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।