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What is Chabahar Port: चाबहार समझौता क्या है? भारत-ईरान के बीच होने वाली इस डील से पाक-चीन की क्यों बढ़ी टेंशन

Chabahar Port: भारत और ईरान के बीच एक अहम समझौता होने जा रहा है। चाबहार पोर्ट डील से मध्य एशिया और अफगानिस्तान तक भारत की पहुंच आसान होगी।
Written by: Kuldeep Singh
May 13, 2024 11:42 IST
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भारत और ईरान के बीच चाबहार पोर्ट को लेकर अहम समझौता हो सकता है।
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लोकसभा चुनाव के बीच भारत और ईरान के बीच एक अहम समझौता होने जा रहा है। केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ईरान के रवाना हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक ईरान में वह चाबहार पोर्ट के प्रबंधन से जुड़े समझौते को अंतिम रूप देने वाले हैं। भारत और ईरान ने दो दशक से अधिक की धीमी गति से चल रही बातचीत के बाद चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट को अंतिम रूप दे दिया गया है। भारत इस डील को लेकर इसलिए भी उत्साहित है क्योंकि इससे भारतीय सामान को अफगानिस्तान और मध्य एशिया के बाजारों तक पहुंचने के लिए एक नया रूट मिलेगा।

कहां है चाबहार पोर्ट

चाबहार पोर्ट ओमान की खाली से जुड़ा है। यह ईरान में स्थित पहला डीपवॉटर पोर्ट है। इस ईरान को समुद्री रास्ते से बाकी देशों से जोड़ता है। चाबहार ईरान की सीमा को पाकिस्तान से नजदीक भी जोड़ता है। पाकिस्तान में चीन पहले से ही ग्वादर पोर्ट का निर्माण कर रहा है। चाबहार एयरपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) का भी हिस्सा है। यह एक मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्टेशनल प्रोजेक्ट है जो हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के माध्यम से कैस्पियन सागर और रूस में सेंट पीटर्सबर्ग के माध्यम से उत्तरी यूरोप तक जोड़ता है। यह रेल, सड़क और जहाज के माध्यम से माल ढुलाई के लिए यह 7200 किमी का एक रूट है।

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भारत के लिए क्यों जरूरी है चाबहार?

चाबहार के शुरू होने से भारत के लिए एक नया समुद्री रास्ता खुलेगा। इससे भारत अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे में ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ आसानी से व्यापार कर सकेगा। दूसरी तरफ यह तेहरान को उस समय भी समुद्री व्यापार करने में काम आएगा जब पश्चिम देश किसी तरह की पाबंदी लगाएंगे। वहीं भारत के लिए यह इसलिए जरूरी है क्योंकि समुद्रीय व्यापार के लिए अब भारत को पाकिस्तान को बायपास करना आसान होगा।

2003 से चल रहा काम

भारत और ईरान के बीच चाबहार पोर्ट को लेकर 2003 से काम शुरू हुआ था। जब ईरान के राष्ट्रपति मोहम्मद खातमी भारत आए तो दोनों देशों के बीच इसे लेकर बातचीत हुई। भारत बंदरगाह के लिए मदद देने को राजी हो गया। साल 2013 में, भारत ने चाबहार के विकास के लिए 10 करोड़ डॉलर देने का वादा किया। इसके बाद 2016 में पीएम मोदी ने चाबहार का दौरा किया और भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने एक इंटरनेशनल ट्रेड कॉरिडोर के विकास के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें चाबहार को सेंट्रल ट्रांजिट पॉइंट के रूप में शामिल किया गया। इसके बाद 2018 में ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी भारत आए, तो दोनों कं बीच बंदरगाह में भारत की भूमिका में विस्तार पर बात की थी।

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