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अग्‍न‍िपथ योजना: अग्‍न‍िवीर को पूर्व आर्मी चीफ के बाद पूर्व नौसेना प्रमुख ने भी बताया गलत- कांग्रेस का मोदी सरकार पर फ‍िर हमला

सेना में नियमित सैनिक और अग्निवीर के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि सैनिक को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलती है जबकि अग्निवीर को नहीं।
Written by: shrutisrivastva
नई दिल्ली | July 05, 2024 16:56 IST
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (Source- PTI)
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अग्‍न‍िपथ योजना के तहत अग्‍न‍िवीर नाम से फौज में की जाने वाली भर्ती को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर फ‍िर हमला बोला है। कांग्रेस ने पूर्व नौसेना प्रमुख के हवाले से मोदी सरकार पर न‍िशाना साधा है।

सोशल मीड‍िया पर पूर्व नौसेना प्रमुख एडम‍िरल केबी स‍िंंह के हवाले से चलाई गई एक खबर की क्‍ल‍िप शेयर हो रही है। इसके मुताब‍िक पूर्व एडम‍िरल केबी स‍िंंह ने कहा क‍ि अग्निपथ को चलाने के पीछे एकमात्र कारण पेंशन लोड को कम करना है। तथ्य यह है कि यह योजना युद्ध की प्रभावशीलता को कम कर देगी, यह उन सभी को पता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा को समझते हैं।

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इस खबर को शेयर करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ल‍िखा क‍ि पहले पूर्व सेना अध्‍यक्ष नरवाने ने अपने संस्‍मरण में ल‍िखा क‍ि अग्‍न‍िपथ योजना सेना के पास एक सरप्राइज के तौर पर आई थी और अब पूर्व नौसेना प्रमुख ने भी पुष्‍ट‍ि की है क‍ि अग्‍न‍िवीरों की भर्ती सेना की युद्ध क्षमता को कम करेगी।

पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश के अग्निवीर पर किए गए एक पोस्ट के जवाब में केबी सिंह नाम के एक्‍स अकाउंट से गुरुवार को लिखा गया था, "अग्निपथ को चलाने के पीछे एकमात्र कारण पेंशन लोड को कम करना है। तथ्य यह है कि यह योजना युद्ध की प्रभावशीलता को कम कर देगी, यह उन सभी को पता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा को समझते हैं।”

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वहीं, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) कुलदीप सिंधु भी उनसे सहमत दिखे। उन्होंने भी जवाब में कहा कि इससे उन्हें दो प्रतिष्ठित अमेरिकी सीनेटरों के संक्षिप्त भाषणों की याद आ गई, "अगर हम अपनी सेना को उचित रूप से सुसज्जित और भुगतान नहीं कर सकते, तो उन्हें युद्ध में न भेजें और मुझे मत बताएं कि हमारे पास पैसा नहीं है। जब हमारे लोग पस्त, घायल और अपंग होकर घर लौटें तो उनका इलाज करें या उन्हें सम्मानजनक जीवन प्रदान करें।"

सशस्त्र बलों में सैनिकों की भर्ती के लिए शुरू की गयी अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) को लेकर विपक्षी दल लगातार केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल उठा रही है। लोकसभा में भी हाल ही में इसे लेकर काफी बहस हुई। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में अग्निवीर (Agniveer) भर्ती को लेकर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला था। जिसके बाद उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी कर केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था।

पूर्व सैनिकों ने भी जताई अग्निपथ योजना पर आपत्ति

एडमिरल प्रकाश के ट्वीट पर उन्हें जवाब देते हुए सैन्यकर्मी सचिन पवार ने कहा, “कुछ भी नहीं बदलेगा सर, जब तक कि तीनों प्रमुख आगे नहीं बढ़ेंगे और अग्निवीर में बदलाव की मांग नहीं करेंगे, जो सेनाओं को इससे निपटने में मदद कर सकता है। यह बिल्कुल स्पष्ट है कि यह योजना सशस्त्र बलों के लिए हानिकारक है।”

राहुल गांधी ने शेयर किया था अग्निवीर के पिता का वीडियो

पूर्व नौसेना प्रमुख का यह बयान उस समय सामने आया है जब एक दिन पहले ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक अग्निवीर के पिता का वीडियो जारी किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि जनवरी में जम्मू-कश्मीर के नौशेरा में एक बारूदी सुरंग विस्फोट में उनके बेटे के मारे जाने के बाद परिवार को केंद्र से कोई मुआवजा या मदद नहीं मिली है।

पंजाब में चुनाव प्रचार के दौरान अजय के माता-पिता से मिलने के बाद राहुल अक्सर उनके बारे में बात करते रहे हैं। उन्होंने इस सप्ताह की शुरुआत में संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर विपक्ष के नेता के रूप में बोलते हुए अग्निवीर का उल्लेख किया था।

राहुल का आरोप- परिवार को नहीं मिला मुआवजा

राहुल ने परिवार के हवाले से कहा कि उन्हें सरकार से कोई मुआवजा नहीं मिला है। जिसके बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को यह स्पष्ट करना पड़ा कि कार्रवाई में मारे गए अग्निवीरों को मुआवजे के रूप में 1 करोड़ रुपये दिए जाते हैं।

सेना ने दी सफाई

जिसके बाद बुधवार की देर रात, सेना ने एक्स पर एक पोस्ट डाला जिसमें कहा गया, “कुल देय राशि में से, अग्निवीर अजय के परिवार को पहले ही 98.39 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है। अग्निवीर योजना के प्रावधानों के अनुसार लागू लगभग 67 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और अन्य लाभ, पुलिस सत्यापन के तुरंत बाद अंतिम खाता निपटान पर भुगतान किए जाएंगे। कुल राशि लगभग 1.65 करोड़ होगी। इस बात पर फिर से जोर दिया गया है कि शहीद को मिलने वाली सहायता अग्निवीरों सहित दिवंगत सैनिकों के निकटतम परिजनों को शीघ्रता से दी जाती हैं।"

कांग्रेस के पूर्व सैनिक विभाग के अध्यक्ष कर्नल रोहित चौधरी (सेवानिवृत्त) को संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के "आधे सच" को चुनौती देने के लिए मैदान में उतारा गया था। जिस पर चौधरी ने कहा था कि यह मुद्दा सिर्फ अजय से संबंधित नहीं है (जो जनवरी में जम्मू-कश्मीर में एक बारूदी सुरंग विस्फोट में मारे गए थे) बल्कि उन सभी 13 अग्निवीरों से संबंधित है, जो पिछले साल जून में योजना के शुरू होने के बाद से मारे गए थे।

कांग्रेस ने की अग्निपथ भर्ती योजना पर 'श्वेत पत्र' की मांग

कांग्रेस ने 4 जुलाई को सशस्त्र बलों के लिए अग्निपथ भर्ती योजना पर 'श्वेत पत्र' की मांग की। एआईसीसी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, कर्नल (सेवानिवृत्त) रोहित चौधरी ने कहा कि देश के लिए जमीनी हकीकत को समझने के लिए श्वेत पत्र आवश्यक है जिसमें अग्निपथ योजना का पूरा ब्योरा दिया जाये।

वहीं, अग्निवीर को लेकर हो रहे विवाद के बीच भाजपा लोकसभा सांसद कंगना रनौत ने अग्निपथ योजना के समर्थन में पोस्ट किया है। हिमाचल प्रदेश के मंडी से सांसद कंगना ने लिखा है कि सेना में थोड़े समय के लिए भी सेवा देना काफी है। काश मुझे भी ऐसा मौका मिला होता।

अग्निपथ योजना के तहत क्या मिलते हैं लाभ?

भारत सरकार द्वारा जून 2022 में शुरू की गई अग्निपथ योजना के तहत चार साल की अवधि के लिए सशस्त्र बलों में अग्निवीरों की भर्ती की जाती है। अग्निपथ योजना के नियमों में साफ लिखा है कि 4 साल की नौकरी खत्म होने के बाद अग्निवीर को ग्रेचुइटी, स्वास्थ्य योजना या अन्य कोई सुविधा नहीं मिलेगी, जो पूर्व सैनिकों को मिलती है। इसके अलावा भारतीय सेना की वेबसाइट पर भी ये साफ लिखा है कि मृत्यु के बाद अग्निवीर को पेंशन भी नहीं मिलेंगी, जो भारतीय सेना के नियमों के तहत दी जाती है।

अग्निवीर का वेतन 30,000 रुपये से 40,000 रुपये प्रति माह है। इसके साथ ही वो जोखिम और कठिनाई भत्ते के हकदार हैं। इस योजना में एक सेवा निधि पैकेज भी है, जिसके तहत अग्निवीर 30% योगदान करते हैं और सरकार भी उतनी ही राशि का योगदान करती है। चार साल पूरे होने पर उन्हें पैकेज से लगभग 11.71 लाख रुपये (ब्याज सहित) मिलेंगे और इस पर टैक्स से छूट मिलेगी।

ड्यूटी के दौरान शहीद होने वाले अग्निवीर को 48 लाख रुपए का बीमा कवर और 44 लाख रुपए मुआवजा मिलता है। इसके अलावा 4 साल में से जवान की जितनी नौकरी बची है, उतना वेतन भी परिवार को दिया जाता है। शहीद जवान के सेवा निधि फंड में जितनी राशि जमा हुई है, उसके साथ ही सरकार की तरफ से दिया गया योगदान और ब्याज भी मिलाकर परिवार को दिया जाता है।

ड्यूटी के दौरान विकलांग होने वाले अग्निवीर को मुआवजा

नियम के मुताबिक, ड्यूटी के दौरान विकलांग होने वाले अग्निवीर को विकलांगता के प्रतिशत के हिसाब से मुआवजा दिया जाता है, जो 15 लाख/25 लाख/45 लाख रुपए तक हो सकता है। इसके साथ ही विकलांग सैनिक को सेवा निधि फंड में जमा हुई धनराशि, उसका ब्याज और सरकार का योगदान मिलाकर राशि और बची हुई सर्विस का पूरा वेतन भी दिया जाता है।

वहीं, अगर अग्निवीर की सर्विस बची है पर उसकी मौत ड्यूटी के दौरान नहीं हुई है तो केवल 48 लाख रुपए का बीमा कवर और सेवा निधि फंड में सरकार का योगदान मिलाकर ब्याज सहित जवान के परिवार को दिया जाता है।

सेना के सामान्य सैनिक और अग्निवीर में अंतर

सेना में नियमित सैनिक और अग्निवीर के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि सैनिक को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलती है जबकि अग्निवीर को नहीं। हालांकि, अग्निवीरों में से 25% जो चार साल के बाद सेना में शामिल हो जाएंगे उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन मिलेगी। युद्ध में घायल होने की स्थिति में एक नियमित सैनिक के परिवार को फैमिली पेंशन मिलती है, जो उसे मिलने वाले अंतिम वेतन के बराबर होती है। इस राशि पर कोई टैक्स भी नहीं लगता है। वहीं, अग्निवीर के परिवार को केवल 48 लाख रुपये की बीमा राशि मिलती है।

क्या है अग्निपथ योजना?

अग्निपथ योजना चार साल के कांट्रैक्ट पर सेना, नौसेना और भारतीय वायु सेना में भर्ती के लिए जून 2022 में शुरू की गई थी। 6 महीने की ट्रेनिंग के बाद चार साल के अंत में 25% तक अग्निवीरों को नियमित आधार पर सेवाओं में शामिल किया जाएगा। सरकार ने इस दौरान कहा था कि इस योजना का उद्देश्य सेवारत सैनिकों की औसत आयु को कम करके सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती सुनिश्चित करना है।

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