Agnipath Scheme: युवाओं पर भारी पड़ रही अग्निपथ योजना, सुधार के लिए तैयार होगी सरकार?
सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना की वजह से राजस्थान के बाड़मेर में एक युवक की सगाई टूट गई। दैनिक भास्कर के मुताबिक, बाड़मेर का रहने वाला सुरेंद्र सीकर में एक एकेडमी में रहकर एनडीए की तैयारी कर रहा था। इसी दौरान उसकी सगाई हो गई। सगाई के बाद अग्निपथ योजना में भर्ती निकली तो एयरफोर्स में उसका चयन हो गया।
सुरेंद्र ने जैसे ही एयरफोर्स ज्वाइन की लड़की वालों ने सगाई तोड़ दी। उनका कहना था कि एयरफोर्स से आने के बाद लड़का क्या करेगा। दैनिक भास्कर के मुताबिक सुरेंद्र के परिवार वालों ने लड़की वालों को बहुत समझाया लेकिन वे नहीं माने।
दैनिक भास्कर ने यह भी बताया है कि राजस्थान के शेखावाटी इलाके में सेना में भर्ती की तैयारी कराने वाली आधी से ज्यादा एकेडमी बंद हो गई हैं। शेखावाटी से बड़ी संख्या में युवा सेना में भर्ती होते हैं।
विपक्ष ने बनाया था बड़ा मुद्दा
अग्निपथ योजना को विपक्षी दलों ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बड़ा मुद्दा बनाया था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी चुनावी जनसभाओं में कई बार कहा था कि अगर इंडिया गठबंधन सत्ता में आता है तो अग्निपथ योजना को तुरंत बंद कर दिया जाएगा।
विपक्ष के लगातार विरोध के बीच मोदी सरकार अग्निपथ योजना में कुछ संशोधन करने की तैयारी कर रही है।
मोदी सरकार ने जून 2022 में अग्निपथ योजना को लांच किया था।
कई राज्यों में हुआ था विरोध
भारत में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड से बड़ी संख्या में युवा सेना में भर्ती होने के लिए लंबे वक्त तक तैयारी करते हैं। लेकिन जब अग्निपथ योजना के तहत सेना में भर्ती के लिए 4 साल की नौकरी का प्रावधान किया गया तो इसके खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए।
केंद्र में तीसरी बार सरकार बनाने के बाद एनडीए के ही सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने इस योजना में सुधार किए जाने की वकालत की थी।
क्या है अग्निपथ योजना?
अग्निपथ योजना के तहत सेना की तीनों शाखाओं (आर्मी, एयरफोर्स, नेवी) में ऑफ़िसर रैंक से नीचे चार साल की अवधि के लिए जवानों की भर्ती की जाती है। इस योजना के तहत सशस्त्र बलों में भर्ती होने वाले जवानों को अग्निवीर का नाम दिया गया है। यह कहा गया था कि चार साल के बाद 25% अग्निवीर ही सेना में रहेंगे और ये अगले 15 साल तक सेना में नौकरी कर सकेंगे। अग्निवीर बनने के लिए युवाओं की उम्र सीमा 17.5 वर्ष से 23 वर्ष रखी गई है। पहले अधिकतम सीमा 21 वर्ष थी लेकिन बाद में इसे बढ़ा दिया गया था।
अग्निवीरों को प्रति माह 30,000 से 40,000 रुपये का वेतन मिलता है और इसके साथ ही कुछ भत्ते भी दिए जाते हैं।
इस योजना के सामने आने के बाद देश के कई राज्यों में इसके विरोध में जबरदस्त हिंसक प्रदर्शन हुए थे।
अग्निपथ योजना में हो सकता है सुधार
एनडीए में शामिल दलों की ओर से इस पर विचार करने की बात के बाद यह खबर सामने आई है कि अग्निपथ योजना में कुछ जरूरी और अहम संशोधन किए जा सकते हैं। इस संबंध में सेना की ओर से सरकार को कुछ सिफारिशें भेजी जा सकती हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जहां पहले भर्ती होने वाले युवाओं में से 25% ही सेना में बने रह सकते थे, इसे अब नियमित सैनिकों के लिए बढ़ाकर 60 से 70% तक किया जा सकता है। इसके अलावा विशेष बलों सहित तकनीकी और विशेषज्ञ सैनिकों के लिए यह सीमा 75% की जा सकती है।
अग्निपथ योजना के आने से पहले सेना में ट्रेनिंग पीरियड 37-42 हफ्ते का था लेकिन इस योजना के सामने आने के बाद इसे हटाकर 24 हफ्ते का कर दिया गया था। सेना को इस संबंध में जो फीडबैक मिला है, उससे पता चला है कि इसका ट्रेनिंग पर खराब असर पड़ा है। सेना इस बारे में विचार कर रही है कि ट्रेनिंग पीरियड को फिर से बढ़ाया जाए।
इसके अलावा अग्निपथ योजना में जो 4 साल का वक्त है उसे भी बढ़ाकर 7 वर्ष करने पर विचार चल रहा है। इससे सेना से निकलने वाले जवानों को ग्रेच्युटी मिलने में भी फायदा होगा और उन्हें एक्स सर्विसमैन को मिलने वाले सभी फायदे मिलेंगे।
1.75 लाख अग्निवीर होंगे भर्ती
सेना में 40,000 अग्निवीरों के दो बैच का प्रशिक्षण पूरा हो गया है। 20,000 अग्निवीरों के तीसरे बैच का प्रशिक्षण नवंबर 2023 में शुरू हुआ था। नौसेना में 7,385 अग्निवीरों के तीन बैच का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है। भारतीय वायुसेना में भी 4,955 अग्निवीर वायु प्रशिक्षुओं का प्रशिक्षण पूरा हो गया है।
सूत्रों के मुताबिक, 2022 से 2026 के बीच करीब 1.75 लाख अग्निवीरों की भर्ती होने की उम्मीद है।
मोदी सरकार के दफ्तर में बनाई गई है योजना: राहुल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि अग्निपथ योजना भारतीय सेना और ऐसे युवा, जो सेना में जाना चाहते हैं उनका सीधे तौर पर अपमान है। यह योजना भारतीय सेना की नहीं है बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दफ्तर में बनाई गई है और इसे सेना पर थोप दिया गया है। राहुल का कहना था कि देश के लिए शहीद होने वाले जवानों को अलग-अलग करके नहीं आंका जा सकता और देश के लिए शहीद होने वाले हर शख्स को शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए।