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Crime Against Women: NCW को महिलाओं पर अत्याचार की मिलीं 12 हजार शिकायतें, आधी से ज्यादा उत्तर प्रदेश से

आंकड़ों के अनुसार, बिहार में 584, मध्य प्रदेश में 514, हरियाणा में 506, राजस्थान में 408, तमिलनाडु में 301, पश्चिम बंगाल में 306 और कर्नाटक में 305 शिकायतें दर्ज की गईं।
Written by: shrutisrivastva
नई दिल्ली | Updated: June 19, 2024 11:08 IST
crime against women  ncw को महिलाओं पर अत्याचार की मिलीं 12 हजार शिकायतें  आधी से ज्यादा उत्तर प्रदेश से
महिलाओं के खिलाफ हिंसा (Source- Representative Image/ Express)
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राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) को इस साल अब तक उत्पीड़न से लेकर घरेलू हिंसा तक की 12,600 शिकायतें मिली हैं, जिनमें सबसे ज्यादा शिकायतें उत्तर प्रदेश से दर्ज की गयी हैं। सबसे अधिक शिकायतें घरेलू हिंसा और उत्पीड़न की हैं। एनसीडब्ल्यू के आंकड़ों के मुताबिक, महिलाओं से संबंधित हिंसा और उत्पीड़न की 3,107 शिकायतें मिलीं।

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यूपी के बाद दिल्ली और महाराष्ट्र का नंबर रहा जिन्होंने महिलाओं से जुड़ी शिकायतों के मामले में क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया। हिंसा से जूझ रहे मणिपुर से आयोग के पास महिलाओं के खिलाफ अपराध की केवल तीन शिकायतें दर्ज की गयी हैं।

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50% से अधिक शिकायतें यूपी से

2024 में अब तक NCW को प्राप्त कुल 12,600 शिकायतों में से 6,470 उत्तर प्रदेश से थीं। NCW के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली से 1,113 शिकायतें की गईं जबकि महाराष्ट्र से यह संख्या 762 थी। अन्य राज्यों में, तमिलनाडु में 301, कर्नाटक में 305, बिहार में 584, मध्य प्रदेश में 514, हरियाणा में 509, राजस्थान में 408 और पश्चिम बंगाल में 306 शिकायतें दर्ज की गईं।

महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा की सबसे ज्यादा शिकायतें

इसके बाद घरेलू हिंसा की 3,544 शिकायतें आईं। आंकड़ों के अनुसार, दहेज उत्पीड़न की शिकायतें 1,957, छेड़छाड़ की शिकायतें 817, महिलाओं के प्रति पुलिस की उदासीनता की शिकायतें 518 और बलात्कार-बलात्कार के प्रयास की शिकायतें 657 रहीं। आंकड़ों के मुताबिक, यौन उत्पीड़न की 493, साइबर अपराध की 339, पीछा करने की 345 और महिलाओं के सम्मान पर हाथ डालने की 206 शिकायतें थीं।

जहां तक ​​महिलाओं के खिलाफ अपराधों की श्रेणियों का सवाल है, सबसे अधिक 3,567 शिकायतें सम्मान के अधिकार (Right to Dignity) श्रेणी में प्राप्त हुईं, जिनमें घरेलू हिंसा के अलावा अन्य उत्पीड़न शामिल हैं। इसके बाद घरेलू हिंसा की 3,213 शिकायतें आईं।

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दहेज उत्पीड़न की 1900 शिकायतें

आंकड़ों के अनुसार, दहेज उत्पीड़न की शिकायतें 1,963, छेड़छाड़ की 821, महिलाओं के खिलाफ पुलिस की उदासीनता की 524 और बलात्कार तथा बलात्कार के प्रयास की शिकायतें 658 रहीं। 2023 में NCW द्वारा महिलाओं से संबंधित कुल 28,811 शिकायतें दर्ज की गईं।

राष्ट्रीय महिला आयोग एक वैधानिक निकाय है जो महिलाओं सभी नीतिगत मामलों पर सरकार को सलाह देता है। जिसे आमतौर पर महिला पैनल कहा जाता है, यह देश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर भी नज़र रखता है और पीड़ितों को ऐसे मामलों में न्याय दिलाने के लिए राज्य और प्रशासन को दिशानिर्देश जारी करता है। वर्तमान में, NCW की अध्यक्ष रेखा शर्मा हैं।

पिछले साल भी सबसे ज्यादा शिकायतें यूपी से

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने पिछले साल महिलाओं के खिलाफ अपराध की 28,811 शिकायतें दर्ज कीं और उनमें से लगभग 55% उत्तर प्रदेश से थीं। एनसीडब्ल्यू के आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा शिकायतें (8,540) गरिमा के अधिकार (Right to Dignity) श्रेणी में प्राप्त हुईं, जिसमें घरेलू हिंसा के अलावा अन्य उत्पीड़न शामिल हैं। इसके बाद घरेलू हिंसा की 6,274 शिकायतें आईं थी।

आंकड़ों के अनुसार, 2023 में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 16,109 शिकायतें दर्ज की गईं, इसके बाद दिल्ली में 2,411, महाराष्ट्र में 1,343 शिकायतें दर्ज की गईं थी। बिहार में 1,312 शिकायतें, मध्य प्रदेश में 1,165, हरियाणा में 1,115, राजस्थान में 1,011, तमिलनाडु में 608, पश्चिम बंगाल में 569 और कर्नाटक में 501 शिकायतें दर्ज की गईं थी।

2022 में NCW को मिली थी सबसे ज्यादा शिकायतें

आंकड़ों के अनुसार 2023 में दहेज उत्पीड़न की शिकायतें 4,797, छेड़छाड़ की शिकायतें 2,349, महिलाओं के प्रति पुलिस की उदासीनता की शिकायतें 1,618 और बलात्कार तथा बलात्कार के प्रयास की शिकायतें 1,537 रहीं थी। यौन उत्पीड़न की 805, साइबर अपराध की 605, पीछा करने की 472 और सम्मान अपराध की 409 शिकायतें थीं। 2022 के बाद से महिलाओं के खिलाफ अपराध की शिकायतों की संख्या में गिरावट देखी गई है। 2022 में NCW को 30,864 शिकायतें प्राप्त हुईं थी, जो 2014 के बाद से सबसे ज्यादा थीं।

महिलाओं की सुरक्षा हेतु सरकारी उपाय

घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005- यह अधिनियम संविधान के तहत उन महिलाओं के अधिकारों की अधिक प्रभावी सुरक्षा प्रदान करता है जो परिवार के भीतर होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा की शिकार हैं।

राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW)- राष्ट्रीय महिला आयोग भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वैधानिक निकाय है। आयोग को महिलाओं को प्रदान किए गए संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों का अध्ययन और निगरानी करने का आदेश दिया गया है, जहां भी आवश्यक हो। साथ ही संशोधन का सुझाव देने के लिए मौजूदा कानूनों की समीक्षा करने और महिलाओं की शिकायतों पर गौर करने के अधिकार भी एनसीडबल्यू को हैं। सभी राज्य सरकारों में भी राज्य महिला आयोग (SCW) की स्थापना की गयी है।

महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए मिशन शक्ति

मिशन शक्ति- "मिशन शक्ति" एक ऐसा कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा में सुधार करना है। योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।

सखी- वन-स्टॉप सेंटर- वन स्टॉप सेंटर (OSC) योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित की जाती है। ये ओएससी उन महिलाओं को पुलिस सुविधा, चिकित्सा सहायता, कानूनी सहायता, परामर्श, मनोवैज्ञानिक परामर्श और अस्थायी आश्रय सहित विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करते हैं, जिन्होंने हिंसा झेली है या जो जरूरतमंद हैं।

कानूनी सेवा प्राधिकरण (LSA) अधिनियम- कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 महिलाओं, बच्चों और अधिनियम की धारा 12 के अंतर्गत आने वाले लाभार्थियों को मुफ्त कानूनी सेवाएं प्रदान करता है।

डिजिटल शक्ति अभियान- यह अभियान महिलाओं और लड़कियों को डिजिटल रूप से सशक्त और शिक्षित करने के लक्ष्य के साथ राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा संचालित एक अखिल भारतीय पहल है। डिजिटल शक्ति महिलाओं को ऑनलाइन किसी भी अनुचित या आपराधिक व्यवहार का सामना करने के लिए सशक्त बनाने पर केंद्रित है।

सरकार ने चलाई 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना

उज्जवला योजना- तस्करी रोकने और यौन शोषण के लिए तस्करी से पीड़ितों के बचाव, पुनर्वास, पुन: एकीकरण और प्रत्यावर्तन के लिए केंद्र प्रायोजित योजना, उज्ज्वला योजना लागू की जा रही है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ- यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय की एक संयुक्त पहल है। इसके तहत लिंग-भेद की रोकथाम, बालिकाओं की उत्तरजीविता और सुरक्षा सुनिश्चित करना, बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाते हैं।

निर्भया फंड- महिलाएं और लड़कियाँ अक्सर सड़कों पर और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर हिंसा और दुर्व्यवहार की शिकार होती हैं। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने निर्भया फंड की स्थापना की। इस फंड का उपयोग महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ी पहल के लिए किया जा सकता है। निर्भया फंड से 200 करोड़ रुपये राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी विभिन्न पीड़ित मुआवजा योजनाओं का समर्थन करने के लिए अनुदान के रूप में दिए गए थे।

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