Gujarat BJP: गुजरात में कांग्रेस से आए नेताओं को मंत्री बनाने की चर्चा से भाजपाइयों में असंतोष
क्या गुजरात बीजेपी आरएसएस नेता की राय की अनदेखी करेगी? क्या गुजरात में कुछ बीजेपी नेता बगावत कर देंगे? क्या बीजेपी नेतृत्व से गुजरात के कुछ नेता नाराज हैं? ऐसे कुछ सवाल गुजरात के राजनीतिक गलियारों में उठ रहे हैं। सवाल उठने की वजह क्या है? पार्टी नेतृत्व के खिलाफ नेताओं में नाराजगी की वजह यह बताई जा रही है कि यहां ऐसी चर्चा है कि कांग्रेस से आए नेताओं को राज्य सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले गुजरात में कांग्रेस के चार और एक निर्दलीय विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे। लोकसभा चुनाव के साथ ही इन पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भी हुए और इन सभी सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है।
गुजरात के सियासी गलियारों में इस बात की जबरदस्त चर्चा है कि इन पांच विधायकों में से दो को भूपेंद्र पटेल सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है। इन विधायकों में प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाढिया और सीजे चावड़ा का नाम शामिल है।
इस चर्चा के बाद से ही गुजरात बीजेपी के अंदर खलबली का माहौल है और पार्टी के अंदर अंदरुनी विरोध तेज होने की आशंका है। इसके पीछे वजह यह है कि गुजरात बीजेपी में ऐसे कई वरिष्ठ नेता हैं जो लंबे वक्त से मंत्री बनने के इंतजार में हैं।
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कांग्रेसी से भाजपाई बने विधायकों को मंत्री पद देने की चर्चा ऐसे समय हो रही है जब आरएसएस नेता रतन शारदा ने 'ऑर्गनाइजर' में लेख लिख कर भाजपा में पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी और बाहर से आए नेताओं को टिकट या पद देने के चलन को गलत बताया है।
गुजरात में बीजेपी के कुछ नेता कांग्रेस के नेताओं को पार्टी में लिए जाने का खुलकर विरोध भी कर चुके हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही कांग्रेस के कई विधायक और नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं।
बताना होगा कि गुजरात में बीजेपी साल 2001 से सत्ता में है। हालांकि, 2002 से 2017 तक हर चुनाव में भाजपा के विधायक घटे थे, लेकिन 2022 में इनकी संख्या बढ़ कर 156 थी, जो अब 161 हो गई है।
इस बार हैट्रिक से चूक गई बीजेपी
2014 और 2019 में बीजेपी ने राज्य की सभी 26 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी लेकिन इस बार पार्टी हैट्रिक लगाने से चूक गई है। कांग्रेस को इस बार बनासकांठा की सीट पर जीत मिली है।
पार्टी नेतृत्व ने सौराष्ट्र-कच्छ इलाके में आने वाली सभी आठ लोकसभा सीटों पर 5 लाख मतों से जीत का लक्ष्य रखा था लेकिन ऐसा नहीं हो सका। यहां बताना जरूरी होगा कि गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का गृह राज्य है।
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लक्ष्य से काफी पीछे रह गई बीजेपी
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे बीजेपी के लिए उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे हैं। बीजेपी ने 370 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था लेकिन वह पिछली बार मिली 303 सीटों के आंकड़े से काफी पीछे रह गई है। उसे चुनाव में 240 सीटों पर जीत मिली है और इसके बाद सामने आ रही तमाम चर्चाओं के बीच एक चर्चा यह भी है कि क्या बीजेपी और आरएसएस के बीच संबंध ठीक नहीं हैं।
ऑर्गेनाइजर में आरएसएस नेता ने की तीखी टिप्पणी
आरएसएस की पत्रिका ऑर्गेनाइजर में छपे एक लेख में लोकसभा चुनाव परिणाम को लेकर तीखी टिप्पणी की गई है। लेख में कहा गया है कि चुनाव के नतीजों ने अति आत्मविश्वासी हो चुके भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को आइना दिखा दिया है। आरएसएस के सदस्य रतन शारदा द्वारा यह लेख लिखा गया है।
रतन शारदा ने अपने लेख में लिखा है कि किस तरह दल-बदलुओं के लिए पार्टी के स्थानीय नेताओं की उपेक्षा की गई। ऐसे नेताओं को चुनाव से पहले बड़ी संख्या में पार्टी में शामिल किया गया। रतन शारदा ने लिखा है कि हर सीट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से नाम पर जीती जा सकती है, इसकी भी एक सीमा है। यह सोच तब आत्मघाती हो गयी, जब उम्मीदवारों को बदल दिया गया, स्थानीय नेताओं पर उन्हें थोपा गया और दल-बदलुओं को ज्यादा महत्व दिया गया।
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बीजेपी-आरएसएस के संबंधों को लेकर इंडियन एक्सप्रेस की कॉन्ट्रीब्यूटिंग एडिटर नीरज चौधरी ने कहा है कि आरएसएस ने इस बार बीजेपी के लिए उस तरह जमकर चुनाव प्रचार नहीं किया जैसा वह पहले करता था।
चर्चा में है नड्डा का बयान
लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का चुनाव नतीजे आने से पहले दिया गया एक बयान भी काफी चर्चा में है। इसमें नड्डा ने कहा था कि शुरू में हम थोड़ा कम थे, हमें संघ की जरूरत पड़ती थी, आज हम बढ़ गए हैं, सक्षम हैं तो भाजपा अपने आप को चलाती है।
विपक्षी सरकारों को गिराने का आरोप
2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री और अमित शाह के बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद भाजपा पर यह आरोप लगता है कि उसने कई राज्यों में कांग्रेस की सरकारों को गिराया है। बीजेपी पर आरोप लगता है कि वह ऑपरेशन लोटस के तहत विपक्षी दलों के विधायकों में तोड़फोड़ करके उनकी सरकारों को गिरा रही है। कांग्रेस का कहना है कि 2014 के बाद से बीजेपी उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, गोवा सहित कई राज्यों में बीजेपी ने उसकी चुनी हुई सरकारों को गिराया है।
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इसके अलावा महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी की सरकार, कर्नाटक में 2019 में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिराने का आरोप भी बीजेपी पर लगता है। दिल्ली और पंजाब में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी भी आरोप लगा चुकी है कि बीजेपी उसकी सरकारों को गिराने की साजिश रच रही है।
बीजेपी पर जब विपक्षी दलों की सरकारों को गिराने के आरोप लगते हैं तो विरोधी उसे अक्सर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का बयान याद दिलाते हैं। जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि पार्टी तोड़कर सत्ता के लिए नया गठबंधन करके अगर सत्ता हाथ में आती है तो मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा।
1995 से लगातार सत्ता में है बीजेपी
गुजरात में बीजेपी एक बड़ी ताकत है और 1995 से वह वहां सत्ता में है। 2001 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे और 2014 में जब वह दिल्ली आए तब तक उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली।
2022 के चुनाव में मिली थी बीजेपी को प्रचंड जीत
साल | बीजेपी को मिली सीटें | कांग्रेस को मिली सीटें | बीजेपी को मिले वोट (प्रतिशत में) | कांग्रेस को मिले वोट (प्रतिशत में) |
2002 | 127 | 51 | 49.85 | 39.28 |
2007 | 116 | 59 | 48.9 | 38.14 |
2012 | 115 | 61 | 47.85 | 38.93 |
2017 | 99 | 77 | 49.05 | 41.44 |
2022 | 156 | 17 | 52.5 | 27.28 |
मौजूदा वक्त में बीजेपी के पास गुजरात में 161 विधायक हैं।
नए पार्टी अध्यक्ष को लेकर जोड़-तोड़
लगातार तीसरी बार बनी एनडीए की सरकार में गुजरात से बीजेपी के पांच नेताओं को मंत्री बनाया गया है। इन पांच नेताओं में गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल भी शामिल हैं। गृहमंत्री अमित शाह भी गुजरात के गांधीनगर से 7.70 लाख वोटों के अंतर से चुनाव जीते हैं। सीआर पाटील के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद गुजरात बीजेपी के नए अध्यक्ष के लिए जोड़-तोड़ भी शुरू हो गई है।
नए अध्यक्ष की दौड़ में ओबीसी नेता और राज्य सरकार में राज्य मंत्री जगदीश विश्वकर्मा, तीन बार विधायक रहे पूर्णेश मोदी, मोदी सरकार में मंत्री रहे खेड़ा से सांसद देवु सिंह चौहान का नाम चर्चा में है।