यासीन मलिक को NIA ने बताया ओसामा बिन लादेन जैसा तो दिल्ली हाईकोर्ट को आया गुस्सा, जानिए क्या बोले जस्टिस
कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को फांसी की सजा देने की मांग करते हुए NIA ने उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी ओसामा बिन लादेन जैसा बताया तो दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच ने तीखी आपत्ति दर्ज कराई। हाईकोर्ट का कहना था कि आप लादेन से यासीन मलिक की तुलना नहीं कर सकते। अदालत का कहना था कि यासीन मलिक ने हमेशा कोर्ट का सामना किया जबकि लादेन कभी भी अदालत के सामने पेश नहीं हुआ।
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस तलवंत सिंह और जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता की उस दलील पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे जिसमें मेहता ने कहा कि बड़ी चालाकी से यासीन मलिक ने फांसी की सजा को टाल दिया। वो अपने गुनाह को कबूल कर लेता है। इसके बाद अदालत उसे फांसी की सजा देने से गुरेज करती है। मेहता का कहना था कि ऐसे तो आतंकी वारदात को अंजाम देंगे और फिर पकड़े जाने पर अपना गुनाह कबूल कर लेंगे। आतंकी ने अपना गुनाह खुद कबूल कर लिया इसलिए अदालत उसे उम्र कैद की सजा सुनाकर मामले को निपटा देती हैं।
ट्रायल कोर्ट ने भी एनआईए की ऐसी ही मांग को सिरे से कर दिया था खारिज
तुषार मेहता का कहना था कि ओसामा बिन लादेन को भी अगर पकड़ा जाता तो वो भी यासीन मलिक के अंदाज में कोर्ट के सामने अपना गुनाह मान लेता और बड़े आराम से फांसी की सजा से बच जाता। कोर्ट ने तुषार मेहता की बात पर तीखा एतराज जताकर खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने NIA की अपील पर यासीन मलिक को नोटिस भेजा है जिससे वो अपना पक्ष रख सके। यासीन को नोटिस जेल अधीक्षक के जरिये भेजा गया है। मामले की अगली सुनवाई अगस्त में की जाएगी। इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने भी एनआईए की ऐसी ही मांग को सिरे से खारिज कर दिया था।
यासीन को स्पेशल कोर्ट ने टेरर फंडिंग के केस में सुनाई थी उम्र कैद की सजा
यासीन मलिक को एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने टेरर फंडिंग के केस में मई 2022 को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। मलिक को आईपीसी के सेक्शन 120B, 121, 121A ,120B के साथ UAPA के सेक्शन 13, 15, 17, 18, 20, 38 और 39 के तहत दोषी ठहराया गया था। इस मामले में यासीन ने खुद अपना गुनाह कबूल कर लिया था। हालांकि उसने 1994 के बाद से खुद को गांधीवादी बताया था लेकिन कोर्ट ने उसकी दलील को खारिज कर दिया।