पति यूपी में, खुद मोदी सरकार में मंत्री, फिर भी अनुप्रिया पटेल ने एक बार फिर उठाई योगी सरकार पर अंगुली
एनडीए के सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) की प्रमुख और मोदी सरकार में राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल के बदले हुए तेवरों को देखकर इन दिनों हर कोई हैरान है। अनुप्रिया पटेल ने एक हफ्ते के भीतर दो बार अपने बयानों से योगी आदित्यनाथ सरकार को मुश्किल स्थिति में डाल दिया है।
अनुप्रिया पटेल 2016 से मोदी सरकार में मंत्री हैं, उनके पति आशीष पटेल भी योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं लेकिन इससे पहले अनुप्रिया पटेल के ऐसे तेवर कभी देखने को नहीं मिले।
अनुप्रिया पटेल ने कुछ दिन पहले ही एससी, एसटी और ओबीसी के अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी नहीं मिलने का मुद्दा उठाया था। अब उन्होंने उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती का मुद्दा उठाया है।
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अनुप्रिया बोलीं- चुप नहीं बैठूंगी
अनुप्रिया पटेल ने अपना दल के संस्थापक और अपने पिता डॉक्टर सोनेलाल पटेल की जयंती पर योगी सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने उनकी ओर से पिछड़ों और दलितों से जुड़े जितने भी मुद्दे उठाए गए, उन सभी का समाधान हो गया लेकिन उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती का मुद्दा अभी तक नहीं सुलझा है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं की मौजूदगी के बीच जोर-शोर से कहा कि वह पिछड़े-दलितों के मुद्दे पर चुप नहीं बैठेंगी।
बताना होगा कि उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती घोटाला का मामला पिछले कई सालों से जबरदस्त चर्चा में है। यह आरोप है कि इसमें एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को नियमों के मुताबिक आरक्षण नहीं दिया गया है। इसे लेकर उत्तर प्रदेश में पिछड़े और दलित समुदाय के संगठनों ने लंबे वक्त तक आंदोलन भी किया था।
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योगी सरकार को लिखा था पत्र
अनुप्रिया पटेल ने कुछ दिन पहले ओबीसी और एससी एसटी वर्गों से आने वाले अभ्यर्थियों का मामला उठाते हुए योगी सरकार को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार के द्वारा कराई जाने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में केवल इंटरव्यू के द्वारा ही उम्मीदवारों की भर्ती की जाती है और इन वर्गों से आने वाले अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल घोषित कर दिया जाता है। हालांकि योगी आदित्यनाथ सरकार ने अनुप्रिया पटेल के पत्र का जवाब दिया था और उनके आरोपों को गलत बताया था।
पिता ने बनाई थी पार्टी
सोनेलाल पटेल ने 1995 में अपना दल की स्थापना की थी। 2009 में सोनेलाल पटेल की मौत के बाद उनकी पत्नी कृष्णा पटेल पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं और अनुप्रिया पटेल को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। लेकिन कृष्णा पटेल और अनुप्रिया पटेल के बीच पार्टी पर कब्जे को लेकर लड़ाई शुरू हो गई।
अनुप्रिया और कृष्णा पटेल के बीच लड़ाई तब शुरू हुई जब कृष्णा पटेल ने अपनी बड़ी बेटी पल्लवी पटेल को राजनीति के मैदान में उतारा और उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया। अनुप्रिया पटेल ने अपनी मां के फैसले को अवैध करार दिया और यह लड़ाई झगड़ा बढ़ता गया और कृष्णा पटेल ने अनुप्रिया पटेल को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से हटा दिया।
इसके बाद अपना दल दो धड़ों में बंट गया। अनुप्रिया पटेल के धड़े का नाम अपना दल (सोनेलाल) जबकि कृष्णा पटेल की अगुवाई वाले धड़े का नाम अपना दल (कमेरावादी) है।
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2012 में विधायक, 2016 में केंद्रीय मंत्री बनीं अनुप्रिया
अनुप्रिया पटेल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से की थी। तब वह वाराणसी की रोहनिया विधानसभा सीट से 17000 वोटों के अंतर से चुनाव जीती थीं। 2014 में अपना दल ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया और लोकसभा के चुनाव में मिर्जापुर और प्रतापगढ़ सीट से जीत हासिल की। अनुप्रिया मिर्जापुर सीट से चुनाव जीत गईं और 2016 में वह पहली बार केंद्र सरकार में मंत्री बनीं।
अनुप्रिया पटेल ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 9 सीटों पर जीत हासिल की। अनुप्रिया पटेल ने बीजेपी के साथ मिलकर 2017 का उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लड़ा और पार्टी को 9 सीटों पर जीत मिली। 2018 में उनके पति आशीष पटेल को भाजपा के समर्थन से उत्तर प्रदेश में विधान परिषद का सदस्य बनाया गया।
2019 के लोकसभा चुनाव में भी अपना दल (सोनेलाल) को मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज सीट पर जीत मिली और अनुप्रिया पटेल फिर से मोदी कैबिनेट में मंत्री बनीं।
2022 के विधानसभा चुनाव में अपना दल (सोनेलाल) ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की और बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ते हुए 12 सीटों पर जीत हासिल की। मौजूदा वक्त में पार्टी के पास 13 विधायक हैं।
चुनाव नतीजों के बाद अनुप्रिया पटेल के पति और अपना दल (सोनेलाल) के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल को योगी आदित्यनाथ की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।
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यूपी में 7.46% है कुर्मी समुदाय की आबादी
2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह द्वारा गठित एक सामाजिक न्याय समिति ने अनुमान लगाया था कि यूपी में ओबीसी की आबादी 43.13% है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि ओबीसी में यादव 19.4% और कुर्मी 7.46% हैं। मिर्ज़ापुर, वाराणसी, चंदौली, भदोही, सोनभद्र, प्रयागराज, कौशांबी, प्रतापगढ़, बरेली, फर्रुखाबाद, बाराबंकी, बहराईच, लखीमपुर खीरी, कानपुर, उन्नाव, बांदा और चित्रकूट जैसे जिलों में कुर्मी समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है।
ओबीसी वोट बैंक में लगी सेंध
उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि भाजपा के ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगी है जबकि पार्टी ने पूर्वांचल में ओबीसी चेहरे दारा सिंह चौहान और ओमप्रकाश राजभर को राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया था और पश्चिम में राष्ट्रीय लोकदल को अपने साथ जोड़ा था। संजय निषाद और अनुप्रिया पटेल के रूप में उसके साथ पहले से ही ओबीसी नेता हैं।
इंडिया गठबंधन ने चुनाव में ओबीसी की हिस्सेदारी और भागीदारी को मुद्दा बनाया था।
अनुप्रिया पटेल ने अपने हालिया बयानों से यह साफ-साफ संकेत दिया है कि वह मोदी सरकार के साथ रहते हुए एससी-एसटी और ओबीसी वर्गों की आवाज को उठाती रहेंगी। लेकिन इससे बीजेपी को कितनी परेशानी होगी और पार्टी इसे किस तरह हैंडल करेगी, यह उत्तर प्रदेश में आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा।