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UP bypolls: लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद उपचुनाव में जीत के लिए जोर लगाएगी बीजेपी, सपा भी मुकाबले को तैयार

10 सीटों का उपचुनाव एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए ही बेहद अहम है।
Written by: Maulshree Seth
नई दिल्ली | Updated: June 30, 2024 14:35 IST
up bypolls  लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद उपचुनाव में जीत के लिए जोर लगाएगी बीजेपी  सपा भी मुकाबले को तैयार
लोकसभा के नतीजों के बाद बेहद अहम है उपचुनाव। (Source- PTI)
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लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में सियासी जंग होगी। 10 में से 9 सीटें विधायकों के सांसद चुने जाने की वजह से जबकि एक सीट सीसामऊ के सपा विधायक इरफान सोलंकी को अयोग्य ठहराए जाने की वजह से खाली हुई है।

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लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद इन 10 सीटों पर होने वाला उपचुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। राज्य में सरकार चला रही भाजपा की अगुवाई वाला एनडीए और समाजवादी पार्टी की अगुवाई वाला इंडिया गठबंधन उपचुनाव को लेकर अपनी-अपनी रणनीति तैयार करने में जुटे हैं।

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लोकसभा में इंडिया आगे, एनडीए पीछे

80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 33 सीटों पर जीत मिली है जबकि उसकी सहयोगी आरएलडी ने दो और अपना दल (सोनेलाल) ने एक सीट जीती है। समाजवादी पार्टी ने 37 और इंडिया गठबंधन में ही शामिल कांग्रेस ने 6 सीटों पर जीत हासिल की है।

जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें से 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने 5 सीटें जीती थी जबकि तीन सीटें बीजेपी और एक सीट उसके सहयोगी दलों- निषाद पार्टी और आरएलडी ने जीती थी।

इस उपचुनाव में बीजेपी के सहयोगी दल और कांग्रेस भी कुछ सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं।

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Yogi Adityanath Akhilesh Yadav
सपा प्रमुख अखिलेश यादव और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

आईए जानते हैं कि ये 10 विधानसभा सीटें कौन सी हैं और इन पर चुनावी समीकरण क्या हैं।

करहल से जीते थे अखिलेश यादव

करहल विधानसभा सीट से 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव को जीत मिली थी। तब उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार एसपी सिंह बघेल को हराया था। एसपी सिंह बघेल इस बार आगरा संसदीय सीट से चुनाव जीते हैं। करहल समाजवादी पार्टी का गढ़ है और सपा यहां 1990 की शुरुआत से ही चुनाव जीत रही है।

सपा को पूरी उम्मीद है कि वह इस सीट पर फिर से जीत हासिल करेगी। माना जा रहा है कि पार्टी यहां से अखिलेश यादव के परिवार के किसी सदस्य को उम्मीदवार बना सकती है। बीजेपी भी यहां सपा को चुनौती देने के लिए पूरी तैयारी कर रही है।

मिल्कीपुर में सपा-बीजेपी के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई

मिल्कीपुर विधानसभा सीट अयोध्या जिले में पड़ती है और यह समाजवादी पार्टी के विधायक अवधेश प्रसाद के फैजाबाद (अयोध्या) लोकसभा सीट से चुनाव जीतने की वजह से खाली हुई है। 2022 के विधानसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के उम्मीदवार बाबा गोरखनाथ को शिकस्त दी थी।

बीजेपी के लिए फैजाबाद (अयोध्या) लोकसभा सीट का चुनाव नतीजा बेहद हैरान करने वाला रहा है। यहां से पार्टी के उम्मीदवार लल्लू सिंह 54,567 वोटों से चुनाव हारे हैं। बीजेपी को उम्मीद थी कि राम मंदिर के निर्माण और अयोध्या के आसपास बुनियादी ढांचे को लेकर जो काम हुए हैं, उससे वह लोकसभा चुनाव में इस सीट को बड़े अंतर से जीतेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

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चुनाव में नहीं चला राम मंदिर का मुद्दा? (Source-PTI)

मिल्कीपुर सीट पर बीजेपी और सपा के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई होने जा रही है। सपा को उम्मीद है कि वह फिर से मिल्कीपुर सीट पर जीत हासिल करेगी जबकि बीजेपी ने भी इस सीट को सपा से छीनने के लिए अपनी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।

खैर से पिछले दो चुनाव जीती है बीजेपी

खैर विधानसभा सीट अलीगढ़ जिले में है और यह सीट यहां से दो बार विधायक रहे और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री अनूप प्रधान वाल्मीकि के सांसद चुने जाने की वजह से खाली हुई है।

अनूप प्रधान वाल्मीकि हाथरस लोकसभा सीट से चुनाव जीते हैं। बीजेपी के अलावा आरएलडी और बीएसपी की भी इस सीट पर अच्छी मौजूदगी रही है।

अलीगढ़ लोकसभा सीट पर इस बार फिर से बीजेपी के उम्मीदवार सतीश कुमार गौतम चुनाव जीते हैं लेकिन सपा के उम्मीदवार बृजेंद्र सिंह ने उन्हें जोरदार टक्कर दी थी और गौतम सिर्फ 15,647 वोटों से ही चुनाव जीत पाए।

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फैजाबाद (अयोध्या) में हार बीजेपी के लिए बड़ा झटका है। (Source-PTI)

मीरापुर में जीती थी आरएलडी

मीरापुर विधानसभा सीट मुजफ्फरनगर जिले में है और बिजनौर लोकसभा सीट का हिस्सा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में आरएलडी के टिकट पर लड़े चंदन चौहान यहां से चुनाव जीते थे। तब आरएलडी का सपा के साथ गठबंधन था।

चंदन चौहान ने बीजेपी के उम्मीदवार प्रशांत चौधरी को हराया था।

2024 के लोकसभा चुनाव में चंदन चौहान बिजनौर लोकसभा सीट से चुनाव जीते हैं। उन्होंने सपा के उम्मीदवार दीपक सैनी को 37000 वोटों से हराया है। कांग्रेस की नजर मीरापुर सीट पर है जबकि समाजवादी पार्टी भी लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन को आधार बनाते हुए इस पर दावा कर रही है।

कुंदरकी में अल्पसंख्यक मतदाता निर्णायक

कुंदरकी विधानसभा सीट मुरादाबाद जिले में है लेकिन यह संभल लोकसभा सीट का हिस्सा है। यहां से सपा विधायक जिया उर रहमान लोकसभा चुनाव में संभल सीट से सांसद चुने गए हैं। संभल की तरह ही कुंदरकी विधानसभा सीट भी सपा का गढ़ है।

पिछले चुनाव में संभल लोकसभा सीट से सपा के वरिष्ठ नेता शफीकुर रहमान बर्क जीते थे। जिया उर रहमान शफीकुर रहमान बर्क के पोते हैं। जियाउर रहमान ने बीजेपी के उम्मीदवार परमेश्वर लाल सैनी को चुनाव में हराया था। इस सीट पर अल्पसंख्यक मतदाताओं की अच्छी-खासी आबादी है।

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बीजेपी में नहीं थम रही रार। (Source-PTI)

गाजियाबाद सदर: उम्मीदवार उतारना चाहती है कांग्रेस

गाजियाबाद सदर की विधानसभा सीट यहां से बीजेपी के स्थानीय विधायक अतुल गर्ग के गाजियाबाद लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने की वजह से खाली हुई है। अतुल गर्ग ने 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से सपा के उम्मीदवार विशाल वर्मा को हराया था। अतुल गर्ग ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार डॉली शर्मा को शिकस्त दी थी।

गाजियाबाद लोकसभा सीट से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री वीके सिंह भी लोकसभा पहुंचे थे। बीजेपी फिर से इस सीट को जीतने की तैयारी कर रही है जबकि कांग्रेस को उम्मीद है कि वह यहां अपना उम्मीदवार उतारने में कामयाब होगी।

फूलपुर: बीजेपी-सपा में होगी कांटे की टक्कर

प्रयागराज जिले में आने वाली फूलपुर विधानसभा सीट बीजेपी के विधायक रहे प्रवीण पटेल के फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने की वजह से खाली हुई है। इस सीट पर बीजेपी और सपा के बीच बेहद नजदीकी मुकाबला रहा था और सपा के उम्मीदवार अमरनाथ मौर्या सिर्फ 4000 वोटों से चुनाव हारे थे।

सपा को उम्मीद है कि अपने इस प्रदर्शन के आधार पर वह उपचुनाव में फूलपुर की सीट को बीजेपी से छीन लेगी। बीजेपी भी यहां मजबूत उम्मीदवार की तलाश कर रही है।

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नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ (Source- PTI)

2022 में मझवां से जीती थी निषाद पार्टी

मझवां विधानसभा सीट मिर्जापुर जिले में है और 2022 में यहां से निषाद पार्टी के विधायक विनोद कुमार बिंद चुनाव जीते थे। बिंद इस बार भदोही लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर सांसद चुने गए हैं।

2017 में बीजेपी इस विधानसभा सीट पर चुनाव जीती थी। लोकसभा चुनाव में सपा को इस इलाके में अति पिछड़ी जातियों जैसे- बिंद आदि का समर्थन मिला था। इस विधानसभा सीट पर अति पिछड़ी जाति के मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है।

कटेहरी से जीते लालजी वर्मा बने सांसद

कटेहरी विधानसभा सीट अंबेडकर नगर जिले में है। 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से सपा के विधायक लालजी वर्मा को जीत मिली थी। लालजी वर्मा इस बार अंबेडकर नगर से चुनाव जीते हैं। उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार रितेश पांडे को हराया है।

1990 के बाद से ही बसपा या सपा को इस सीट पर जीत मिलती रही है। बीएसपी की भी इस इलाके में अच्छी उपस्थित है लेकिन लोकसभा चुनाव में उसके उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे।

सपा को उम्मीद है कि वह यहां कांग्रेस के समर्थन के चलते दलित वोटों के एक हिस्से को अपनी ओर ला सकती है।

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(बाएं से दाएं) मोहन भागवत और पीएम मोदी (Source- PTI)

सीसामऊ में कांग्रेस ठोक सकती है दावा

सीसामऊ विधानसभा सीट कानपुर जिले में है। 2022 के चुनाव में सपा के टिकट पर जीते इरफान सोलंकी को आगजनी के एक मामले में 7 साल कैद की सजा सुनाई गई है। सोलंकी को विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया है।

कानपुर लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी को कांग्रेस से बेहद नजदीकी मुकाबले में जीत मिली है। इससे कांग्रेस को नई ऊर्जा मिली है और वह सीसामऊ सीट पर अपना दावा ठोक सकती है।

इरफान सोलंकी तीन बार सपा के टिकट पर विधायक रहे हैं लेकिन उससे पहले कांग्रेस यहां दो बार चुनाव जीत चुकी है। बीजेपी की भी इस इलाके में अच्छी उपस्थिति है।

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