कौन थे ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी जिनकी हेलिकॉप्टर हादसे में हुई मौत? जानें अमेरिका ने क्यों लगाया था बैन
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर हादसे में मौत हो गई है। वह विदेश मंत्री हुसैन अमीराब्दुल्लाहियन के साथ अजरबैजान जा रहे थे। इस हादसे में सभी लोगों की मौत हो गई है। रईसी अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव के साथ एक डैम का उद्घाटन करने के लिए अजरबैजान में थे। यह तीसरा बांध (डैम) है, जिसे दोनों देशों ने अरास नदी पर बनाया है। जब अजरबैजान से रईसी लौट रहे थे, तभी उनका हेलिकॉप्टर बेल 212 क्रैश हो गया।
कौन थे इब्राहिम रईसी?
इब्राहिम रईसी का जन्म उत्तरी पूर्वी ईरान के मशहद शहर में 1960 में हुआ था। उनके पिता एक मौलवी थे। रईसी के जन्म के पांच साल बाद ही उनके पिता का देहांत हो गया। रईसी 15 साल की उम्र से ही कोम शहर में स्थित एक शिया संस्थान में पढ़ाई शुरू कर दी थी। छात्र जीवन से ही इब्राहिम रईसी का राजनीति और धर्म की तरफ झुकाव ज्यादा था। जिस कारण शुरूआती छात्र जीवन में ही उन्होंने पश्चिमी देशों से समर्थित मोहम्मद रेजा शाह के खिलाफ आंदोलन करने सड़क पर उतर आए। राजनीति में रईसी कम उम्र में ही अच्छे पद पर पहुंच गए।
कैसा रहा इब्राहिम का छात्र जीवन?
छात्र जीवन से ही राजनीति में काफी चर्चित रहने वाले इब्राहिम ने जब मोहम्मद रेजा के खिलाफ आंदोलन किया तो अयातोल्ला रूहोल्ला खुमैनी ने इस्लामिक क्रांति के तहत 1979 में मोहम्मद रेजा शाह को सत्ता से बेदखल कर दिया। उसके बाद 1981 में अयातोल्ला रूहोल्ला खुमैनी ईरान के राष्टपति बने। इसके बाद बाद इब्राहिम ने न्यायपालिका में काम करना शुरू कर दिया। एक वकील के तौर पर कई शहरों में काम करने के दौरान उन्हें ईरानी गणतंत्र के संस्थापक और राष्ट्रपति अयातोल्ला रूहोल्ला खुमैनी से प्रशिक्षण भी मिल रहा था। महज 25 वर्ष के उम्र में इब्राहिम ईरान के डिप्टी प्रोसिक्यूटर बन गए। उसके बाद जज के पद पर गए और साल 1988 में खुफिया ट्रिब्यूनल्स में शामिल हो गए। इसे 'देथ कमेटी' के नाम से जाना जाता है।
कैसा रहा इब्राहिम का राजनीतिक जीवन?
रईसी को महज 20 साल की उम्र में तेहरान के करीब स्थित कराज का महाअभियोजक नियुक्त किया गया था। उसके बाद साल 1989 से 1994 तक तेहरान के महा अभियोजक रहे और साल 2004 में न्यायिक प्राधिकरण के डिप्टी चीफ बने। रईसी की विचारधारा कट्टरपंथी माना जाती थी क्योंकि वो देश के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्लाह अली खुमैनी के करीबी थे। रईसी ने पहली बार 2017 में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा था। हालांकि तब वह अपने विरोधी हसन रूहानी से चुनाव हार गए।
इसके बाद इब्राहिम 2021 में दोबारा चुनाव लड़ा और 62 प्रतिशत वोट पाकर पहली बार ईरान के राष्टपति बने। इस चुनाव अभियान के दौरान रईसी ने खुद को ऐसे प्रचारित किया कि वो अगर सत्ता में आएंगे तो रूहानी शासन के दौरान पैदा हुए आर्थिक संकट से निपटने के लिए अच्छा काम करेंगे। इसका असर भी देखने को मिला। चुनाव में रईसी को जीत मिली और वह नए राष्ट्रपति बने। वो ईरान के पहले ऐसे राष्टपति थे जिनके पदभार संभालने से पहले ही अमेरिका ने बैन लगा दिया था। दरअसल अमेरिका के बैन लगाने का कारण था कि जब रईसी वकील थे तब उन्होंने पांच हजार नेताओं को देशद्रोही साबित करवाया था। उन सभी को फांसी की सजा भी सुनाई गई थी, जिसके बाद अमेरिका सहित कुछ और अन्य देशों ने भी रईसी पर बैन लगा दिया था।