हर चार में तीन भारतीयों का फोन चीनी, जानिए लोगों का सबसे पसंदीदा ब्रांड
भारतीय मोबाइल फोन बाजार में चाइनीज ब्रांड्स का कब्जा है। कम और मध्यम बजट के होने की वजह से भारत के लगभग 75% मोबाइल मार्केट में चाइनीज फोन की धूम है। मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, कई प्रमुख चीनी स्मार्टफोन निर्माता वीवो, ओप्पो और शाओमी भारत में अपने प्रोडक्ट्स की मैन्यूफैक्चरिंग और डिस्ट्रिब्यूशन के लिए भारतीय कंपनियों के साथ पार्टनरशिप करने के लिए चर्चा कर रहे हैं। इससे पहले भी चाइनीज कंपनियों ने भारतीय कंपनियों के साथ जॉइंट वेंचर स्थापित करने के प्रयास किए थे, जो सफल नहीं हो सका था।
भारत सरकार अपनी 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत विदेशी कंपनियों को स्थानीय कंपनियों के साथ साझेदारी करने के लिए प्रेरित कर रही है। हालाँकि, प्रमुख भारतीय कंपनियां अपने खुद के मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करना पसंद करते हैं।
मिंट के मुताबिक, चीनी कंपनियां टाटा ग्रुप, रिलायंस इंडस्ट्रीज और डिक्सन टेक्नोलॉजीज जैसे बड़े इंडियन ग्रुप्स के साथ बातचीत कर रही हैं। हालाँकि,जांच और चीनी ब्रांडों से जुड़े कानूनी मुद्दों के कारण ये चर्चाएं आगे नहीं बढ़ी हैं। उदाहरण के लिए, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) संदिग्ध मनी लॉन्ड्रिंग के लिए वीवो की जांच कर रहा है, और सरकार का आरोप है कि वीवो, ओप्पो और शाओमी ने वित्त वर्ष 2019 और वित्त वर्ष 23 के बीच कस्टम और जीएसटी भुगतान सहित कुल 9,000 करोड़ रुपये के टैक्स की चोरी की है।
चीनी ब्रांडों का मार्केट शेयर 75 प्रतिशत
काउंटरप्वाइंट रिसर्च के अनुसार, मार्च 2024 तक भारत के स्मार्टफोन बाजार में Xiaomi, ओप्पो, वीवो और रियलमी का सामूहिक रूप से 58 प्रतिशत हिस्सा था, जबकि मई 2024 तक चीनी ब्रांडों का मार्केट शेयर 75 प्रतिशत था।
वहीं, इंटरनेशनल ट्रेड सेंटर (ITC) के हालिया आंकड़ों से पता चला है कि भारतीय स्मार्टफोन बाजार में प्रमुखता से छाए रहने के बावजूद, चीनी फोन निर्यात में पिछले वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 24 में 2.8 प्रतिशत की गिरावट आई है।
जनवरी-मार्च क्वार्टर 2024 में भारतीय बाजार में फोन ब्रांड्स की हिस्सेदारी
ब्रांड | भारतीय बाजार में हिस्सेदारी (%) |
वीवो | 16.2 |
सैमसंग | 15.6 |
शाओमी | 12.8 |
ओप्पो | 10.2 |
रिअलमी | 9.8 |
आईफोन | 7.3 |
पोको | 5.9 |
वनप्लस | 5.1 |
अन्य | 9.6 |
मोटोरोला | 4.6 |
चाइनीज फोन और इंडियन मार्केट
सीमा पर तनाव और जासूसी के आरोपों के बीच कई बार यह मांग उठती रही है कि चाइनीज प्रोडक्ट्स को भारतीय बाजार में बैन कर दिया जाए। हालांकि, यह डिमांड प्रैक्टिकल नहीं है। भारत के निचले और मध्यम वर्ग तबके के बीच सस्ते और लेटेस्ट फीचर्स वाले चाइनीज मोबाइल फोन की जबरदस्त मांग है। चीनी ब्रांडों के बिना भारत के स्मार्टफोन बाजार में लेटेस्ट और सस्ते मोबाइल फोन की कमी हो जाएगी जो भारतीय उपभोक्ताओं को सबसे ज्यादा पसंद हैं।
कम बजट फोन में चीनी ब्रांड्स का दबदबा
चीनी स्मार्टफोन निर्माता भारतीय बाजार पर हावी हैं और कुल स्मार्टफोन शिपमेंट के 69% से अधिक पर उनका कब्जा है। यह दबदबा किफायती फोन (25,000 रुपये से कम) में और भी ज्यादा है, जहां उनका मार्केट शेयर लगभग 80% तक पहुंच जाता है। कम बजट में 5जी और 4जी फोन के साथ चीनी फोन भारतीयों के लिए स्मार्टफोन सुलभ बनाने में सहायक रहे हैं।
चीनी मोबाइल कंपनियों को इंडियन मार्केट में आने वाली दिक्कतें
भारत सरकार जहां चीनी कंपनियों के लिए इंडियन इक्विटी पार्टनर, लोकल डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क रखने की इच्छुक है, लेकिन स्वदेशी कंपनियों के बीच चीनी मूल के ब्रांड रखने की अनिच्छा है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस मुद्दे की जड़ चीनी कंपनियों, उत्पादों और सेवाओं से जुड़ी नकारात्मकता से है, जो दोनों देशों के बीच सीमा तनाव से उत्पन्न हुआ है।
भारतीय कंपनियां मैन्यूफैक्चरिंग या डिस्ट्रिब्यूशन पार्टनरशिप पसंद करती हैं जहां वे ब्रांड का स्वामित्व लिए बिना बिक्री से लाभ उठा सकें। ये साझेदारियाँ लाभकारी हो सकती हैं क्योंकि भारतीय कंपनियों को 'चीनी' ब्रांड के हिस्से के रूप में नहीं देखा जाएगा, लेकिन फिर भी वे भारत में अपनी महत्वपूर्ण बाजार उपस्थिति का लाभ उठाते हुए उनके लिए प्रोडक्ट्स का निर्माण करेंगी।
भारतीय बाजार में चीनी कंपनियां
चुनौतियों के बावजूद, अधिक से अधिक चीनी कंपनियों ने अपने ऑपरेशन को स्थानीय बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। Xiaomi India, Vivo और Oppo सभी भारत में या तो मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट स्थापित कर चुके हैं या स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं। वीवो इस महीने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में अपनी सबसे बड़ी विनिर्माण सुविधा खोलने के लिए तैयार है। इसमें 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जाएगा।
भारत का बढ़ता निर्यात
भारत मोबाइल फोन निर्यात के मामले में चीन और वियतनाम के बीच अंतर को तेजी से पाट रहा है। अधिकारियों ने वैश्विक व्यापार डेटा का हवाला देते हुए ईटी को बताया कि वित्त वर्ष 2014 में चीन और वियतनाम से मोबाइल निर्यात में पिछले वर्ष की तुलना में क्रमशः 2.78% और 17.6% की गिरावट आई, जबकि भारत से निर्यात 40.5% बढ़ गया।