Rajinikanth Birthday: फिल्मी करियर की शुरुआत में ही लगातार मिल रही थी असफलता, पत्रकार दोस्त की एक सलाह ने बदल दी रजनीकांत की जिंदगी
भारतीय सिनेमा के 'थलाइवा' रजनीकांत आज अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर, 1950 को कर्नाटक के एक मराठा परिवार में हुआ था। उनका असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। सिनेमा में आने से पहले रजनीकांत बेंगलुरु में बस कंडक्टर का काम किया करते थे।
बस कंडक्टर से स्ट्रगलिंग एक्टर तक का सफर
1970 के दशक की बात है। BTS (बैंगलोर ट्रांसपोर्ट सर्विसेज) में बतौर कंडक्टर शिवाजी राव के टिकट बेचने का स्टाइल अनोखा था। वह सीटी बजाकर और तरह-तरह के डायलॉग बोलकर यात्रियों का ध्यान खींचते थे।
उन्हीं दिनों पत्रकार भास्कर राव कन्नड़ अखबार 'संयुक्त कर्नाटक' के लिए काम करते थे और क्षेत्रीय सिनेमा टैबलॉयड के लिए फ्रीलांस करते थे। वह अक्सर जयनगर और यशवंतपुर के बीच रूट नंबर 1 पर चलने वाली उस बस में यात्रा करते थे, जिस पर शिवाजी राव कंडक्टर थे। इसी दौरान दोनों के बीच दोस्ती हो गई।
युवा शिवाजी की बहुत इच्छा थी कि वह फिल्मों में काम करें। वह कन्नड़ फिल्म में पहचान बनाना चाहते थे। लेकिन उन्हें पहला मौका साल 1975 में निर्देशक बालाचंदर की तमिल फिल्म 'अपूर्वा रागंगल' से मिली। फिल्म में उनकी भूमिका छोटी थी। लेकिन शिवाजी राव अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब रहे।
एक साल बाद 1976 में उन्हें कन्नड़ फिल्म उद्योग में पुत्तन कनागल की 'कथा संगम' में अभिनय करने का मौका मिला, लेकिन फिल्म औसत कमाई करने वाली साबित हुई और उन्हें वह पहचान नहीं मिली जो वह चाहते थे। इस कठिन दौर में शिवाजी राव और मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में उनके बैचमेट अशोक, अपने पुराने दोस्त और पत्रकार भास्कर राव से मिलने पहुंचे।
तीनों बेंगलुरु के प्रसिद्ध वुडलैंड्स होटल में मिले। भास्कर राव ने अपने दोस्तों को बताया कि वह उनके बारे में एक सिनेमा टैब्लॉइड में लिखना चाहते हैं जिसके साथ वह फ्रीलांसिंग कर रहे हैं। राव ने दोनों का इंटरव्यू किया। इंटरव्यू के बाद पत्रकार दोस्त ने शिवाजी के लिए एक सलाह दी। माना जाता है कि उस सलाह की वजह से ही शिवाजी राव को वह सफलता मिली, जिसने उन्हें सुपरस्टार रजनीकांत और थलाइवा बना दिया।
क्या थी वह सलाह?
डेक्कन क्रॉनिकल के साथ बातचीत में भास्कर राव ने बताया था कि, "उनके (रजनीकांत) हाथ में कोई प्रोजेक्ट नहीं था। फिल्म 'कथा संगम' उन्हें कन्नड़ फिल्म उद्योग में वह ब्रेक देने में असफल रही, जिसकी उन्हें तलाश थी। रजनी इस बात को लेकर दुविधा में थे कि क्या उन्हें कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में फिर से अपनी किस्मत आजमानी चाहिए या तमिल फिल्मों का विकल्प चुनना चाहिए। उनके पास बैंगलोर ट्रांसपोर्ट सर्विस में कंडक्टर की स्थायी नौकरी थी। उस समय वही उनके गरीब परिवार के लिए आय का एक स्थिर स्रोत था। उनका पूरा परिवार हनुमंत नगर में रहता था। तमिल फिल्म में जाने के लिए उन्हें ये सब छोड़ना पड़ता।"
राव याद करते हुए बताते हैं कि उन्हें यह भी चिंता थी कि अगर वह तमिल फिल्मों में फ्लॉप हो गए, तो उन्हें कन्नड़ फिल्मों में वापस स्वीकार नहीं किया जाएगा। लेकिन भास्कर राव ने उन्हें तलिम फिल्म इंडस्ट्री में जाने की सलाह दी।
राव बताते हैं, "मुझे पता था कि रिलीज होने वाली कन्नड़ फिल्मों की संख्या तमिल या तेलुगु की तुलना में कम है। इसके अलावा कन्नड़ में पहले से ही राजकुमार, विष्णुवर्धन, किरण कुमार जैसे स्थापित अभिनेता थे। ऐसे में कोई प्रोड्यूसर शायद ही रजनीकांत पर दांव लगाने को तैयार होता।"
राव का यह भी मानना था कि अपने सांवले रूप के कारण रजनी तमिलों द्वारा आसानी से स्वीकार कर लिये जायेंगे। वह बताते हैं, "मुझे लगा कि उनमें तमिल फिल्मों का सुपरस्टार बनने के सभी गुण मौजूद हैं।"
तब पत्रकार दोस्त की सलाह और विश्वास पर रजनी जोर से हंसे थे। लेकिन उन्होंने उनकी सलाह मान ली। इसके बाद जो हुआ, उसे तो पूरा भारतीय फिल्म जगत जानता ही है।