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मार्गदर्शक मंडल में 2014 से ही हैं नरेंद्र मोदी, अभी कैसे गरमाया मुद्दा?

मार्गदर्शक मंडल में नरेंद्र मोदी और राजनाथ स‍िंंह का नाम बीजेपी की वेेबसाइट पर है। लोग इसे ताजा बदलाव बता रहे हैं, पर दोनों शुरू से ही मार्गदर्शक मंडल के सदस्‍य हैं।
Written by: विजय कुमार झा
नई दिल्ली | Updated: June 13, 2024 15:53 IST
मार्गदर्शक मंडल में 2014 से ही हैं नरेंद्र मोदी  अभी कैसे गरमाया मुद्दा
बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में नरेंद्र मोदी और राजनाथ स‍िंंह का नाम नया नहीं है, पर इसे अभी खूब उछाला जा रहा है। (फोटो सोर्स: bjp.org|
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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की वेबसाइट (http://bjp.org) पर मार्गदर्शक मंडल में नरेंद्र मोदी का नाम और तस्‍वीर वाला स्‍की्रनशॉट आजकल खूब शेयर हो रहा है। इस तस्‍वीर के साथ सोशल साइट पर लोग तरह-तरह की ट‍िप्‍पणी कर रहे हैं।

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बीजेपी ने मार्गदर्शक मंडल 2014 में तब बनाया था जब नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने थे। कहा जा रहा था क‍ि यह लालकृष्‍ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं को सम्‍मानजनक रूप से अलग करने के ल‍िए बनाया गया था। लेक‍िन, नरेंद्र मोदी और राजनाथ स‍िंह का नाम मार्गदर्शक मंडल में नया नहीं है।

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2014 में जब अम‍ित शाह के भाजपा अध्‍यक्ष रहते मार्गदर्शक मंडल की घोषणा की गई थी तब इसमें पांच नेताओं का नाम था। ये हैं- अटल बिहारी वाजपेयी, नरेन्द्र भाई मोदी, लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी और राजनाथ सिंह। 26 अगस्‍त, 2014 को भाजपा ने प्रेस र‍िलीज जारी कर यह जानकारी दी थी।

तब कांग्रेस ने यह कह कर इस पर हमला न‍िशाना साधा था क‍ि भाजपा ने अपने द‍िग्‍गज नेताओं को वृद्धाश्रम भेज द‍िया और सारी ताकत एक हाथ में रखने की साफ मंशा द‍िखाई है।

2014 में ही 26 मई को नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। जब मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्‍मीदवार घोष‍ित क‍िया गया था तब आडवाणी इसके ख‍िलाफ थे। मोदी को भाजपा कार्यकार‍िणी की बैठक में गोवा में जब केंद्रीय चुनाव प्रचार सम‍ित‍ि का प्रमुख बनाए जाने की घोषणा हुई थी तो आडवाणी बैठक से लौट गए थे। उन्‍हें इस न‍िर्णय को मानने के ल‍िए बड़ी मुश्‍क‍िल से मनाया गया था।

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मार्गदर्शक मंडल तो बना, पर मार्गदर्शन नहीं ल‍िया

जुलाई 2014 में राजनाथ स‍िंंह से भाजपा अध्‍यक्ष की कमान अपने हाथों में लेने के बाद अम‍ित शाह ने नया संसदीय बोर्ड (न‍िर्णय लेने वाली पार्टी की सर्वोच्‍च ईकाई) का गठन क‍िया था। इसमें वाजपेयी, आडवाणी और जोशी नहीं रखे गए थे। इन तीनों को एक मार्गदर्शक मंडल बना कर उसमें जगह दी गई थी। इसका उद्देश्‍य पार्टी को द‍िशा देना था। लेक‍िन, इसकी गत‍िव‍िध‍ियों को लेकर पार्टी की ओर से व‍िरले ही सार्वजन‍िक रूप से कुछ बताया गया हो।

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मार्गदर्शक मंडल बनाए जाने के वक्‍त पार्टी के प्रवक्‍ता जीवीएनएल राव ने टीवी पर कहा था क‍ि मार्गदर्शक मंडल का कोई संवैधान‍िक रोल नहीं होगा। इसकी भूम‍िका सलाह देने तक सीम‍ित रहेगी। यह भाजपा नेतृत्‍व को द‍िग्‍गज नेताओं द्वारा राह द‍िखाने वाली बॉडी है और उन नेताओं को पार्टी की गत‍िव‍िध‍ियों में सम्‍मानजनक तरीके से शाम‍िल करने का अहम जर‍िया है।

75 साल में र‍िटायरमेंट मन की बात या न‍ियमत: जरूरी

दरअसल, 75 साल में र‍िटायर होने की बात भाजपा ने ही उठाई थी। 2019 में लालकृष्‍ण आडवाणी को लोकसभा चुनाव से दूर रखा गया और उनकी गांधीनगर सीट से अम‍ित शाह लड़े। तब अम‍ित शाह ने 'द वीक' पत्रि‍का से कहा था क‍ि भाजपा ने 75 साल से ज्‍यादा उम्र के क‍िसी नेता को ट‍िकट नहीं देने का फैसला क‍िया है। हालांक‍ि, पार्टी ने कई मौकों पर यह न‍ियम तोड़ा और बाद में खुद अम‍ित शाह ने कहा क‍ि ऐसा पार्टी के संव‍िधान में कहीं नहीं ल‍िखा है क‍ि 75 साल से ज्‍यादा उम्र के सदस्‍य चुनाव नहीं लड़ सकते।

इस बार भी व‍िपक्ष ने बनाया मुद्दा

लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान व‍िपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री के र‍िटायरमेंट का मुद्दा उठाया और उन्‍हें ताना मारते हुए कहा क‍ि वह मार्गदर्शक मंडल में चले जाएं। आप के नेता संजय स‍िंह ने आनंदी बेन पटेल का उदहारण देते हुए कहा था क‍ि नरेंद्र मोदी को 75 साल का होने के बाद र‍िटायर हो जाना चाह‍िए। तेजस्‍वी यादव ने भी नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा था क‍ि उन्‍हें मार्गदर्शक मंडल में चले जाना चाह‍िए।

ताजा लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत नहीं म‍िला तो लोग इसे मोदी की कमजोर स्‍थ‍ित‍ि से जोड़ रहे हैं और मार्गदर्शक मंडल में उनकी तस्‍वीर वाली फोटो शेयर करते हुए तरह-तरह की ट‍िप्‍पण‍ियां भी कर रहे हैं। कोई कह रहा है क‍ि मोदी इस्‍तीफा देंगे तो कोई कह रहा क‍ि आरएसएस ने मोदी को र‍िटायर कर द‍िया है।

बीजेपी की वेबसाइट पर मार्गदर्शक मंडल के सेक्‍शन में लगी नरेंद्र मोदी की तस्‍वीर को कई लोग 'मार्गदर्शक मंडल में ताजा एंट्री' बता कर शेयर कर रहे हैं। कांग्रेस की ओर से भी इसे शेयर क‍िया तो बीजेपी की ओर से सफाई भी दी गई।

केरल कांग्रेस ने जब इस बारे में एक्‍स पर पोस्‍ट क‍िया तो शहजाद पूनावाला ने जवाब द‍िया:

जब कीर्त‍ि आजाद ने दी थी मार्गदर्शक मंडल से गुहार लगाने की धमकी

2015 में जब भाजपा ने कीर्त‍ि आजाद को न‍िलंब‍ित क‍िया था, तब उन्‍होंने धमकी दी थी क‍ि वह मार्गदर्शक मंडल के पास जाएंगे और पूछेंगे क‍ि क्‍या पार्टी में भ्रष्‍टाचार के ख‍िलाफ आवाज उठाने की सजा न‍िलंबन है? हालांक‍ि, आजाद के साथ पार्टी ने जो क‍िया वह उन्‍हें झेलना ही पड़ा।

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