Maharashtra Assembly Election से पहले बीजेपी में उठी अजित पवार से गठबंधन तोड़ने की मांग
महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किल बढ़ती लग रही है। लोकसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी ने विधानसभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है, लेकिन पार्टी में अजित पवार से गठबंधन को लेकर विरोधी सुर उठने लगे हैं।
उधर, अटकलें अजित पवार की एनसीपी में टूट की भी लग रही हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति कौन सी करवट लेगी, इस पर कयास लगने लगे हैं।
महाराष्ट्र में एनडीए गठबंधन में शामिल अजित पवार की एनसीपी और बीजेपी के बीच संबंध खराब होते दिख रहे हैं। बीजेपी के एक नेता ने खुलकर कहा है कि बीजेपी को एनसीपी के साथ गठबंधन खत्म कर देना चाहिए और हमें उनकी जरूरत नहीं है।
महाराष्ट्र में कुछ महीने बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं और उससे पहले बीजेपी और अजित पवार की एनसीपी के बीच तनातनी की खबरों से एनडीए गठबंधन को नुकसान हो सकता है।
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बीजेपी ने अभी से विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। महाराष्ट्र्र के प्रभारी भूपेंद्र यादव शुक्रवार को इसी सिलसिले में महाराष्ट्र पहुंचे। उधर, महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को कई लोकलुभावन घोषणाएं भी कीं।
संघ के विचारक रतन शारदा ने लोकसभा चुनाव के बाद ऑर्गेनाइजर में लिखे अपने लेख में कहा था कि महाराष्ट्र में एनसीपी के साथ गठबंधन करना सही फैसला नहीं था और ऐसा करके बीजेपी ने अपनी ब्रांड वैल्यू को कम किया है।
दूसरी ओर एनसीपी इस बात से नाराज बताई जाती है कि भाजपा ने उसे केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री की कुर्सी नहीं दी। एनसीपी ने राज्य मंत्री का ऑफर ठुकरा दिया था। बताया जाता है कि तब एनसीपी को भाजपा आलाकमान से आश्वासन मिला था कि जल्द ही कोई रास्ता निकाला जाएगा।
लोकसभा चुनाव 2024 में सिर्फ 1 सीट जीत सकी एनसीपी
राजनीतिक दल | मिली सीटें |
बीजेपी | 9 |
कांग्रेस | 13 |
एनसीपी | 1 |
एनसीपी (शरद चंद्र पवार) | 8 |
शिवसेना (यूबीटी) | 9 |
शिवसेना | 7 |
कुछ दिन पहले ही अजित पवार के चाचा और अविभाजित एनसीपी के संस्थापक शरद पवार ने इस बात की ओर इशारा किया था कि जो लोग उन्हें छोड़कर अजित पवार के पास गए थे, उनके लिए उनकी पार्टी के दरवाजे खुले हुए हैं।
क्या है बीजेपी नेता का बयान?
बताया जाता है कि बीजेपी की पुणे इकाई के जिला उपाध्यक्ष सुदर्शन चौधरी ने पार्टी की एक बैठक में कहा कि अगर आप पार्टी के कैडर से सड़क पर उतरकर पूछेंगे तो वह साफ तौर पर कहेगा कि अजित पवार के साथ गठबंधन खत्म कर दिया जाना चाहिए।
कई सालों तक हमने उनके खिलाफ चुनाव लड़ा है। आखिर हमें उनकी क्या जरूरत है? हम उन्हें चुनाव नहीं जिताना चाहते जिससे वह मंत्री बनें और हमें आदेश दें। उन्होंने यहां तक कहा कि अजित पवार से हाथ मिलाने का मतलब है कि हम सत्ता में वापस नहीं आना चाहते।
बताया जाता है कि सुदर्शन चौधरी ने यह बात बीजेपी की शिरूर लोकसभा सीट को लेकर बुलाई गई एक गुप्त समीक्षा बैठक में कही। उनके बयान से साफ पता चलता है कि बीजेपी और एनसीपी के बीच जमीन पर सब कुछ ठीक नहीं है।
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एनसीपी कार्यकर्ता नाराज, स्याही फेंकी
भाजपा नेता के इस बयान से एनसीपी के कार्यकर्ता बेहद नाराज हो गए। उन्होंने सुदर्शन चौधरी पर काली स्याही फेंकी और अपने बयान के लिए माफी मांगने को कहा।
इस बैठक में मौजूद एनसीपी के नेता अमूल मितकरी ने बीजेपी के विधायक राहुल कुल से सवाल पूछा कि उन्होंने सुदर्शन चौधरी की टिप्पणी का विरोध क्यों नहीं किया।
क्या एनसीपी में टूट हो सकती है?
खबरों के मुताबिक, एनसीपी में बड़ी टूट हो सकती है क्योंकि अजित पवार गुट के कई विधायक शरद पवार गुट के साथ जाने की तैयारी कर रहे हैं। शरद पवार गुट के विधायक और शरद पवार के पोते रोहित पवार ने दावा किया है कि 22 विधायकों ने अब तक उनके गुट से संपर्क किया है लेकिन पार्टी ने अभी तक उन्हें लेकर कोई फैसला नहीं किया है। पवार ने यह भी कहा कि बीजेपी शायद यह चाहती है कि अजित पवार गुट विधानसभा चुनाव अलग होकर लड़े जिससे वह विपक्ष के वोटों का बंटवारा कर सके।
अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी के सात विधायकों ने शरद पवार गुट के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल से मुलाकात की है और उनके जल्द ही शरद पवार कैंप में लौटने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
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शरद पवार गुट के एक और नेता का कहना है कि लोकसभा चुनाव में उनके गुट को मिली सफलता के बाद अजित पवार गुट में भगदड़ हो सकती है और बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में लौट सकते हैं।
निश्चित रूप से इस तरह की खबरों से कि कई नेता और विधायक अजित पवार के गुट को छोड़कर शरद पवार के गुट की ओर जा सकते हैं, इससे अजित पवार के खेमे में भी हलचल है। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव में किए गए खराब प्रदर्शन की वजह से भी कार्यकर्ता निराश दिखाई दे रहे हैं।
शरद पवार को छोड़कर चले गए थे अजित
एनसीपी में जुलाई, 2023 में बड़ी टूट हुई थी। तब अजित पवार के नेतृत्व में कई विधायक बीजेपी-शिवसेना की अगुवाई में महाराष्ट्र में चल रही सरकार में शामिल हो गए थे। इस साल फरवरी में चुनाव आयोग ने अजित पवार के गुट को असली एनसीपी माना था और उसे एनसीपी का चुनाव चिन्ह घड़ी दिया गया था।
अजित पर भारी पड़ा शरद पवार गुट
अजित पवार की एनसीपी को एनडीए गठबंधन में रहते हुए चार सीटें मिली थी और वह सिर्फ एक सीट जीत सकी थी जबकि शरद पवार की एनसीपी ने 10 सीटों पर चुनाव लड़कर 8 सीटें जीती हैं। निश्चित रूप से शरद पवार गुट का प्रदर्शन अजित पवार गुट के मुकाबले बेहद अच्छा रहा है।
बीते दिनों इस तरह की भी खबरें सामने आई थीं कि नरेंद्र मोदी सरकार में राज्य मंत्री का पद दिए जाने से अजित पवार गुट नाराज है। इस गुट के नेता प्रफुल्ल पटेल ने यह कहकर ऑफर को ठुकरा दिया था कि वह केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं और ऐसे में राज्य मंत्री का पद स्वीकार करना उनका डिमोशन होगा।
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मिलकर चुनाव लड़ेगा महा विकास अघाडी
दूसरी ओर, कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद चंद्र पवार) ने स्पष्ट कर दिया है कि वे महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगे। शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे पहले ही मना कर चुके हैं कि वह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ गए शिवसेना के नेताओं को पार्टी में वापस नहीं लेंगे।
अगर अजित पवार गुट एनडीए से अलग हो जाता है तो क्या वह विपक्ष के वोटों में सेंधमारी करेगा और क्या इससे महा विकास अघाडी को चुनाव में नुकसान होगा?