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Thailand Tunnel में फंसे थे 12 बच्चे… 10000 लोग, 90 गोताखोर और कई देशों की मदद से 18 दिन में निकाले गए थे बाहर, इस तकनीक का हुआ था इस्तेमाल

थाईलैंड के टनल रेस्क्यू ऑपरेशन की घटना 2018 की है। उस समय एसोसिएशन फुटबॉल टीम के 12 बच्चों और उनके कोच को सुरतक्षित टनल से बाहर निकाला गया था।
Written by: jyotigupta
Updated: November 16, 2023 10:11 IST
thailand tunnel में फंसे थे 12 बच्चे… 10000 लोग  90 गोताखोर और कई देशों की मदद से 18 दिन में निकाले गए थे बाहर  इस तकनीक का हुआ था इस्तेमाल
थाईलैंड टनल रेस्क्यू ऑपरेशन। (express)
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उत्तराखंड में टनल के अंदर फंसे 40 मजदूरों को अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है। आज चौथा दिन है। मजदूरों को बाहर निकालने की पूरी कोशिश की जा रही है। इधर सुरंग में फंसे मजदूरों के परिजन की सांसें अटकी हुई हैं। अधिकारियों ने जानकारी दी है कि टनल के भीतर फंसे मजदूर सुरक्षित हैं। उनके लिए ऑक्सीजन और खाने-पीने के सामान की सप्लाई की जा रही है। भारत के लोगों की नजर अभी उत्तरकाशी टनल पर बनी हुई है।

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इस हादसे ने थाईलैंड के टनल रेस्क्यू ऑपरेशन की याद दिला दी है। यह घटना 2018 की है। उस समय एसोसिएशन फुटबॉल टीम के 12 बच्चों और उनके कोच को सुरतक्षित टनल से बाहर निकाला गया था। टनल में फंसे बच्चों को बाहर निकालने के लिए लगभग 10,000 लोगों ने हिस्सा लिया था। इसमें 90 सिर्फ गोताखोर थे। बच्चों को बाहर निकालने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, चीन, रूस जैसे कई देशों ने साथ दिया था। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि कैसे उस वक्त 12 बच्चों और उनके कोच को 9 दिन में खोजकर 18 दिन में सुरक्षित बाहर निकाला गया था।

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अपने कोच के साथ गुफा के अंदर घूमने गए थे बच्चे

दरअसल, थाईलैंड की अंडर 16 फुटबॉल टीम के 11 से 16 साल की उम्र के 12 बच्चे अपने 25 साल के कोच के साथ गुफा के अंदर घूमने गए थे। वे अक्सर उस टनल में घूमने जाते थे। कई बार तो वे 10 किमी अंदर चले जाते थे। हालांकि इस बार वे जून के समय चले गए। इस समय बारिश होती है। उस दिन जब वे गुफा के अंदर गए अचानक बारिश हो गई और बाहरी रास्ता बंद हो गया। उस समय गुफा में हर तरफ पानी भर गया था। बच्चे अंदर गुफा के अंदर मेन गेट से लगभग 4 किलोमीटर अंदर एक चेंबर में ही फंस गए थे। गुफा में हर तरफ अंधेरा छाया हुआ था। उन्हें तैरना भी नहीं आता था।

बच्चों के लापता होने की खबर सामने आई जिसके बाद उनका सर्च ऑपरेशन किया गया और उन्हें बाहर निकाला गया। घरवाले अलग परेशान थे। उन्हें पता था कि बच्चे गुफा में जाते थे। परिजन को बच्चों की साइकिल गुफा के बाहर दिखी। फिर क्या वे सारा माजरा समझ गए। देखते-देखते यह खबर फैल गई। पूरी दुनिया की नजर इस घटना पर थी। बच्चों को टनल से बाहर निकालना मुश्किल लग रहा था हालांकि लापता होने के 9 दिन बाद ब्रिटेन के एक केव एक्सपर्ट्स ने बच्चों को खोज निकाला था। गुफा में ऑक्सीजन का लेवल अच्छा नहीं था। इस कारण उनका रेस्क्यू करने गए दो कर्मचारियों की मौत भी हो गई थी।

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बच्चों को कोच का मिला सहारा

जब बच्चे 18 दिन बाद बाहर निकले तो मानसिक तौर पर ठीक थे क्योंकि उनके कोच ने उनकी हिम्मत बढ़ाई। उनको ध्यान रखना सिखाया। एक जुलाई को UK के दो डाइवर तैरते हुए बच्चे के पास पहुंचे। बच्चे ठीक थे। कुछ दिनों में बच्चों तक ऑक्सीजन सिलेंडर और खाने-पीने का सामान पहुंचाया गया।

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कैसे बाहर निकाले गए बच्चे और कोच

बच्चों को गुफा से निकालने के लिए सबकी मदद ली गई। सबसे पहले गुफा के अंदर एक बेस तैयार किया गया। वहीं से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। 8 जुलाई को यह तय किया गया कि हर बच्चे को बाहर निकालने के लिए दो गोतखोर लगाए जाएंगे। एक गोताखोर बच्चे को बाहर निकालेगा औऱ दूसरा उसके पीछे होगा। गोताखोर पानी से होते हुए बच्चों को निकालने जाएंगे। उनके पास ऑक्सीजन का टैंक होगा। बच्चों के पास पहुंचने के लिए एक जगह ऐसी थी तो काफी पतली थी। वह सिर्फ 40 सेमी चौड़ी थी। ऐसे में गोताखोरों को ऑक्सीजन के टैंक को खुद से अलग करना होगा। इसके बाद बच्चे और टैंक को दूसरे गोताखोर को सौंप दिया जाएगा।

पूरे रास्ते पर एक गाइडिंग रस्सी लगाई गई ताकि कोई रास्ता न भटके। इसके अलावा बच्चों को बहोश किया गया ताकि वे संकरे रास्ते में छटपटाए ना। वरना गोताखोरों को परेशानी हो जाती। शुरुआत में कहा जा रहा था कि बच्चों को बाहर निकालने में 4 महीने का समय लग सकता है। हालांकि गोताखोरों ने उन्हें तीन दिन में निकाल दिया। कुल मिलाकर इस मिशन को पूरा करने में 18 दिन का समय लगा। जब बच्चे औऱ कोच गुफा से सुरक्षित बाहर निकले थे तो हर तरफ खुशी की लहर दौड़ गई थी। उम्मीद जताई जा रही है कि जिस तरह थाईलैंड टनल से बच्चों को बाहर निकाल लिया गया उसी तरह उत्तराखंड सुरंग में फंसे 40 भारतीय मजदूरों को भी सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा।

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