जहां से कर्पूरी ठाकुर बने सांसद, वहां चल रहा अजीब ही 'खेल', नीतीश के मंत्रियों के बच्चे चुनाव में आमने-सामने, जानिए किसका पलड़ा भारी
बिहार की समस्तीपुर की सीट पर मुकाबला कई मायनों में दिलचस्प हो गया है। यहां से जेडीयू के दो मंत्रियों के बच्चे चुनाव मैदान में हैं। एक तरफ जहां नीतीश सरकार के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को एनडीए के घटक दल लोजपा (रामविलास) से टिकट मिला है तो वहीं एक और मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।
चुनावी पारी की शुरुआत के लिए शांभवी और सन्नी दोनों के लिए ही समस्तीपुर से बेहतर मंच नहीं हो सकता था। इस सीट का प्रतिनिधित्व एक बार महान समाजवादी नेता और दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर ने लोकसभा में किया था। समय भी दोनों के लिए अनुकूल है। बिहार में कुछ महीने पहले ही जाति सर्वेक्षण पूरा हुआ है। और उसके कुछ ही दिनों बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किया था।
कौन हैं सन्नी हजारी?
सन्नी एनआईटी पटना से बी.टेक हैं और एक बिजनेसमैन हैं। सन्नी हजारी अप्रैल में जेडीयू छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। तब यही माना गया था वह लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं, जिसके बाद अब कांग्रेस ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है। सन्नी का अभियान उनकी "स्थानीय" व्यक्ति की छवि पर फोकस करता है। वह अपने दादा, रोसेरा सांसद रामसेवक हजारी की याद दिलाते हुए कहते हैं, “हमेशा याद रखें कि मेरी तीन पीढ़ियों ने आपकी सेवा की है।” बिहार के स्थानीय मीडिया की खबरों के मुताबिक, सन्नी हजारी दिनभर चुनाव प्रचार करते हैं जबकि महेश्वरी हजारी अपने बेटे के चुनाव के सिलसिले में रात को लोगों से मिलते-जुलते हैं।
पूर्व आईपीएस अफसर की बहू हैं शांभवी
वहीं, शांभवी दिल्ली विश्वविद्यालय के एलएसआर कॉलेज से स्नातक, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर्स, और अब 'बिहार की राजनीति में लिंग और जाति की अंतर्विरोधता' पर डॉक्टरेट रिसर्च कर रही हैं। साथ ही, वह पटना में लड़कियों के लिए एक स्कूल की डायरेक्टर हैं। 25 साल की शांभवी चौधरी पूर्व आईपीएस अफसर कुणाल किशोर की बहू हैं। उनके दादा महावीर चौधरी कांग्रेस के बड़े नेता थे और बिहार सरकार में मंत्री भी रहे थे।
शांभवी के अभियान को मजबूती देने वाला एक और फैक्टर महिला मतदाता हैं, जो मोदी सरकार की योजनाओं की सराहना करती हैं। हाल ही में दरभंगा में एक सभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने शांभवी का विशेष उल्लेख करते हुए कहा था कि देश की इस बेटी को अवश्य जीतना चाहिए। शांभवी भी अपने अभियान के दौरान इसका उल्लेख करती हैं।
'शांभवी है तो संभव है' का नारा लगा रहे सपोर्टर
बुधवार को उन्होंने रोसड़ा और समस्तीपुर विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया। रोड शो, सार्वजनिक संवाद और घर-घर जाकर प्रचार करते समय उन्होंने बुजुर्ग महिलाओं से आशीर्वाद लेते हुए कहा, “भगवान ने मुझे सब कुछ दिया है। मैं सांसद बनने के लिए नहीं बल्कि समस्तीपुर की बेटी बनने के लिए चुनाव लड़ रही हूं।” उनके प्रचार के दौरान लगाया जाने वाला नारा 'शांभवी है तो संभव है', "मोदी है तो मुमकिन है" से बहुत अलग नहीं है।
अपने निर्वाचन क्षेत्र की जरूरतों को क्षेत्रवार पूरा करने का दावा करते हुए शांभवी कनेक्टिविटी, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान देने के साथ विकास की बात की। उन्होंने पासवान बहुल इलाकों में भी पड़ाव डाला और वहां महिलाओं से बात की। कांग्रेस उम्मीदवार सन्नी स्थानीय जहां पासवान नेता हैं वहीं, राम विलास पासवान के कारण समुदाय का बड़ा वोट शांभवी को मिलने की उम्मीद है।
शिक्षा पर है शांभवी का फोकस
तो, क्या वह भी चुनाव मैदान में एक और वंशवादी नहीं हैं? इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, इस सवाल पर शांभवी ने कहा, “यह सच है कि मैं तीसरी पीढ़ी की राजनीतिज्ञ हूं। मेरे दादा महावीर चौधरी कांग्रेस के मंत्री थे लेकिन मैं राजनीति में अधिक शिक्षित लोगों की आवश्यकता के बारे में बात कर रही हूं। जो, शासन और सार्वजनिक सेवा की बारीकियों को समझ सकें और लोगों के प्रति अधिक संवेदनशील हों। मेरा मुख्य ध्यान शिक्षा पर है जो अकेले ही सभी समस्याओं का समाधान कर सकती है।"
उनके और सन्नी दोनों के के पिता के बिहार सरकार में सहकर्मी होने पर शांभवी ने कहा, "इस मामले को अनावश्यक रूप से तूल नहीं दिया जाना चाहिए। इस चुनाव का असली मुद्दा पीएम मोदी का मजबूत नेतृत्व है।" शांभवी के अभियान के दौरान उनकी निरंतर साथी मां नीता चौधरी हैं।
दोनों के बीच कड़ा है मुकाबला
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान एक ग्रामीण अवधेश प्रसाद सिंह ने कहा, “हम मौजूदा सांसद प्रिंस राज (चिराग के चचेरे भाई, दूसरे एलजेपी गुट से संबंधित) से खुश नहीं थे। अब जब एनडीए के पास शांभवी के रूप में एक नया उम्मीदवार है तो हम खुश हैं।
एक अन्य ग्रामीण अमित कुमार ने शांभवी को भीड़ को अपने ऊपर हावी न होने देने के प्रति आगाह किया। वह कहते हैं, “शांभवी मोदी फैक्टर के कारण लोकप्रिय हैं लेकिन उन्हें हज़ारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। सन्नी के पिता के अलावा, उनके चचेरे भाई अमन हजारी भी समस्तीपुर में पड़ने वाले एक विधानसभा क्षेत्र से जेडीयू विधायक हैं। छह में से दो समस्तीपुर खंडों का प्रतिनिधित्व सन्नी के रिश्तेदारों द्वारा किए जाने के कारण, स्थानीय कारक भूमिका निभाएंगे।
समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र
समस्तीपुर लोक सभा सीट में छह विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें कुशेश्वर आस्थान (एसएसी), हयाघाट, कल्याणपुर, वारिसनगर, समस्तीपुर और रोसेरा की सीटें आती हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव इन 6 सीटों में से जेडीयू को तीन सीटों पर, बीजेपी को दो सीटों और आरजेडी को एक सीट पर जीत मिली थी।
समस्तीपुर का जातीय समीकरण
समस्तीपुर के 18 लाख से अधिक मतदाताओं में से ओबीसी कुशवाहा और उच्च जाति के मतदाताओं की संख्या 3.5 लाख से अधिक है। इसके बाद 2.75 लाख ओबीसी यादव, 2.5 लाख मुस्लिम और ईबीसी और 2 लाख ओबीसी वैश्य (बनिया) और अनुसूचित जाति के पासवान हैं।
समस्तीपुर लोकसभा चुनाव 2019 परिणाम
लोकसभा चुनाव 2019 में यहां से एलजेपी के राम चंद्र पासवान ने जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के अशोक कुमार को हराया था।
पार्टी | प्रत्याशी | वोट (प्रतिशत) |
एलजेपी | राम चंद्र पासवान | 55.19 |
कांग्रेस | अशोक कुमार | 30.50 |
NOTA | NOTA | 3.48 |
समस्तीपुर लोकसभा चुनाव 2014 परिणाम
लोकसभा चुनाव 2014 में समस्तीपुर से एलजेपी के राम चंद्र पासवान ने जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के अशोक कुमार को हराया था। तीसरे स्थान पर जेडीयू के महेश्वर हजारी थे।
पार्टी | प्रत्याशी | वोट (प्रतिशत) |
एलजेपी | राम चंद्र पासवान | 31.33 |
कांग्रेस | अशोक कुमार | 30.53 |
जेडीयू | महेश्वर हजारी | 23.18 |